हल्द्वानी: मानव वन्यजीव संघर्ष : कब थमेगी यह जंग
राज्य गठन से अब तक 6 हजार से अधिक लोग जंगली जानवरों के हुए शिकार, इनमें 1 हजार से अधिक ने गंवाए प्राण
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हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड आज अपना 23 वां स्थापना दिवस मना रहा है। अब बात अगर राज्य स्थापना की हो रही है तो मानव वन्यजीव टकराव की भी होनी चाहिए। यह बात इसलिए भी होनी लाजिमी है कि इन 23 सालों में 1,060 से अधिक लोगों ने असमय जान गंवाईं और 5,135 से अधिक लोग घायल हुए। छोटे से पहाड़ी राज्य में मानव वन्यजीव टकराव की रोकथाम किसी बड़े पहाड़ सी चुनौती हो गई है।
उत्तराखंड में 70 फीसदी से अधिक भूभाग पर जंगल है, जाहिर है जंगली जानवर बाघ, गुलदार, हाथी, भालू, हिरन वगैरह भी उसी तादाद में होंगे। ये जंगल, जंगली जानवर देखने में जितने खूबसूरत है उतने ही खतरनाक और खूंखार। यही वजह है कि 9 नवंबर 2000 को राज्य गठन से अब तक 23 सालों में मानव वन्यजीवों का टकराव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। राज्य स्थापना के वर्ष में 30 लोगों ने खूंखार जानवरों का निवाला बनकर जान गंवाई थी, अब तक यह आंकड़ा 1,060 पार कर गया है।
वन विभाग इस संघर्ष की रोकथाम के लिए लाख दावे कर रहा है लेकिन थमने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। इस वित्तीय वर्ष वर्ष में अब तक 8 से अधिक लोग वन्यजीवों के हमले में प्राण खो चुके हैं। वहीं, राज्य गठन के बाद भाजपा और कांग्रेस की सरकारें आईं और गईं लेकिन इस जंग की रोकथाम को कोई ठोस इंतजाम नहीं हुए। फिलहाल इंसानी दखल से यह जंग कम थमती नहीं दिख रही है।
मानव वन्यजीव संघर्ष में अब तक हुई मौतों व घायलों का सूची
वर्ष मौत घायल
2000 30 56
2001 23 104
2002 34 129
2003 42 134
2004 28 146
2005 25 168
2006 41 152
2007 43 188
2008 26 188
2009 45 302
2010 32 217
2011 50 204
2012 51 226
2013 52 226
2014 52 347
2015 62 311
2016 66 368
2017 39 249
2018 52 239
2019 58 260
2020 62 286
2021 59 225
2022 82 325
2023 06 23
(नोट :- यह डाटा सूचना के अधिकार में प्राप्त हुआ है)
1 अरब से ज्यादा का बांट दिया मुआवजा
मानव वन्यजीव संघर्ष में मारे गए और घायल हुए लोगों को अब तक 1 अरब से ज्यादा का मुआवजा बांट दिया गया है। वर्ष 2012-13 से 2022-23 तक 11863.51 लाख रुपये का बजट मिला, इसके सापेक्ष 10890.67 लाख रुपये मुआवजा बांटा गया है। 1937.50 लाख रुपये की राशि ब्याज सहित सरकार को वापस की गई है। नियोजन कार्यालय स्तर पर 35.34 लाख की धनराशि शेष है। बता दें कि, राज्य गठन से वर्ष 2012 तक मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली लागू नहीं थी। नवंबर 2012 में इसके बाद यह नियमावली लागू की गई है। एक छोटे से राज्य में 1 अरब से ज्यादा का मुआवजा बांटना विकास की गति को धीमी करता है।
वन्यजीवों ने पलायन को भी कर दिया मजबूर
राज्य में सकल बुवाई क्षेत्र 701 हजार हेक्टेयर है। खुद वन मंत्री ने स्वीकारा था कि वन्यजीव खेती को बर्बाद कर रहे हैं। पर्वतीय जिलों में बंदरों और जंगली सुअर फसल चौपट कर रहे हैं तो मैदानी जिलों में खेती हाथी, नीलगाय की भेंट चढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार राज्य की 30 फीसदी फसल वन्यजीव चौपट कर रहे हैं। इसकी सीधी चोट किसान पर पड़ रही है नतीजा किसान खेती छोड़ काम की ओर रुख कर रहे हैं जिससे पलायन को बढ़ावा मिल रहा है।
- सुबोध उनियाल, वन मंत्री, उत्तराखंड