सीएम साहब!, कृपया छुट्टा जानवरों से करिए किसानों की रक्षा!, रातभर जगकर कर रहे फसलों की रखवाली, घट रही पैदावार!
छुट्टा मवेशी खेती से लेकर किसानों की जान के बने हैं दुश्मन, संरक्षण के नाम पर चल रहा खेल
रायबरेली। प्रदेश सरकार छुट्टा मवेशियों को गोआश्रय स्थल पहुंचाने का निर्देश देने के साथ पानी की तरह पशुओं के पोषण में बहा रही है लेकिन सिस्टम की कमजोर कड़ी का नतीजा है कि न तो छुट्टा मवेशियों का पोषण और न ही सड़क से लेकर खेत कर इनकी संख्या कम हो रही है। सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का वादा कर रही है लेकिन छुट्टा मवेशी किसानों की आय भी निकलने नहीं दे रहे हैं। इन मवेशियों ने किसानों को पेट पर सीधे लात मारी है। जिसका दर्द छोटे और मंझोले किसानों को पूरे साल सालता रहता है।
खेती की बात की जाए जो जिस तरह से जिले में खेती का रकबा बढ़ा उसके अनुपात में पैदावार नहीं बढ़ी है। हालांकि कागजी दस्तावेजों में पैदावार हर साल बढ़ रही है लेकिन किसानों का मानना है कि छुट्टा मवेशियों की वजह से ही पैदावार घटी है तो साथ ही कम पैदावार के चलते औने-पौने दाम में उपज बेचनी पड़ती है। पशु पालन विभाग का कहना है कि उसने 6 हजार मवेशियों को पकड़ लिया है।
सवाल यह है कि जब इतने मवेशी पकड़ लिए हैं तो फिर लालगंज, सलोन, जगतपुर, ऊंचाहार में मवेशी किसानों के लिए बवाए-ए-जान क्यों बने हैं। क्या कारण है कि किसान रात में पूस की सर्दी में खेत पर रात बिता रहा है। वहीं मवेशियों के हमले से पांच सालों में 2 सैकड़ा लोगों की जान गई है या फिर वह अपंग होने को मजबूर हुए हैं।
छुट्टा मवेशियों की समस्या जिले में पिछले 7 सालों में इतनी बढ़ गई है लेकिन अब सड़क से लेकर गांव तक केवल छुट्टा मवेशी ही दिखते हैं। आंकड़ों की बात करें तो पशु पालन विभाग के कागजों पर 11 हजार मवेशी खुले घूम रहे हैं लेकिन हकीकत जुदा है। इस संख्या से दो से तीन गुना अधिक मवेशी जिले में खुले घूम रहे हैं। इनके द्वारा आए दिन किसी पर हमला किया जाता है तो खेती को नष्ट किया जा रहा है। इनकी वजह से किसान अधिक परेशान हैं। एक तरफ मौसम साथ नहीं देता है तो दूसरी ओर छुट्टा मवेशी फसल को नष्ट कर देते हैं। ऐसे में किसान को पास जीवकोपार्जन के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है।
गोवंश के लिए हरा चारा बना दूर की कौड़ी, खा रहे पैरा
जिले में 82 गौशाला व निराश्रित पशुओं के आश्रय स्थल हैं इसमें करीब 22 हजार से अधिक मवेशी रहते हैं। शासन के निर्देश पर इन मवेशियों को हरा चारा, भूसा, पानी, छाया देनी होती है लेकिन हाल यह है 90 फीसदी से अधिक गौशालाओं में पशुओं को पैरा खिलाया जा रहा है तो साथ ही हरा चारा दूर की कौड़ी है। अक्सर मवेशियों के मृत होने की जानकारी मिलती रहती है जिस पर बीमार होने और अन्य तरह का कारण बताकर जिम्मेदार पल्ला झाड़ देते हैं। ग्राम पंचायत खागीपुर संडवा के पूरे नरपति सिंह पुरवा में छुट्टा पशुओं का आतंक मचा हुआ है। ऐसे में किसान फसल बचाने के लिए परेशान हैं। इस सर्द रात में किसानों को खेत पर ही रात बितानी पड़ रही है। छुट्टा मवेशियों की धमाचौकड़ी से आए दिन लोग घायल होते हैं।
शासन ने एक माह पहले निर्देश दिया था कि छुट्टा मवेशियों को पशु आश्रय स्थल पहुंचाया जाए तो वहीं डीएम ने भी पशु पालन विभाग को छुट्टा मवेशियों की धरपकड़ करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी छुट्टा मवेशियों को नहीं पकड़ा जा रहा है। क्षेत्र में छुट्टा मवेशियों लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं।
