हल्द्वानी: जंगलात से 1,074 आउटसोर्स, पीआरडी, उपनल कर्मियों की जाएगी नौकरी

हल्द्वानी: जंगलात से 1,074 आउटसोर्स, पीआरडी, उपनल कर्मियों की जाएगी नौकरी

हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड वन विभाग में आउटसोर्स, उपनल और पीआरडी से नियुक्त 1,074 कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जाएगा। दिसंबर से 2,187 कर्मचारियों के सापेक्ष सिर्फ 1,113 कर्मी ही काम करेंगे। शासन के इस आदेश ने कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे वन विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

वन विभाग में प्रदेश भर में आउटसोर्स, उपनल व प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) से लगभग 2,187 कर्मचारी नियुक्त हैं। ये कर्मचारी वन विभाग में फायर वॉचर से लेकर  कंप्यूटर ऑपरेटर समेत कई पदों पर वर्षों से तैनात हैं। इन कर्मचारियों को शासन की शर्तों के अनुसार वेतन का भुगतान किया जाता है।

हाल ही में कोषागार एवं पेंशन के निदेशक ने इन कर्मचारियों के कोषागार की 08 मद से भुगतान करने पर आपत्ति लगा दी थी। निदेशक ने साफ किया था कि सिर्फ स्वीकृत पदों के सापेक्ष भर्ती किए आउटसोर्स, उपनल और पीआरडी कर्मी को ही भुगतान किया जाएगा। साथ ही यह निर्देश दिए थे कि इन कर्मचारियों के भुगतान में डीएफओ की ओर से एक शपथ पत्र लिया जाए जिसमें डीएफओ स्वीकृत पद के सापेक्ष नियुक्ति की बात स्वीकारेगा। 

इस वजह से वन अधिकारियों में खलबली मच गई थी। जब राज्य भर में जांच की गई तो कार्यरत 2,187 में से स्वीकृत पदों के सापेक्ष सिर्फ 386 ही नियुक्तियां निकलीं। इसके बाद कर्मचारियों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई थी। चार माह से वेतन नहीं मिलने पर कर्मचारियों ने डिवीजन से प्रदेश स्तर तक विरोध प्रदर्शन किया। मामला शासन में पहुंचा। 
शासन ने इस वर्ष में अक्टूबर तक का भुगतान करने का आदेश दिया है।

साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि 2,187 में से सिर्फ 1,113 कर्मी ही काम कर सकेंगे जबकि 1,074 को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। ऐसे में वन विभाग में आउटसोर्स, उपनल और पीआरडी से वर्षों से काम कर रहे 1,074 कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे। दिसंबर में डिवीजन वार कर्मचारी आवंटित कर दिए जाएंगे। फिलहाल इस आदेश के बाद वन विभाग को जंगल से लेकर ऑफिस तक में कर्मचारियों की कमी से जूझना पड़ेगा। इससे दैनिक कार्यों के साथ ही जंगल, जंगली जानवरों की सुरक्षा भी प्रभावित होगी।

नवंबर माह का वेतन राम भरोसे 
पीआरडी, उपनल, आउटसोर्स से कार्यरत 2,187 कर्मचारियों को पिछले चार माह के वेतन का भुगतान नहीं हुआ है जो कि इस सप्ताह होने की संभावना है। सभी कर्मी अब भी काम कर रहे हैं। नवंबर के बाद इन कर्मचारियों में 1,074 पर गाज गिर जाएगी तो इनके नवंबर माह के वेतन को लेकर भी संशय बना हुआ है। बाहर निकाले गए कर्मचारियों को वेतन के लिए दर-दर भटकना पड़ सकता है।

इन पदों पर काम करते हैं आउटसोर्स, उपनल, पीआरडी कर्मी 
आउटसोर्स, उपनल, पीआरडी से नियुक्त कर्मी वन विभाग में बैरियर्स पर चेकिंग दल, ड्राइवर, फायर वॉचर, बीट  वॉचर, कुक, स्वीपर, माली, केयर टेकर, चौकीदार, अर्दली, डाक वाहक, कंप्यूटर ऑपरेटर, डाटा एंट्री ऑपरेटर समेत विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं।

वर्ष 2018 में कर्मचारियों की सीधी नियुक्ति पर लगी थी पाबंदी
पूर्व में डीएफओ स्तर पर फायर वॉचर, बीट वॉचर, माली, कुक, स्वीपर वगैरह पर तैनाती हो जाती थी। शासन का मानना था कि इससे मनमानी भर्तियां की जाती हैं। वहीं जरूरतमंद के बजाय चहेतों को भी रखा जाता है। इस पर रोक लगाने के मकसद से वर्ष 2018 में शासनादेश जारी हुआ कि नियुक्तियों के लिए शासन से अनुमति लेना अनिवार्य है। इसके बाद डीएफओ स्तर पर सीधी भर्ती पर रोक लगाई थी।

दिसंबर से होगा डीएफओ का जिम्मा 
नवंबर के बाद यदि किसी भी डिवीजन ने शासनादेश के अतिरिक्त कर्मी आउटसोर्स, संविदा, उपनल या पीआरडी से तैनात होता है तो इसका जिम्मा डीएफओ का होगा। शासन सीधे डीएफओ जवाब तलब करेगा और इन कर्मचारियों का वेतन डीएफओ की सैलरी या पेंशन से वसूली करेगा। 


इसको लेकर दिसंबर के पहले सप्ताह में एक महाबैठक होगी। इस शासनादेश को खारिज करने की मांग को लेकर सचिवालय या विधानसभा कूच किया जाएगा । यदि ऐसा नहीं होता है तो 2,187 पद सृजित करवाए जाएंगे। एक भी आउटसोर्स, संविदा, उपनल या पीआरडी के कर्मी को घर नहीं बैठने दिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा। 
= चंद्र प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष, दैनिक संविदा आउटसोर्स कर्मचारी संघ वन विभाग