यूपी में लंपी ने पसारे पांव, नौ पशुओं की मौत, 13 जिलों में 1074 पशु संक्रमित
प्रदेश में अलर्ट जारी, रोकथाम को बनी टीमें, टीकाकरण शुरू

लखनऊ, अमृत विचार। प्रदेश में लंपी स्किन डिजीज ने फिर से पशुओं को चपेट में ले लिया है और यह रोग गोवंशीय पशुओं में तेजी से फैल रहा है। पशुपालन विभाग को 35 जिलों में पशुओं के संक्रमित होने की सूचना मिली है। जहां पशुओं की गणना की जा रही है। जबकि अयोध्या, आजमगढ़, बलिया, बलरामपुर, कुशीनगर, ललितपुर, महाराजगंज, रायबरेली व सुलतानपुर समेत 13 जिलों में 1074 पशु 31 अगस्त तक तेजी से संक्रमण की चपेट में आए हैं।
वहीं, कुशीनगर में सात व महाराजगंज में दो पशुओं की संक्रमण से मौत हो गई है। दोबारा संक्रमण फैलने से पशु पालन विभाग में हड़ंकप मच गया है। इधर, शासन ने सभी जिलों में अलर्ट जारी कर टीमें बनाकर संक्रमित पशुओं को क्वारंटाइन करने के साथ रोकथाम के निर्देश दिए हैं। 5 से 12 सितंबर तक प्रदेश में व्यापक स्तर पर संक्रमित व सामान्य पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा। संयुक्त निदेशक एमआई खान ने बताया रोकथाम की जा रही है। टीकाकरण व निगरानी के लिए टीमें गठित की गई हैं।
इन जिलों में संक्रमण की सूचना, गणना शुरू
बरेली, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, शाहजहांपुर, बलरामपुर, बांदा, अयोध्या, रायबरेली, गोंडा, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, कन्नौज, औरैया, आगरा, कौशांबी, कुशीनगर, महोबा, महाराजगंज, आजमगढ़, अलीगढ़, बागपत, बलिया, बांदा, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हमीरपुर, मथुरा, मुज्जफर नगर, संत कबीर नगर, सुल्तानपुर व वाराणसी में संक्रमण की सूचना है। जहां पशुओं की गणना शुरू कर दी गई है।
11 मंडल की निगरानी को उच्च अधिकारी नामित
11 मंडलों की निगरानी व समीक्षा के लिए नोडल अधिकारी नामित किए हैं। जो जिलों का दौरा करेंगे। इसमें अपर मुख्य सचिव पशुधन विभाग डॉ. राजनीश दुबे झांसी मंडल, दुग्ध आयुक्त शशि भूषण लाल सुशील गोरखपुर, विशेष सचिव पशुधन देवेंद्र कुमार पांडेय वाराणसी व विन्ध्याचल, प्रबंध निदेशक पीसीडीएफ आनंद सिंह अयोध्या व देवीपाटन, विशेष सचिव दुग्ध विकास राम सहाय यादव प्रयागराज व चित्रकूट, निदेशक पशुपालन लखनऊ, संयुक्त निदेशक प्रशासन पशुपालन अमित कुमार कानपुर व अपर निदेशक पशुपालन डॉ. जयकेश पांडेय आजमगढ़ मंडल।
शरीर में पड़ती गांठे, बुखार से होती मौत
लंपी वायरल बीमारी है, जो गाय, बछिया, बैल, सांड में फैलती है। जबकि भैंस कम चपेट में आती हैं। इससे पूरे शरीर पर गांठें पड़ती हैं खासकर सिर व गर्दन में गांठें ज्यादा होती हैं जो घाव बन जाती हैं और मच्छर, मक्खियों व खून चूसने वाले कीड़ों से यह वायरस एक से दूसरे पशु में फैलता है। तेज बुखार से मौत हो जाती है। पिछले वर्ष इसी समय हरियाणा व राजस्थान से यह वायरस उत्तर प्रदेश में आया था और उस दौरान टीकाकरण कर रोकथाम की गई थी।
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