जगदीप धनखड़ न कहा- एक राष्ट्र एक चुनाव पर चर्चा होनी चाहिए

जगदीप धनखड़ न कहा- एक राष्ट्र एक चुनाव पर चर्चा होनी चाहिए

नई दिल्ली। संसद में व्यवधानों को अनुचित करार देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि एक राष्ट्र एक चुनाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर गंभीरता से विचार विमर्श किया जाना चाहिए। धनखड़ ने मंगलवार को कोटा में विभिन्न कोचिंग सेंटरों के छात्रों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव जैसे मुद्दे पर आवश्यक चर्चा होनी चाहिए।

इससे सहमत होना या ऐसे असहमत होना, प्रत्येक व्यक्ति का अपना विवेक है। संसद में व्यवधानों को अनुचित बताते हुए उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी पंचायत संवाद और विचार-विमर्श का मंच होनी चाहिए तथा इसे शोर-शराबे और हंगामे का मंच नहीं बनना चाहिए। 

उन्होंने कहा, “एक मुद्दा आया वन नेशन- वन इलेक्शन का। कह रहे हैं, हम चर्चा ही नहीं करेंगे। अरे चर्चा करना आपका काम है। उससे सहमत होना या ना होना आपका विवेक है।” धनखड़ ने कहा, “ लोकतंत्र में चर्चा नहीं होगी तो वह लोकतंत्र कहां है? लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए आवश्यक है कि चर्चा और विमर्श हो।” सरकारों द्वारा मुफ्त बांटने को गलत प्रवृत्ति बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जोर पूंजीगत व्यय पर अधिक होना चाहिए ताकि स्थायी आधारभूत ढांचा बनाया जा सके। ऐसा करने के बजाय यदि कोई सरकार लोगों को निःशुल्क देती है तो यह लाभ अल्पकालिक होगा‌ और इससे दीर्घकालिक नुकसान उठाने पड़ेंगे। 

भारतीय इतिहास पढ़ाने से संबंधित एक छात्र के प्रश्न के जवाब में उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि हर छात्र-छात्रा को इतिहास पढ़ना चाहिए। भले ही उनके अध्ययन के विषय कुछ भी हों। एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए धनखड़ ने कहा कि प्राइमरी शिक्षा बच्चों का आधार तैयार करती है, अतः प्राइमरी शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर बल देना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, “भारतीय होने पर गर्व कीजिए, भारत की उपलब्धियों पर गर्व कीजिये और हर हाल में राष्ट्र को सर्वोपरि रखिए। भारत आज बुलंदियों पर है लेकिन कुछ सिरफिरे परेशान हैं और मजबूत भारत को मजबूर भारत बताना चाहते हैं।” बाद में उपराष्ट्रपति ने सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ के पूर्व छात्रों से भी मुलाकात की। 

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