पीलीभीत: माला रेंज के 8 किमी जंगल मार्ग पर बेलगाम रफ्तार, हादसों की लगातार बढ़ रही घटनाएं

पीलीभीत, अमृत विचार: एक दिन पहले ही तेज रफ्तार पिकअप की चपेट में आकर एक मादा तेंदुए की जान चली गई। इस हादसे में पिकअप के 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक दौड़ने की चर्चा तेज हो गई। पिकअप चालक के बारे में अभी जानकारी नहीं जुटाई जा सकी है।
वहीं, इस हादसे के बाद भी जंगल मार्गों पर वाहनों की तेज रफ्तार को लेकर कोई सख्ती नहीं की जा सकी है। हादसे के दूसरे ही दिन माला रेंज के जंगल मार्ग पर स्थिति बद से बदतर हो गई। वन विभाग की ओर से निगरानी के नाम पर सिर्फ बैरियर लगाकर कर्तव्यों से इतिश्री कर ली गई है।
बता दें कि पीलीभीत-माधोटांडा रोड पर रिछौला पुलिस चौकी के आगे से जंगल की शुरुआत होती है। करीब आठ किमी का जंगल मार्ग है। वैसे तो इस मार्ग पर वाहनों की रफ्तार 30 किमी प्रति घंटा निर्धारित है। इसे लेकर बोर्ड भी लगाए गए हैं, ताकि वाहन चालकों को इसकी जानकारी हो।
कई बार अधिकारी इसे लेकर सख्ती करने के दावे भी कर चुके हैं, मगर सख्ती के नाम पर सिर्फ बयानबाजी ही हो सकी है। शनिवार को पीलीभीत-माधोटांडा मार्ग पर सड़क पार कर रहा एक मादा तेंदुआ तेज रफ्तार पिकअप की चपेट में आकर जान गंवा गया।
उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो चोटें सामने आईं, उनसे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह वाहन से तेंदुआ घसीटता चला गया। इससे पहले भी इस मार्ग पर कई हादसे हो चुके हैं। अमृत विचार की टीम ने दूसरे दिन रविवार दोपहर को इस मार्ग पर वाहनों की रफ्तार को लेकर निर्धारित किए गए नियमों की हकीकत परखी, तो हालात बदतर ही नजर आए। बता दें कि इस मार्ग पर पीटीआर की माला रेंज का जंगल है। करीब आठ किमी के जंगल मार्ग पर दो स्थानों पर बैरियर तो लगे मिले, लेकिन मार्ग के दोनों तरफ कोई भी वनकर्मी ड्यूटी पर नहीं था।
मार्ग से गुजरने वाले वाहनों की स्पीड चेक करने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं थे। इतना जरूर है कि इस दायरे में आठ से नौ स्पीड ब्रेकर थे। मगर उसके बाद भी चार पहिया हो या फिर दुपहिया वाहन चालक फर्राटा भरकर गुजरते रहे।
सवाल यह है कि 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तो तय कर दी गई है, लेकिन इसका पालन कौन कराएगा? जबकि पहले भी इसी तरह से अन्य वन्यजीवों भी तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आ चुके हैं। हालांकि तर्क यह भी है कि इस पर कार्रवाई परिवहन विभाग के अधिकारियों को करनी चाहिए।
असम हाईवे पर भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं
पीलीभीत-माधोटांडा मार्ग की तरह ही असम हाईवे पर भी माला रेंज का जंगल है। वहां पर भी जंगल मार्ग पर गति सीमा निर्धारित करते हुए बैरियर लगा दिए गए हैं। लेकिन उस पर भी किसी तरह की निगरानी नहीं कराई जा रही है। दावे यह भी किए जाते हैं कि वाहन चालकों को चेतावनी देने के साथ ही जागरूक किया जाता है। मगर जब किसी की तैनाती ही नहीं दिख रही, तो जागरूक कौन और कैसे कर रहा है?
जिम्मेदारों के वाहन भी भरते हैं फर्राटा
इस मार्ग पर आम नागरिकों के साथ ही जिम्मेदारों के काफिले भी गुजरते हैं। मगर, उनमें भी 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाले गति सीमा का पालन नहीं दिखता। उनकी गाड़ियां भी तेज रफ्तार में फर्राटा भरती हैं।
वनाधिकारी का बयान
जंगल मार्गों पर ओवरस्पीड से गुजरने वाले वाहनों को लेकर लगातार निगरानी की जाती है। मार्ग पर लगाए गए बैरियरों पर समय-समय पर वन कर्मियों द्वारा वाहनों को रोक उनके चालकों को निर्धारित गति से चलाने के लिए जागरूक किया जाता है - रॉबिन सिंह, क्षेत्रीय वनाधिकारी माला रेंज।
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