बदायूं: परिजनों की वजह से छह महिलाओं ने गंवाई प्रधानी, सिर्फ हस्ताक्षर होते हैं उनके और काम करते हैं परिजन

कई महिला प्रधानों की हो चुकी है पावर सीज, 1037 ग्राम पंचायत में से 562 में है महिला प्रधान

बदायूं: परिजनों की वजह से छह महिलाओं ने गंवाई प्रधानी, सिर्फ हस्ताक्षर होते हैं उनके और काम करते हैं परिजन

बदायूं, अमृत विचार: जिले की आधी से ज्यादा ग्राम पंचायतों की कमान नारी शक्ति के हाथों में हैं। लेकिन वह मात्र कठपुतली बन कर रह गईं हैं। कई जगह प्रधानी की बागडोर उनके पति, पुत्र, ससुर, भाई, देवर या अन्य परिजनों के हाथों में है। परिजनों द्वारा कामकाज देखने की वजह से आधा दर्जन से अधिक महिलाएं अपनी प्रधानी से हाथ धो बैठी हैं। ़

अनियमितताएं बरतने के आरोप में सभी की वित्तीय पॉवर सीज हुई है। अभी दो दिन पूर्व ही एक ग्राम पंचायत में प्रतिनिधि के तौर पर काम रहे महिला प्रधान के चाचा की वजह से जेल जाने तक की नौबत आ गई है। कई की जांच पंचायतीराज विभाग द्वारा जांच कराई जा रही है। परिजनों द्वारा प्रतिनिधि के तौर पर कार्य किए जाने की वजह से महिला प्रधानों को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है।

जिले में 1037 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से 562 ग्राम पंचायतों की कमान महिला प्रधानों के हाथों में हैं। पंचायत चुनाव में आरक्षण के बाद महिलाओं को प्रधान बनने का मौका तो मिला, लेकिन कई जगह प्रधानी की बागडोर उनके पति, पुत्र, ससुर, भाई, देवर या अन्य परिजनों के हाथों में है। डीपीआरओ कार्यालय से मिली ग्राम प्रधानों की सूची के बाद 10 से अधिक ग्राम प्रधानों को फोन किया गया।

इस दौरान सभी के नंबर उनके पति, बेटे या परिवार के किसी अन्य सदस्य ने उठाए। सभी प्रधानों के परिजनों ने ही खुद को प्रधान बताया। ग्राम विकास के संबंध में होने वाली तमाम योजनाओं की जरूरी बैठकों में भी अधिकतर महिला प्रधान नहीं पहुंचती हैं। उनके प्रतिनिधि ही बैठकों में पहुंचते हैं। सिर्फ कागज में हस्ताक्षर महिला प्रधानों से करा लिया जाता है। कुछ पंचायतों में तो यह कार्य भी उनके प्रतिनिधि ही करते हैं।

एक प्रधान के प्रतिनिधि ने बताया कि जब किसी बड़े अधिकारी या जनप्रतिनिधि का आना होता है तब प्रधान को बुलाया जाता है। हालांकि बैठकों में जानकारी के अभाव में वह कोई अपनी राय नहीं नहीं देती हैं। जगत ब्लॉक की ग्राम पंचायत नरुऊ खुर्द की प्रधान राजकुमारी को फोन किया तो उनका फोन उनके पति सुभाष चंद्र ने उठाया।

प्रधान से बात कराने का अनुरोध करने पर कहा कि वही प्रधान हैं।  उन्होंने कहा कि जो भी बात करनी है मुझसे ही कीजिए। इसी तरह दौरी निरोत्तमपुर की महिला प्रधान को फोन किया। वहां भी फोन उनके पति दुर्वेश यादव ने उठाया। प्रधान से बात कराने का अनुरोध करने पर कहा कि वह प्रधान ही बात कर रहे हैं।

इसी तरह सभी ग्राम पंचायतों में फोन करने पर महिला प्रधान के स्थान पर उनके परिजनों ने ही उठाया। परिजनों के द्वारा प्रतिनिधि के तौर पर विकास कार्य में अनियमितताएं बरती जा रही हैं। जिसकी वजह से आधा दर्जन से अधिक महिला प्रधान अपनी प्रधानी से हाथ धो बैठी हैं। 

यहां की महिलाओं ने गंवाई प्रधानी : ग्राम पंचायत मुंसिया नगला में महिला प्रधान है। उनकी प्रधानी उनके परिजन चला रहे हैं। ग्राम पंचायत निधि के तहत गांव में विकास कार्य में अनियमितता बरतीं गईं। गबन के आरोप में उनकी पॉवर डीएम ने सीज की हुई है। 
गलौथी ग्राम पंचायत की महिला प्रधान होने पर प्रधानी उनके पति प्रतिनिधि के तहत चला रहे थे। प्रधानमंत्री आवास में घपला करने के आरोप में इनकी पॉवर डीएम के आदेश पर डीपीआरओ द्वारा सीज कर दी गई।

गांव सीकरी की महिला प्रधान के प्रतिनिधि के तौर पर उनके चाचा काम कर रहे थे। आरआरसी सेंटर निर्माण में 13 लाख से अधिक धनराशि का गबन कर लिया गया। इस आरोप में जहां उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो रही है। साथ ही पॉवर सीज करने के लिए भी डीएम ने आदेशित कर दिया है। 

आधा दर्जन से अधिक प्रधानों की चल रही है जांच: पंचायती राज अधिकारी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दस से अधिक महिला प्रधानों  के खिलाफ हुई शिकायत पर डीएम स्तर से जांच चल रही है। जांच के बाद इनमें से अधिकांश महिला प्रधानों की भी प्रधानी खतरे में पड़ सकती है। 

यह बात सही है कि महिला प्रधान होते हुए उनके परिजन प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहे हैं। लेकिन कागज पर हस्ताक्षर महिला प्रधान के ही होते हैं। महिला प्रधान दावा करतीं हैं कि उनके परिजन काम में सहयोग करते हैं। सभी बैठकों में महिला प्रधान शामिल होती हैं। अगर कहीं प्रधान के स्थान पर उनके परिजन ही हस्ताक्षर कर देते हैं तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।- श्रेया मिश्रा, डीपीआरओ

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