रायबरेली: जीविका ही नहीं जीवन का अभिशाप बनी बकुलाही झील, गांव में फैल रही अपंगता
हाथ के टेढे होने, दांत पीले होने और जोड़ों में दर्द की रहती शिकायत

आशीष दीक्षित/रमेश शुक्ला, रायबरेली, अमृत विचार। जिले के ऊंचाहार तहसील के रोहनिया विकास खंड के करीब दो दर्जन से अधिक गांवों में बकुलाही झील का कहर खेत से निकलकर ग्रामीणों के जीवन पर भी टूट रही है। खेतों को बंजर बनाकर ग्रामीणों की जीविका छीनने के बाद विगत दो दशक से लोगों के जीवन में झील जहर घोल रही है।
करीब दो तीन पहले तक जिन गांवों में लोगों का जीवन पटरी पर था। आज उस गांव के बकुलाही झील का जहर अपंगता दे रहा है। बच्चों से लेकर बूढ़े तक इस पानी के जहर का शिकार हैं और बेबस भरी जिंदगी जी रहे है। इनकी ओर किसी की निगाह नहीं जाती है।
जब से झील के पानी की समस्या बनी है तब से लेकर आज तक शासन से लेकर जन प्रतिनिधियों ने इस बड़ी समस्या को सुलझाने के प्रयास नहीं किया। कभी भी पानी के सैंपल की जांच तक नहीं की गई। ग्रामीण कहते-कहते थक गए और प्रशासन और जन प्रतिनिधि इसे नजरअंदाज करने से बाज नहीं आए।
रोहनिया के गांव सठियाना पूरे ठकुराइन, दृगपाल का पुरवा, उसरैना, घासी का पुरवा, बहराम का पुरवा, कटरा, फकीरी का पुरवा, शीतला बाक्स का पुरवा, लोहरा और पूरे ननकू ने सैकड़ों लोगो के जीवन को झील का वजह से जमीन का स्ट्रेटा खराब होने से पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक हो गई है।
यूं तो पूरे रायबरेली में फ्लोराइड की समस्या है लेकिन बकुलाही झील के पानी के कारण प्रभावित गांवों में फ्लोराइड जीवन के लिए अभिशाप बन गया है। गांव में मासूम बच्चों से लेकर बड़े बूढ़े तक अपंगता का शिकार हैं। गांवों में छोटे छोटे मासूम बच्चे के हाथ पैर, कमर, टेढ़े हो गए हैं । ग्रामीणों ने अपने बच्चों का इलाज भी कराया लेकिन उन्हें अपंगता से नहीं बचाया का सका है । शारीरिक कुरूपता व अपंगता अब ग्रामीणों की नियति ही बन गयी है ।
इन ग्रामीणों का बर्बाद हुआ जीवन
रोहनिया विकास खंड के सठियाना गांव में तकरीबन तीस परिवार हैं । इस गांव की आबादी तकरीबन 200 है लेकिन गांव में शायद ही कोई व्यक्ति बचा हो जो फ्लोराइड का शिकार न हुआ हो । तमाम लोग देखने में तो स्वस्थ्य नजर आते हैं लेकिन बताते हैं कि उनके जोड़ों में सूजन व दर्द बना रहता है । इनके अलावा गांव में मासूम अमित, कोमल, धर्मेश, अमीषा, सहित तकरीबन तीन दर्जन बच्चे अपंग हो गए हैं ।
बच्चों के पैर टेढ़े हैं, उनके दांत काले पड़ गए हैं और उन्हें चलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है । इनके अलावा गांव के शीतला प्रसाद, अयोध्या प्रसाद, करन बहादुर, राम भरोसे, राम सजीवन, जगतपाल, मो इस्लाम, लल्लन, राम आसरे, राम अधार, राम बालक, राम हर्ष, बाबू लाल, राम फल, राम पियारे, मिठाई लाल और मो मुकर्रम सहित बड़ी संख्या में लोग बीते सात आठ सालों में अपंग हो गए हैं।
गांव आई महिलाएं भी हो रही हैं शिकार
