जहां से पैदा हुआ वहीं से लुप्त होने की कगार पर 'रामपुर हाउंड', पढ़िए रामपुर नवाबों के शिकारी डॉग की विशेष स्टोरी
भारत की एकमात्र डॉग ब्रीड वर्ड डॉग फेडरेशन में रजिस्टर्ड

रामपुर हाउंड डॉग के साथ डॉग प्रेमी इरशाद अली खां।
आशुतोष शर्मा, अमृत विचार। जी हां...यह बिल्कुल सच है। जहां से 'रामपुर हाउंड' डॉग की ब्रीडिंग हुई वहीं से यह लुप्त हो चुका है। भारत की यह एक मात्र डॉग ब्रीड है जोकि वर्ल्ड डॉग फेडरेशन में रजिस्टर्ड है। इसकी प्रजाति दिनों दिन विलुप्त होने की कगार पर है। एक समय था, जब रामपुर शहर में ही इसी नस्ल के 6000 कुत्ते हुआ करते थे। लेकिन मौजूदा समय में रामपुर में इस नस्ल के कुत्ते ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते हैं।
- 1805 में रामपुर के नवाब ने 'रामपुर हाउंड' की नस्ल को किया था तैयार
- 60 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पांच छह किलोमीटर दौड़ने की ताकत
- 6000 रामपुर हाउंड नस्ल के कुत्ते एक समय में होते थे रामपुर शहर में
- 2021 में रामपुर हाउंड को इरशाद अली ने दिलाई अंतर्राष्ट्रीय पहचान
डॉग प्रेमी इरशाद अली खां बताते हैं, सन् 1805 में रामपुर के नवाब अहमद अली खान बहादुर ने 'रामपुर हाउंड' की नस्ल को इंग्लैंड के 'ग्रेहाउंड' और अफगान की 'ताजी' नस्ल के क्रास प्रजनन से पैदा किया था। तभी से इस कुत्ते का नाम रामपुर हाउंड रखा गया था। नवाबों ने इस कुत्ते को शिकार करने के लिए विकसित किया था। यह एकमात्र कुत्ता ऐसा था, जोकि तेंदुए और भेड़िए का भी शिकार करने की ताकत रखता था। मौजूदा समय में रामपुर जिले के अंदर इस नस्ल के कुत्ते नहीं हैं। चार-पांच हैं भी तो उनकी नस्ल दोगली हो गई है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यह नॉन स्टॉप पांच से छह किलोमीटर तक 60 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। इसकी खोपड़ी छोटी और गर्दन लंबी होती है। चेस्ट (सीना) बड़ा और शरीर में आरबीसी (लाल रक्त कोशिका) सर्वाधिक होने के कारण यह बहुत फुर्तिला और न थकने वाला कुत्ता माना जाता है। यह किसी भी रंग का हो सकता है, लेकिन इसके शरीर पर धारी होना जरूरी है।
इरशाद अली ने दिलाई अंतर्राष्ट्रीय पहचान
दो वर्ष पहले इस कुत्ते की नस्ल को केवल प्रदेश के लोग ही जानते थे, लेकिन वर्ष 2021 में डॉग प्रेमी इरशाद अली खां (रिटायर्ड इंजीनियर, सिंचाई विभाग) ने जून 2021 में इसे वर्ड डॉग फेडरेशन में रजिस्टर्ड कराकर इस भारतीय ब्रीड को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। इरशाद अली वर्ष 2005 में बहराइच से स्थानांतरित होकर रामपुर आए थे। तभी से वह उप्र की धरोहर रामपुर हाउंड की नस्ल को बचाने के प्रयास में जुटे हैं। 2022 में इन्हें केनल क्लब सतना (मध्यप्रदेश) के द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड भी दिया गया है। एशिया की एक संस्था द्वारा ब्रीडिंग डिप्लोमा भी दिया गया है। 2023 में उप्र के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी इरशाद अली को सम्मानित कर चुके हैं। मौजूदा समय में यह लखनऊ में रहते हैं और इनके पास इसी नस्ल के छह से सात कुत्ते हैं। अक्सर इनका रामपुर में आना जाना रहता है।
'रामपुर हाउंड' नस्ल की खासियत
- यह डॉग अत्यंत फैमिलियर होता है।
- दुनिया की एकमात्र शाही नस्ल।
- बहुत ही फुर्तिला और वफादार।
- पहरेदारी, गार्डनिंग और शिकार में माहिर।
- स्किन या अन्य बीमारी न के बराबर।
- पतला और विशाल आकार का कुत्ता।
- शिकार के दौरान पूंछ सीधी हो जाना।
केंद्र सरकार इसके नाम पर जारी कर चुकी टिकट
रामपुर हाउंड के नाम पर वर्ष 2005 में केंद्र सरकार ने डाक टिकट भी जारी किया था। वहीं मध्यप्रदेश पुलिस ने इसे डॉग स्क्वाड में भी शामिल कर रखा है। इस ब्रीड के डॉग साउथ इंडिया के कुछ क्षेत्रों में पाए जाते हैं। लेकिन उप्र में यह प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है।
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