लखनऊ: अपने गढ़ की विरासत संभालने के साथ दो सीटों से ताल ठोकेंगे अखिलेश!
लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशियों के नामों पर शुरू किया मंथन
लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर हर पार्टी की तैयारी जोर पर है। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के उद्घाटन के साथ एक तरफ जहां सत्तारुढ भाजपा यूपी की 80 सीटों पर जीत का रिकार्ड बनाने की कवायद कर रही, वहीं इंडिया गठबंधन की पार्टियां अपने-अपने स्तर से अलग-अलग तैयारी करती दिख रही है। कांग्रेस रविवार देर रात यूपी के सभी जिलों के प्रभारियों के नामों की घोषणा करते हुए उन्हें चुनाव की बागडोर सौंप दी। सुगबुगाहट है कि सपा भी प्रत्याशियों के नाम करीब फाइनल कर चुकी है। सूत्रों का कहना है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस बार अपनी विरासत कही जाने वाली आजगढ़ सीट के साथ कन्नौज से भी चुनाव लड़ सकते हैं।
कांग्रेस ने रविवार देर रात जिला प्रभारियों के नाम की लिस्ट जारी कर दी। इस बीच सपा और बसपा में जुबानी जंग भी तेज हो गई। सोशल मीडिया साइट एक्स पर बसपा सुप्रीमों मायवती और अखिलेश यादव एक दूसरे पर तीखा प्रहार कर रहे हैं। सोमवार को इस जुबानी जंग में डिप्टी सीएम केशव मौर्या और शिवपाल यादव भी कूद पड़े। दरअसल मायवती ने सालों पहले अपने उपर हुए हमले को दोहराते हुए गेस्ट हाउस कांड को लेकर टिप्पड़ी की।
इसपर शिवपाल यादव ने चुटकी लेते हुए लिखा कि मायावती डरी हुई हैं, सरकार की जिम्मेदारी है कि उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए। इसपर पलटवार करते हुए केशव मार्या ने लिखा कि कांग्रेस से बुआ हाथ न मिला लें, इसलिए बबुआ परेशान है। केशव के इस ट्विट पर शिवपाल ने फिर लिखा कि सरकार आपकी स्वयं के संगठन और सरकार में तो चल नहीं रही है, इसलिए संगठन और सरकार के दायित्व से इतर नजर बहुत पैनी रख रहे हैं। कहीं भाजपाई दंगल में बाहर कर दिए जाने की वजह से 'दल और दिल' बदलने का इरादा तो नहीं?
इशारे में बताया पार्टी में केशव का कद क्या है
शिवपाल ने इस तीखे शब्दों में जिस तरह केशव प्रसाद मौर्या का जवाब दिया, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि वो पब्लिक के बीच संदेश देना चाहते हैं कि केवश अपनी ही सरकार में हाशिए के नेता हैं। वो कहना चाहते हैं कि डिप्टी सीएम का पद भले ही मिला हो लेकिन योगी सरकार में उनकी रत्ती भर नहीं चल रही है। हालांकि दोनों नेताओं की इन बातों का मायावती की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
अखिलेश के दो सीटों से दावेदारी की चर्चा तेज
सूत्रों के मुताबिक सपा में जिन सीटों पर नाम फाइनल हुए हैं उसमें अखिलेश यादव कन्नौज और आजमगढ़ से चुनाव लड़ेंगे सकते हैं। उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ेंगी। धर्मेंद्र यादव को बदायूं से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। फिरोजाबाद से अक्षय यादव प्रत्याशी हो सकते हैं। अंबेडकर नगर से लालजी वर्मा की बेटी छाया वर्मा को सपा प्रत्याशी बना सकती है। अयोध्या से अवधेश प्रसाद के नाम की चर्चा है।
पूर्वांचल की इन सीटों पर भी नाम तय?
सपा में इनके अलावा जिन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की चर्चा हैं उनमें बस्ती से रामप्रसाद चौधरी के नाम पर मंथन हो रहा है। हरिशंकर तिवारी के बेटे कुशल तिवारी को सपा संत कबीर नगर या देवरिया से चुनाव लड़ा सकती है। मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी की बेटी की शादी में दल-बल के साथ अखिलेश के शामिल होने के बाद से दोनों के बीच सियासी नजदिकियां नजर आने लगी थी। अब कयास लगाया जा रहा है कि गाजीपुर से समाजवादी पार्टी अफजाल अंसारी को चुनाव लड़ाने के मूड में है। लखनऊ के मोहनलालगंज सीट से आर के चौधरी प्रत्याशी हो सकते हैं।
शिवपाल का जशवंतनगर से नही हो रहा मोहभंग
समाजवादी पार्टी के सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव कन्नौज के साथ-साथ आजमगढ़ भी चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। कारण यह है की अखिलेश चाचा शिवपाल को आजमगढ़ से लड़ाना चाहते थे, लेकिन शिवपाल यादव जसवंत नगर नहीं छोड़ना चाहते हैं। शिवपाल की इच्छा है कि आजमगढ़ से उनके बेटे आदित्य यादव को मैदान में उतारा जाए। लेकिन पिछले दिनों हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के हाथों से यह सीट छिन जाने के बाद अब अखिलेश यादव किसी नए परिवार के व्यक्ति पर भरोसा नहीं जता पा रहे हैं।
आजमगढ़ समाजवादियों का गढ़ लंबे समय से रहा है। 2014 में जब मोदी लहर चल रही थी उसे दौरान भी नेताजी मुलायम सिंह यादव इस सीट से सांसद चुने गए थे। मुलायम सिंह यादव को 3,40,306 वोट मिले थे और भाजपा के रमाकांत यादव को 2,77,102 वोट मिले थे. 2019 में भी मोदी लहर में ये सीट सपा के पास रही। अखिलेश यादव इस सीट से सांसद बनकर आए। अखिलेश को इस चुनाव में 6,21,578 वोट मिले वहीं भाजपा के दिनेश लाल को 3,61,704 वोट मिले। हालांकि उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव ये सीट हार गए थे।
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