फसलों को अक्सर यह मवेशी नुकसान पहुंचाते हैं। इस समय खेतों में गेहूं और सरसों की फसल लगी है और छुट्टा मवेशी मौका मिलते ही खेतों में घुसकर फसल को नष्ट कर देते हैं। किसान फसल की रखवाली करने के लिए सुबह से रात तक खेतों पर ही रहता है। इसके बाद भी नजर चूकने पर मवेशी फसल को नुकसान पहुंचा देते हैं। छुट्टा मवेशियों को पकड़ने के लिए किसान और ग्रामीण की बार शिकायत दर्ज करा चुके हैं लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।
ऊंचाहार में गो आश्रय केंद्रों की दशा सबसे खराब
राही क्षेत्र में कुल पांच गोशालाएं हैं। वृहद गोशाला बेलाखारा में 619, लोधवारी में 452, कनोली में 300, राही में 299, उत्तरपारा में 175 गोवंश संरक्षित हैं। कुचरिया अलावल पुर रोड पर रानी कुंआ के निकट तकरीबन 25 वहीं प्रतापगढ़ जौनपुर हाईवे के किनारे झकरासी के निकट एक दर्जन गोवंश इधर उधर भटकते रहते हैं। ऊंचाहार में गो आश्रय केंद्रों की दशा बड़ी खराब है । दुर्व्यवस्था के कारण इसमें रखे गए मवेशी भी बाहर चले गए है। ऊंचाहार के कोटरा बहादुर गंज में सबसे पुरानी गोशाला है । इसकी क्षमता सत्तर मवेशी की है लेकिन इस समय इसमें मात्र 20 मवेशी ही है । उधर पट्टी रहश कैथवल गांव में जिला पंचायत की गोकर्ण ऋषि गोशाला है । जिसकी क्षमता 250 मवेशियों की है , इस समय इसमें 180 मवेशी है । इनकी ननकू का पुरवा गांव में नगर पंचायत की कान्हा गोशाला की क्षमता एक सौ मवेशियों की है । इस समय इसमें कुल 70 मवेशी है । महराजगंज के मोन, मऊ, कुशमहुरा, असनी, हरदोई, नगर पंचायत। सहित क्षेत्र 6 गौआश्रय स्थल बनाए गए हैं। मोन मे बने बाबा ओरीदास गौआश्रय स्थल में 252 , मऊगर्वी में 400 , कुशमहुरा में 150, असनी में 350, हरदोई में 250 व नगर पंचायत महराजगंज द्वारा संचालित कान्हा गौआश्रय स्थल लगभग 200 पशुओं को रखा गया है।
सलोन में हादसों के सबब हैं छुट्टा मवेशी
सलोन में आवारा घूमने वाले गौवंशों के संरक्षण के लिए गौशालाएं तो खोली गईं है। लेकिन छुट्टा जानवरों को वहां ठिकाना नहीं मिलता। इस कारण सलोन नगर और ग्रामीण क्षेत्र के चौराहों और तिराहों पर छुट्टा जानवरों का जमघट लगा रहता है। यहां आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। सड़कों से गुजरने वाले नेता और अधिकारी इन जानवरों के झुंड को नजरअंदाज कर देते हैं।सलोन कस्बे में इन दिनों आवारा मवेशियों के आतंक से कस्बे वासी परेशान हैं। आवारा पशुओं के कारण किसानों की फसलें तो नष्ट हो ही रही है, वहीं आये दिन सड़क हादसों को अंजाम देने में भी ये पशु पीछे नहीं हैं।नगर की बात करे तो पिछले कई महिनों से सैकडों गोवंश आवारा रूप में घूम रहा है। छुट्टा पशुओं से सड़क हादसे होते रहते हैं वहीं कस्बा के मुख्य बाजार में आवारा पशु जगह-जगह बैठे रहते हैं तथा हटाने पर हमला कर देते हैं या फिर आपस में लड़कर राहगीरों एवं बाइक सवारों को घायल कर देते है।वहीं नगर पंचायत द्वारा बनाये गए कान्हा गौशाला में छुट्टा गोवंशों को ले जाने में कर्मी आनाकानी करते है।
डीएम से शिकायत पर भी नहीं हुई कार्रवाई
