बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा ढहाने से पहले बरेली के राम भक्तों पर लादे गए थे फर्जी मुकदमे, भेजा था जेल

विकास यादव, बरेली। सन 1992 को कार सेवकों ने अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहा दिया था, लेकिन उससे पहले 1990 में ही शहर में इसकी चिंगारी से आग लग गई थी। राम मंदिर निर्माण को लेकर युवाओं में जोश था। जगह-जगह मंदिर निर्माण को लेकर बैठक व रणनीति बनाई जा रही थी। शहर में साधुओं का आना और मंदिर निर्माण को लेकर युवाओं में जोश भरने का काम किया जा रहा था। यहां तक की उस दौरान युवा अपने आप को शिवसेना आदि पार्टी से जुड़ा होने पर गौरव मान रहे थे।
बताया जाता है कि 11 नबंवर 1990 में गुलाबराय इंटर कालेज में विशाल हिंदू सम्मेलन हुआ था। जिसमें शंकराचार्य ने राम मंदिर को लेकर युवाओं में जोश भरने का काम किया था। उसके दो दिन बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की जनसभा हुई। जिसके बाद शहर का माहौल गर्मा गया। शहर में पुलिस की विफलता से दंगा हो गया। जिसमें चुन्ना मिंया मंदिर के पास नन्ने कश्यप का शव मिला था।
इस दौरान किला के कुंवरपुर निवासी अनील चंद्रा कटरा मानराय निवासी मनमोहन पुत्र चुन्नी लाल समेत अन्य लड़कों को बतोश बाली गली में हुई हत्या का आरोप लगाकर 10/99 को कोतवाली में धारा 302, 307, 323, 234, 436, 395, 397 धाराओं में मुकदमा सख्या 11 सौ 4/25 आर्म एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसमें अनील चंद्रा व मनमोहन के पास शिवसेना का त्रिशुल और पहचान पत्र बरामर हुआ था।
जिसमें अनील अपने भैंस की दवा लेने कुतुबखाना पशु चिकित्सालय गए थे। तत्कालीन एसपी सिटी अनील रतूडी ने उनको गिरफ्तार कर झूठे मुकदमे लदवाए थे। उनकी पत्नी राध रतूडी उस दौरान बरेली एसडीएम के पर तैनात थीं। उस दिन सबसे पहली गिरफ्तारी पुलिस ने इन दोनों की थी। इन लोगों को तुरंत ही ट्रकों में भरकर बांदा भेज दिया गया। उसके 14 दिन बाद सभी को बरेली जिला कारागार में रखा गया।
पकड़े गए उस दौर के युवाओं की छह महीने बाद जमानत हुई। इन लोगों को मुलायम सिंह यादव के विरोध व मंदिर के समर्थन में जेल जाना पड़ा। उस दौरान केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार व अन्य हिंदू संगठनों ने इन सभी की पैरवी की। सभी पर लगे झूठे मुकदमे बाद में वापस ले लिए गए।
यह भी पढ़ें- बरेली: 22 जनवरी को होगी हर घर दिवाली, लोग कर रहे दियों के आर्डर