सीओपी28: जलवायु परिवर्तन मुद्दों से निपटने के लिए बड़े बदलाव पर जोर दे सकता है भारत
नई दिल्ली। दुबई में आगामी सीओपी28 से पहले, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने कहा है कि उम्मीद है कि भारत की ओर से जलवायु संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए वैश्विक रणनीति में ‘‘बड़े बदलाव’’ पर जोर दिया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), भारत के जलवायु एवं पर्यावरण के लिए कार्रवाई प्रमुख डॉ. आशीष चतुर्वेदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों के केंद्र में देशों या सरकारों की बजाय लोगों को भी शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
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उन्होंने यूएनडीपी, भारत की ओर से कहा कि भारत दुनिया में जलवायु संबंधी मुद्दों से निपटने के तरीके में बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहा है। चतुर्वेदी ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता की तरह, जलवायु, स्वास्थ्य और लैंगिकता संबंधी (जेंडर) मुद्दों के बीच महत्वपूर्ण अंतर्संबंधों पर सीओपी28 में प्रमुखता से प्रकाश डाले जाने की संभावना है। 2023 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, जिसे आमतौर पर सीओपी28 के रूप में जाना जाता है, 30 नवंबर को शुरू होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह विचार अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस द्वारा शुरू किए गए पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली (एलआईएफई) आंदोलन की नींव है। एलआईएफई जीवन जीने के एक ऐसे तरीके को बढ़ावा देता है जो पर्यावरण के अनुकूल है। यह कम संसाधनों का उपयोग करते हुए उनके प्रति सचेत रहते हुए स्वस्थ रहने के बारे में है।’’
उन्होंने कहा कि सीओपी28 में ध्यान दिये जाने वाले प्रमुख क्षेत्र शमन, अनुकूलन, हानि और क्षति और वित्त रहेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की पैरोकारी जीवन शैली में बदलाव से कहीं आगे तक फैली हुई है। उन्होंने कहा कि यह यह हानि एवं क्षति कोष (एलडीएफ) में बड़े दायरे की मांग करता है तथा विकासशील देशों के लिए समावेशिता का आग्रह करता है।
एलडीएफ का लक्ष्य जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। चतुर्वेदी ने कहा कि इसके अतिरिक्त, सीओपी28 भारत के लिए 2030 तक महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने की उसकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने का एक मंच होगा।
चतुर्वेदी ने कहा, ''भारत 2030 तक अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को तीन गुना करने की राह पर है, जिसे विश्व स्तर पर मान्यता देने की जरूरत है।'' चतुर्वेदी ने कहा कि ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ सीओपी28 में प्रमुख एजेंडे में से एक होगा, जो इसके पहले दो साल के चक्र के समापन का प्रतीक होगा।
‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ देशों और अन्य हितधारकों को यह देखने में सक्षम बनाता है कि वे पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में सामूहिक रूप से कहां प्रगति कर रहे हैं और कहां नहीं। उन्होंने कहा कि यह व्यापक समीक्षा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उत्सर्जन को कम करने, लचीला बनाने और सुरक्षित वित्तपोषण के विश्वव्यापी प्रयासों का मूल्यांकन करती है। सीओपी28 का जोर ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ में उजागर कमियों को दूर करने तक विस्तारित है।
चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘सीओपी 28 ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण पल है।" सीओपी28, 30 नवंबर से 12 दिसंबर, 2023 तक दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित हो रहा है। वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के भी शामिल होने की उम्मीद है।
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