कानपुर के नए पुलिस कमिश्नर बने अखिल कुमार, 1994 बैच के IPS, निर्भय गुर्जर का एनकाउंटर करने पर चर्चां में आए
कानपुर के नए पुलिस कमिश्नर बने अखिल कुमार।
कानपुर के नए पुलिस कमिश्नर बने अखिल कुमार। आईपीएस अखिल कुमार ने निर्भय गुर्जर का एनकाउंटर किया था। गोरखपुर एडीजी के बाद बने पुलिस कमिश्नर।
कानपुर, अमृत विचार। कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के गठन के बाद चौथे पुलिस कमिश्नर रहे डॉ आर के स्वर्णकार के सीतापुर पीटीएस तबादले के बाद गोरखपुर के एडीजी रहे अखिल कुमार नए पुलिस कमिश्नर होंगे। मूल रूप से बिहार के बेगूसराय निवासी अखिल कुमार 2005 में कुख्यात डकैत निर्भय गुर्जर के एनकाउंटर समेत लखनऊ के एक बड़े कारोबारी के बेटे के अपहरण के खुलासे में अहम भूमिका निभाकर चर्चा में आए थे।
1994 बैच के आईपीएस अफसर अखिल कुमार यूपी के लखनऊ, गाजियाबाद, अलीगढ़, कन्नौज, अमरोहा में एसपी, एसएसपी के रूप में काम कर चुके हैं।
शासन से कई मेडल पा चुके अखिल कुमार की गिनती तेज तर्रार अफसरों में होती है। वे 2010 में डीआईजी मेरठ के पद पर रहे। वहीं से केन्द्रीय प्रतिनियुकि्त पर चले गए थे। विदेश व जल संसाधन मंत्रालय में सेवा देने के बाद उनकी यूपी में वापसी हुई थी। वे कोलंबिया से मास्टर डिग्री हासिल कर चुके हैं। शहर की यातायात व्यवस्था, महिला अपराधों और विभाग की बेहतर छवि के लिए काम करना उनकी पहली प्राथमिकता में होगा।
विवादों के बाद हटना ही पड़ा
कमिश्नरेट में विवादों से घिरे रहे पुलिस कमिश्नर डॉ आर के स्वर्णकार को आखिरकार हटना ही पड़ा। उनकी कार्यशैली से महकमे के साथ-साथ लोग भी नाराज थे। चार्ज लेने के बाद ही उनका पहले पत्रकारों से विवाद हुआ था। पुलिस ऑफिस में बने प्रेस रूम को रातों-रात आगंतुक कक्ष बना दिया गया था। हंगामा शुरू हुआ तो अफसरों को बैकफुट पर आना पड़ा।
इसके बाद उन्होंने मिडिएशन सेंटर में अधिवक्ताओं का प्रवेश वर्जित कर पोस्टर चस्पा करा दिया था। इस पर अधिवक्ताओं ने कमिश्नर दफ्तर का घेराव और जमकर हंगामा किया था। इसके बाद पुलिस ऑफिस में मीडियाकर्मियों के वाहनों की चेकिंग शुरू की तो मीडियाकर्मी धरने पर बैठ गए थे।
जिस पर उन्हें कार्रवाई को रोकना पड़ गया था। उधर शहर में कानून व्यवस्था भी बिगड़ रही थी। लगातार चोरी और लूट की घटनाएं हो रही थीं। एक वर्ष से अनसुलझी घटनाओं के खुलासों के लिए कोई काम नहीं हुआ। कई बार वह घटनाओं के बाबत पूछने पर कह देते थे कि यह उनके स्तर का मामला नहीं है। कुशाग्र कांड में भी उनकी मौके पर न जाने पर आलोचना हुई थी। लगातार विवादों पर शासन ने उनको कमिश्नरेट से हटा दिया।
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