इलेक्ट्रिक वाहनों में मुरादाबाद के लोगों की नहीं है दिलचस्पी, जानिए क्यों?

अब तक कुल 45,000 वाहन पंजीकृत हुए लेकिन, इलेक्ट्रिक चालित केवल 400

इलेक्ट्रिक वाहनों में मुरादाबाद के लोगों की नहीं है दिलचस्पी, जानिए क्यों?

आशुतोष मिश्र,अमृत विचार। खाने, पहनने और रहन-सहन के तौर तरीकों में प्रगतिशील दुनिया से कदमताल करने वाले मुरादाबाद के लोग पर्यावरण संरक्षण को लेकर कम गंभीर दिख रहे हैं। कारोबारी दृष्टि से लोग सजग हैं लेकिन, वाहनों के चयन में पर्यावरण के मुद्दे पर सतर्क नहीं हैं। इस साल गाड़ियों की खरीद में रिकार्ड बनाया है। व्यावसायिक, घरेलू, औद्योगिक वाहनों के पंजीयन से इस बात की पुष्टि हो रही है। जिले में अब तक 45,000 वाहनों का पंजीयन हुआ है लेकिन, इलेक्ट्रिक चालित वाहनों की संख्या 400 के भीतर है। वायु प्रदूषण मामले में संवेदनशील महानगर और अन्य क्षेत्रों के लिए यह खतरे की घंटी मानी जा सकती है।

बात पर्यावरण के खतरों की करें तो यहां औद्योगिक इकाइयों को लेकर बहस छिड़ती है। इसके बाद नगर निगम की चूक, लोगों की मनमानी की चर्चा से बात परिवहन विभाग और वाहनों के इर्द-गिर्द पहुंच रही है। विषय के जानकार कहते हैं कि महानगर में वाहन जनित प्रदूषण अधिक है। कई बार यह मामला यहां पुराने वाहनों के प्रयोग और संभागीय परिवहन विभाग की चौकसी तक पहुंचा है। ऐसे में यहां से हजारों की संख्या में डीजल और अन्य ईंधन से चालित वाहन दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र (एनसीआर) में रोक दिए जा रहे हैं। यह बात सौ प्रतिशत सच है कि उसके बाद भी मुरादाबाद में लोग इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आकर्षित नहीं हो रहे हैं।

संभागीय परिवहन विभाग, यातायात पुलिस और अन्य जिम्मेदार एजेंसियां डीजल चालित वाहनों को महानगर से बाहर करके ई-वाहन और रिक्शा को प्रश्रय देने में जुटी हैं। यहां 13,000 से अधिक ई-रिक्शा पंजीकृत हो गए हैं जबकि, शहरी क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से नगर निगम की ओर से 20 सवारी वाहनों का संचालन इसीलिए किया जा रहा है। लेकिन, संभागीय परिवहन विभाग के आंकड़े इस बात को पुष्ट कर रहे हैं कि यहां वाहनों के शौकीन पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर नहीं हैं क्योंकि किसी भी प्रयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहन नहीं खरीद रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीयन शुल्क सरकार ने स्थगित कर दिया है।

जनवरी से सितंबर तक यूपी में 1.70 लाख वाहन पंजीकृत
जनवरी से सितंबर के बीच राज्य में 1,70,269 इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण के साथ उत्तर प्रदेश देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की उच्चतम दर के साथ उभरा है। वैश्विक स्तर पर वाहन पंजीकरण पर नजर रखने वाली संस्था के अनुसार साल 2022 की तुलना में इस साल जनवरी और सितंबर के बीच पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल संख्या में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें भारत में 10,24,781 पंजीकृत हैं। आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के बाद, महाराष्ट्र में 1,24,558 और कर्नाटक में 1,00,235 के साथ सबसे अधिक इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हुए हैं।

सरकार का इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण, संचालन और सुविधा के मामले में अधिक फोकस है। इसके लिए पंजीयन प्रणाली में बदलाव किया गया है। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण के साथ ईंधन की कमी के मामले में यह हमारे पास उचित विकल्प है। सभी को इसे स्वीकार करना होगा। यहां इस विषय पर लोग गंभीर नहीं हैं। वाहनों के पंजीयन आंकड़े इस बात का आधार माने जा सकते हैं।-प्रणव झा, संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन)

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