नाबालिग संग लिव इन रिलेशनशिप की इजाजत से High court का इंकार

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिग प्रेमिका को नाबालिग संग लिव इन रिलेशनशिप की इजाजत देने से इन्कार करते हुए कहा कि जो लड़का खुद अपने पिता पर निर्भर है, वह प्रेमिका की देखभाल नहीं कर सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मो. अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने गाजीपुर निवासी बालिग प्रेमिका आंचल राजभर और आजमगढ़ निवासी उसके नाबालिग साथी जय हिन्द राजभर की ओर से अपहरण की प्राथमिकी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए दिया।
याचिका में संलग्न तथ्यों के अनुसार मामला गाजीपुर के बहरियाबाद क्षेत्र का है। याची (प्रेमिका) के पिता हरिराम राजभर ने बेटी के नाबालिग प्रेमी के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 (अपहरण) की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। याची (प्रेमिका) और उसके साथी ने संयुक्त रूप से याचिका दाखिल कर प्राथमिकी रद्द करने की मांग की।
बहस के दौरान अधिवक्ता ने तर्क देते हुए कहा कि दोनों काफी समय से अपनी मर्जी से साथ रह रहे हैं, इसलिए नाबालिग प्रेमी के खिलाफ प्राथमिकी रद्द की जानी चाहिए। दोनों याची एक-दूसरे के साथ खुश हैं। अपनी जिंदगी साथ जीना चाहते हैं। उन्हें साथ रहने की इजाजत और सुरक्षा भी दी जानी चाहिए। कोर्ट ने याचियों द्वारा दाखिल दस्तावेजों में पाया कि प्रेमिका बालिग है, लेकिन प्रेमी नाबालिग है। इस पर आश्चर्य जाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक नाबालिग प्रेमी अपनी प्रेमिका की जिम्मेदारी कैसे निभा सकता है जो खुद अपने पिता के सहारे जिंदगी जी रहा है। अत: कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए प्राथमिकी रद्द करने और याचियों को लिव इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत देने से स्पष्ट शब्दों में इन्कार कर दिया।
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