बरेली: मुस्तफ़ा की रज़ा हैं मुफ्ती-ए-आज़म- मौलाना अदनान रज़ा

बरेली: मुस्तफ़ा की रज़ा हैं मुफ्ती-ए-आज़म- मौलाना अदनान रज़ा

बरेली, अमृत विचार। हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म असल में प्यारे मुस्तफ़ा सल्ललाहो अलैहेवसल्लम की रज़ा और अता हैं। उन्होंने सरकार आला हज़रत के मिशन के आगे बढ़ाने के लिए अपनी सारी ज़िंदगी लगा दी। आज दुनिया भर में मसलक-ए-आला हज़रत का जो डंका बज रहा है, यह उनकी मेहनतों का सिला है। अगर हमें अपना ईमान और अक़ीदा सलामत रखना है तो यह ज़रूरी है कि मुफ्ती-ए-आज़म हिंद के बताए रास्ते पर चलें। 

उर्स-ए-आला हज़रत के दूसरे दिन मरकज़ी मस्जिद बीबी जी में आयोजित पैग़ाम-ए-मुफ्ती-ए-आज़म हिंद कॉन्फ्रेंस में ख़ुसूसी ख़िताब करते हुए नबीरा-ए-आला हज़रत व ऑल इंडिया रज़ा एक्शन कमेटी (आरएसी) के नायब सदर हज़रत मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने अक़ीदत की ख़ुशबू में डूबे ये जुमले बयान फ़रमाए।

उर्स के दूसरे दिन सुबह से ही अकीदतमंद ख्वाजा कुतुब स्थित आरएसी मुख्यालय बैतुर्रज़ा पर हज़रत मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी से मुलाक़ात करने पहुंचने शुरू हो गए। दिन चढ़ते-चढ़ते ज़िले के विभिन्न इलाक़ों से आरएसी की टीमें चादरों के जुलूस लेकर पहुंचने लगीं। इनमें रिठौरा, गैनी, बिथरीचैनपुर किला छावनी भेटा बशारतगंज फरीदपुर कस्सावन सहित कई जगह से आए जुलूस शामिल थे।

दोपहर लगभग 1 बजे हज़रत अदनान मियां कांकर टोला स्थित ख़ानक़ाह-ए-अमीन-ए-शरीअत पर पहुंचकर सज्जादानशीं हज़रत सलमान रज़ा ख़ां साहब के साहिबज़ादे मौलाना सुफ़ियान रज़ा ख़ां की दस्तार-ए-फ़जीलत के जश्न में शरीक हुए। इस मौक़े पर अमीन-ए-शरीअत का क़ुल शरीफ़ हुआ।

इस दौरान आरएसी मुख्यालय, क़रौलान और कोहाड़ापीर सहित कई जगहों पर लंगर जारी रहा। रात को इशा की नमाज़ के बाद मरकज़ी मस्जिद बीबी जी में पैग़ाम-ए-मुफ्ती-ए-आज़म हिंद कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें मुल्क के कोने-कोने से आए उलमा व अक़ीदतमंद शरीक हुए।

कॉन्फ्रेंस में ख़िताब करते हुए नबीरा-ए-आला हज़रत मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने कहा कि हम सुन्नियों पर हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म का बहुत बड़ा एहसान है। आला हज़रत के बाद जब चारों तरफ़ से दीन पर हमले होने लगे तो हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिंद ने हमारे ईमान और अक़ीदे की हिफ़ाज़त की। उनका यह एहसान हमें कभी नहीं भुलाना है। हमें अपने बच्चों की इस तरह तरबीयत करनी है कि वो भी हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिंद की शान बयान करते बड़े हों। 

उन्होंने कहा कि मुफ्ती-ए-आज़म हिंद को सबसे बड़ा ख़िराज-ए-अक़ीदत यही है कि हम अपने अक़ीदे की हिफ़ाज़त करें और बदमज़हबियत से बचें। कॉन्फ्रेंस में हज़रत मुफ्ती उमर रज़ा मुरादाबादी ने भी ख़िताब किया। उन्होंने हर तरह के नश से बचने, दहेज की बुराई से दूर रहने, फिज़ूलखर्च बंद करने और इल्म हासिल करने पर ज़ोर दिया। 

इस मौक़े पर मौलाना शाहिद रज़ा, मुफ्ती इरशाद रज़ा, मौलाना उमर रज़ा, मौलाना कमरुज्जमा शायर ए  इस्लाम, क़ाज़ी ए शहर कंधार महाराष्ट्र मौलाना हमदम फैजी, नईम अख़्तर आकिब इलाहाबादी,  शहजील रज़ा नसीम बरकाती आलम बरकाती उस्मान रज़ा ने भी ख़िताब और कलाम पड़े। आख़िर में 1बजकर 40 मिनट पर हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिंद का क़ुल शरीफ़ हुआ और हज़रत अदनान रज़ा क़ादरी ने ख़ुसूसी दुआ फ़रमाई।

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