रामनगर: सुर्ख़ाब के बाद प्रवासी पक्षी आईबिसबिल भी पहुंची सालाना प्रवास पर
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रामनगर, अमृत विचार। हर साल की तरह इस साल भी आइबिस्बिल अपने सालाना प्रवास में गर्जिया मंदिर के पास कोसी नदी में पहुंच चुकी है। बता दें कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों की नदियों में बर्फ जमने के कारण ये पक्षी निचले कम ठन्डे स्थानों को रुख करते हैं जहां इन्हें भोजन की कमी नहीं होती है।
यह हल्की गति से बहने वाली नदियों की धाराओं के किनारे जहा रेत मिटटी और पत्थर एक साथ होते है वही रुक कर भोजन तलाश करते है ये छोटे कंकर के नीचे छिपे कीड़े मकोड़े उनके लार्वा , शैवाल, काई और कई पोष्टिक छोटे पौधों को खाते हैं।
वाइल्डलाइफ फ़ोटो ग्राफर दीप रजवार बताते हैं कि यह यहां नवम्बर से लेकर मार्च तक प्रवास करते हैं फिर बर्फ के पिघलने पर वापस लौट जाते हैं ये बहुत हैं। यह दुर्लभ हैं और छद्मावरण में माहिर होती हैं इन्हें आसानी से ढूंढ पाना मुश्किल है। बर्ड वॉचरों की पहली पसंद होती हैं और प्रवास के दौरान इसे देखने के लिए सैलानियों में भी उत्सुकता रहती है।