बरेली: कुतुबखाना पुल बने न बने, ढाई महीने नहीं बंद रखेंगे दुकानें

बरेली, अमृत विचार। कुतुबखाना पुल के बाकी निर्माण को पूरा करने के लिए ढाई महीने तक सैकड़ों दुकानों को बंद कराने की प्रशासन की कोशिश ने व्यापारियों में नया उबाल पैदा कर दिया है।
व्यापारियों ने इतने लंबे समय के लिए दुकानें बंद करने से साफ इन्कार करते हुए एलान कर दिया है कि अगर जबरन बाजार बंद कराने की कोशिश की गई तो वे उसके खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठने के साथ जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे। छह महीने के अंदर काम पूरा करने का वादा करके शुरू किया गया कुतुबखाना पुल का निर्माण
अब व्यापारियों के लिए बेहद संवेदनशील मोड़ पर पहुंच गया है। निर्माण कार्य की शुरुआत हुए पूरा साल हो चुका है लेकिन अब भी काफी निर्माण बाकी है। इस बीच सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी कर जल्दबाजी में काम कराने के चक्कर में हुए हादसों में एक मजदूर और ठेकेदार की मौत हो चुकी है। जनप्रतिनिधियों का अफसरों पर दबाव है कि लोकसभा चुनाव से पहले हर हालत में पुल का निर्माण पूरा कर लिया जाए लेकिन कोतवाली से कोहाड़ापीर तक भारी आवाजाही के बीच फिलहाल जिस गति से निर्माण हो रहा है, उससे चुनाव तक उसके पूरा हो पाने की गुंजाइश कम ही दिख रही है।
इस बीच प्रशासन की ओर से ढाई महीने के लिए बाजार बंद कराकर पुल का निर्माण तेज करने की कोशिश शुरू कर दी गई है जिसकी वजह से बाजार में फिर माहौल गर्म होने लगा है। कहा जा रहा है कि बाजार इतने लंबे समय के लिए बंद हुआ तो इलाके के सैकड़ों व्यापारियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। व्यापारियों का अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है।
उनका कहना है कि नेताओं ने व्यक्तिगत राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए बेवजह पुल का निर्माण शुरू कराकर सैकड़ों व्यापारियों को तबाह कर दिया है। अब वे किसी हालत में यह मनमानी और बर्दाश्त नहीं करेंगे। पुल बने या न बने, दुकानें बंद नहीं की जाएंगी। अगर दुकानों के शटर जबरन बंद कराए गए तो वे भूख हड़ताल के साथ जेल भरो आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
पहले से कर्ज में डूबे हैं, दुकानें बंद हुईं तो उबर नहीं पाएंगे
दुकानदारों का कहना है कि साल भर से वे लगातार नुकसान झेल रहे हैं। बहुत दुकानदार ऐसे हैं जो हालत काफी पतली होने के बाद भी किसी तरह बाजार में टिके हुए हैं। अब अगर त्योहारों के सीजन में बाजार ही बंद करा दिया गया तो न उनमें हौसला बचेगा न व्यापार को फिर खड़ा करने का कोई रास्ता। परिवार का खर्च, बिजली बिल, किराया, बैंक का कर्ज, बच्चों की स्कूल फीस जैसे तमाम खर्च पूरे होने मुश्किल हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने वादा किया था कि जब पुल का निर्माण होगा तो एक पिलर से दूसरे पिलर तक की ही दुकानें बंद रहेंगी। अब जबर्दस्ती पूरा बाजार बंद करने को कहा जा रहा है।
अब हालात और झेलने लायक नहीं
अधिकारियों ने व्यापारियों से जो वादे किए थे, उनमें से एक भी पूरा नहीं कर सके। हालात इतने खराब हैं कि कई दुकानदार अब दूसरों के यहां नौकरी करनी पड़ रही है। अब बाजार बंद करने का दबाव बनाकर उनका मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। जल्द इसके खिलाफ जन आंदोलन शुरू करेंगे। - नदीम शम्सी, व्यापारी नेता
व्यापारियों को पूरी तरह नजरंदाज कर कार्यदायी संस्था अपनी जिद पर अड़ी है। इसलिए हमने भी तय कर लिया है कि कुतुबखान पुल अब बने न बने, अपनी दुकान किसी कीमत पर बंद नहीं करेंगे। कारोबार तो वैसे भी चौपट है। दुकान बंद हुई तो लाखों रुपये का सामान भी बर्बाद हो जाएगा। - सोनू सिंह, मशीनरी व्यापारी
कुतुबखाना पुल से व्यापारियों का लगातार नुकसान हो रहा है। मजबूर होकर कई दुकानदारों ने भारी संख्या में अपने कर्मचारियों को हटा दिया है। इससे उनके सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है। इससे बुरी स्थिति क्या होगी कि कई व्यापारी तो अपना कारोबार बंद कर दूसरों के यहां नौकरी कर रहे हैं। - रजत, व्यापारी नेता
नवरात्रि, धनतेरस और दिवाली के साथ कई त्योहार अगले दो महीनों में आने हैं। दुकानदारों को इन्हीं दिनों में कुछ कारोबार होने की उम्मीद है। अगर ढाई महीने के लिए बाजार बंद किया तो कई दुकानदार परिवार का खर्च, बिजली बिल, बैंक से लिया कर्ज नहीं चुका पाएंगे और तबाह हो जाएंगे। - दर्शनलाल भाटिया, कपड़ा व्यापारी
कुतुबखाना पुल का निर्माण कार्य शुरू से काफी धीमी गति से होने से दिक्कतें पैदा हुई हैं। पुल का जो भी जोखिम भरा काम है, अफसरों को उसे रात में लाइट की भरपूर व्यवस्था के साथ करना चाहिए ताकि लोग सुरक्षित रहें और दिन में व्यापारियों को व्यापार करने का भी मौका मिलता रहे। - दीपक अग्रवाल, व्यापारी नेता
अफसर और जनप्रतिनिधियों ने इस इलाके में छोटे दुकानदारों का कारोबार जड़ से खत्म कर दिया है। पहली बार देखने को मिल रहा है कि कई व्यापारी पूरे-पूरे दिन दुकान पर बैठने के बावजूद बोहनी तक के लिए तरस जाते हैं। पुल बनें या नहीं, व्यापारियों को अपनी दुकानें खोलने की छूट मिलनी चाहिए। - चंद्र गुलाटी, व्यापारी
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