इन गांवों का हाल यह है कि अपने मायके से शादी के बाद आयी महिलाएं भी फ्लोराइड का शिकार हो रही हैं । गांव की गीता देवी तकरीबन दस साल पहले तक पूरी तरह स्वस्थ थीं । अब उनके दोनों पैर टेढ़े हो गए हैं । कमर से भी उठने बैठने चलने में उन्हे काफी दिक्कत होती है । बताती हैं कि प्रारम्भ में उन्हें जोड़ो में दर्द शुरू हुआ उसके बाद धीरे धीरे उनका शरीर बेकार होता चला गया । अब वह दिन भर बिस्तर पर पड़ी रहती हैं । पूरे ठकुराइन गांव की अनीता देवी पंद्रह साल पहले दुल्हन बन कर इस गांव आयी थीं । अब उनके दोनों पैर टेढ़े हो गए हैं।
प्रभावित गांव के युवाओं की नहीं हो रही शादी
फ्लोराइड प्रभावित गांवों के लोग सामाजिक रूप से भी बहिष्कृत होते जा रहे हैं । इन गांवों में बड़ी संख्या में युवक युवतियों की शादी नहीं हो पा रही है । क्योंकि गांव का हर व्यक्ति किसी न किसी रूप से फ्लोराइड से प्रभावित है । गांव के जगदीश प्रसाद बताते हैं कि जब हम लोग पाने बच्चों के रिश्तों के लिए कहीं जाते हैं तो गांव का नाम सुनते ही लोग सुनते ही लोग रिश्ता जोड़ने से इंकार कर देते हैं ।
बकुलाही झील में शिकार होने से पानी बन रहा जहरीला
रोहनिया विकास खंड के फ्लोराइड प्रभावित गांवों के चारों ओर बाकुलाही झील है जिसमे हमेशा पानी भरा रहता है । इस पानी के कारण गांवों में नमीं बनी रहती है तथा आसपास के क्षेत्र में जलस्तर काफी ऊपर है । यही कारण है कि यहां का पानी प्रदूषित हो गया और जीवन देने वाला जल अब जहर बन कर लोगों की जिंदगियां खराब कर रहा है । ग्रामीणों के अनुसार झील में अक्सर मछली और चिड़ियों का शिकार किया जाता है । जिसमें शिकारी पानी में रसायन मिलाकर मछली और चिड़ियों को अचेत करके उन्हें पकड़ते हैं। पानी में मिलाया जाने वाला रसायन भूगर्भ जल को दूषित कर रहा है जिसका परिणाम हजारों ग्रामीण भुगत रहे हैं।
शासन से नहीं किए गए कोई उपाय
क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांव फ्लोराइड से प्रभावित हैं । ग्रामीणों की ज़िंदगी तबाह हो रही है ,लेकिन शासन ग्रामीणों की इस समस्या पर आंख बंद किए हुये है । सठियाना गांव के राम खेलावन बताते हैं कि ग्रामीणों ने कई बार सोनिया गांधी से लेकर नीचे के हर स्तर पर प्रार्थना पत्र देकर इस समस्या के समाधान की गुहार लगाई है । करीब एक दशक पहले एक टीम गांव में जांच करने आयी थी लेकिन उसके बाद कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है ।
ग्राम प्रधान करेंगे आंदोलन
उसरैना गांव के प्रधान इफ्तिखार अहमद बताते हैं कि अधिकारियों को कई बार पत्र लिखा गया लेकिन ग्रामीणों की मदद के लिए कोई कार्यवाई नहीं की गयी है । बर्बाद हो रहे ग्रामीणों का जीवन बचाने के लिए अब ग्राम प्रधान लंबे आंदोलन की बात करते हैं । उनका कहना है कि शीघ्र ही इस संबंध में एसडीएम से मिलकर ज्ञापन सौंपा जाएगा।
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