गौशाला होने के बावजूद आवारा घूम रहे हैं मवेशी लालगंज में सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के चलते गौशाला होने के बावजूद सड़क और खेतों में आगरा मवेशी घूम रहे हैं। किसानों के खेतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। साथ ही सड़क पर राहगीरों को भी चोट पहुंचा रहे हैं। सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं भी हो रही हैं । यहां तक की लालगंज नगर में भी चौराहों पर आवारा मवेशियों का झुंड बना रहता है।लालगंज क्षेत्र में मेरुई, गोविंदपुर वलौली, सेमरपहा, खजूर गांव में गौशाला बनी हुई है लेकिन विकास खंड कार्यालय और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की अकर्मण्यता और लापरवाही के चलते अभी भी सैकड़ो मवेशी गौशालाओं से बाहर अन्ना घूम रहे हैं जिससे किसानों को रात-रात भर जाकर अपनी फसले ताकनी पड़ती है। लोगों ने डीएम के तहसील दिवस में भी प्रार्थना पत्र देकर जानवरों से निजात दिलाए जाने की मांग की थी।
क्या कहते हैं किसान
खीरों क्षेत्र के गांव मानपुर निवासी किसान दुर्गेश कुमार सिंह ने बताया कि इस हाड़ कपाऊ ठंड में भी छुट्टा मवेशियों से फसलों की रखवाली करने के लिए रतजगा करनी पड़ती है। दिन भर घर का एक व्यक्ति खेतों की देखरेख करता है। खेतों में कटीली बाड़ लगाने के बावजूद भी फसलें सुरक्षित नहीं है।
गांव बीजेमऊ खपुरा निवासी किसान चन्द्रमौलि दीक्षित ने बताया कि फसलों की रखवाली के लिए कटीले या आरी ब्लेड तारों के लगाने से छुट्टा मवेशियों के घायल होने का खतरा बना रहता है। इसलिए खेतों के चारों ओर सादे तारों के साथ बांस भी लगाया है। दिन रात फसल की रखवाली करता हूं। फिर भी थोड़ी सी चूक होने पर छुट्टा मवेशियों का झुंड तारों को तोड़कर खेतों में घुस जाता है और फसलें चौपट हो जाती हैं। इस समय उनकी ग्राम पंचायत में लगभग 150 से अधिक छुट्टा मवेशियों का समूह मौजूद है। कई बार कहने के बाद भी ग्राम प्रधान से लेकर कोई भी इस समस्या की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।
गांव देवली निवासी किसान सतीश कुमार सिंह ने बताया कि उनकी ग्राम पंचायत में इस समय लगभग एक सैकड़ा से अधिक छुट्टा मवेशियों का झुंड हर समय घूमता रहता है। जिनसे फसलों की सुरक्षा करना बहुत कठिन कार्य है। ब्लाक मुख्यालय पर भी कई बार प्रार्थना पत्र दिया गया। लेकिन आश्वासन के अतिरिक्त कोई राहत नहीं मिली। थोड़ी सी चूक किसानों की मेहनत पर पानी फेर देती है।
गांव जोगापुर निवासी किसान संजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि उनकी ग्राम पंचायत में इस समय लगभग 150 छुट्टा मवेशियों का झुंड मौजूद है। इस कड़ाके की ठंड और बारिश के बीच बड़ी मुश्किल से दिन रात एक कर फसलों की सुरक्षा हो पाती है। खेतों में कटीली झांडियों और बांसो की बाड़ लगाने के बाद भी फसलें सुरक्षित नहीं हैं। काफी छुट्टा मवेशी तो खेत की रखवाली कर रहे किसानों को मारकर घायल कर देते हैं। इसलिए किसान भी समूह बनाकर फसलों की रखवाली कर रहे हैं।
खेती के आंकड़े
धान की फसल की पैदावार- 2.57 एमटी
गेहूं की फसल की पैदावार- 5.86 एमटी
कुल किसान- 5.29 लाख
बीते पांच वर्ष का औसत आंकड़ा
धान की फसल की पैदावार- 2.35 एमटी
गेहूं की फसल की पैदावार- 5.55 एमटी
छुट्टा मवेशियों का पकड़ने का अभियान चलाया जा रहा है। अब तक 6 हजार मवेशियों को पकड़ा जा चुका है। 16 जनवरी तक यह अभियान चलेगा।
डॉ. अनिल कुमार सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
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