राहत की बात

राहत की बात

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय करेंसी रुपया को उचित स्थान दिलाने के उद्देश्य से सरकार कई स्तर पर काम कर रही है। क्योंकि विश्व स्तर पर स्वीकृत रुपया भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को सुदृढ़ कर सकता है। इससे भारत की आर्थिक संप्रभुता बढ़ेगी और मुद्रा में उतार-चढ़ाव का जोखिम कम होगा।

सरकार के लिए राहत की बात है कि 22 देशों की तरफ से भारतीय रुपए में कारोबार करने को लेकर उत्सुकता दिखाई गई है। इन  देशों की नजर भारत के बाजार में बड़ी भागीदारी पाने पर है। साथ ही इन देशों की ओर से मांग की गई है कि उनकी कंपनियों को भारत में आसानी से कारोबार करने की सुविधाएं दी जानी चाहिए। इनका कहना है कि जब वो भारत से ज्यादा कारोबार करेंगे तभी भारतीय रुपए का इस्तेमाल कर सकेंगे। हालांकि रुपया अभी अंतर्राष्ट्रीयकरण से बहुत दूर है।

वैश्विक विदेशी मुद्रा बाज़ार में रुपए की दैनिक औसत हिस्सेदारी मात्र 1.6 प्रतिशत है,जबकि वैश्विक माल व्यापार में भारत की हिस्सेदारी मात्र दो प्रतिशत है। विदेश मंत्रालय की ओर से लोकसभा में बताया गया है कि बेलारूस, बोत्सवाना, फिजी, जर्मनी, गुयाना, इजरायल, केन्या, मलेशिया, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, ओमान,रूस, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, तंजानिया, युगांडा, बांग्लादेश, मालदीव, कजाखस्तान, ब्रिटेन के बैंकों ने भारतीय बैंकों के साथ रुपए में कारोबार करने के लिए विशेष वोस्ट्रो खाता खोल रखा है। अगले कुछ महीनों में पांच-छह अन्य देशों के बैंक भी उक्त खाता खोलने की प्रक्रिया में हैं। इसके बावजूद पड़ोसी देशों की कुछ चिताएं भी हैं। 

वर्ष 2016 में विमुद्रीकरण ने भूटान और नेपाल में भारतीय रुपए के प्रति भरोसे को झटका दिया। इससे दोनों देशों में आगे फिर नोटबंदी का भय बना है। इस वर्ष दो हजार रुपये के नोट को वापस लेने के कदम से भी रुपए के प्रति भरोसे पर असर पड़ा है। पड़ोसियों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को ध्यान में रखे बिना रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण शुरू नहीं किया जा सकता। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ समय में रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए कई उपाय भी किए हैं।

इसी माह 15 जुलाई को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) के सेंट्रल बैंक ने दो समझौतों पर दस्तखत किए। इन समझौतों में दोनों देशों का आपसी व्यापार रुपए और दिरहम यानी यूएई की करेंसी के जरिए करने की बात कही गई है। करीब एक वर्ष पहले यानी बैंकों को रुपए में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट करने की इजाजत भी दी थी। ये कदम भारतीय करेंसी के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में आगे बढ़ाने वाले माने जा रहे हैं।