बदायूं: बाढ़ की विभाीषिका से खतरे में घिरी जिंदगी, गांवों की ओर बढ़ रही गंगा

बदायूं, अमृत विचार। पहाड़ों पर हो रही बारिश मैदानी इलाकों में तबाही मचा रही है। नरोरा बैराज पर खतरे को देखते हुए गंगा में लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे गंगा ने विकराल रूप धारण कर लिया है। गंगा में आई बाढ़ सबसे ज्यादा तबाही उसहैत इलाके में मचा रही है। जहां गांवों में पानी घुसने से मकान ढहने लगे हैं। गंगा तेजी से कटान करती हुई गांवों की तरफ बढ़ रही हैं।
कादरचौक इलाके में सड़कों पर पानी भरने से लोग अपने गांवों में कैद हैं। बाढ़ की वजह से खेतों में फसलें पूरी तरह डूब चुकी हैं। बाढ़ की चपेट में आये गांवों के लोग बांधों, स्कूलों और दूसरे स्थानों पर टेंट लगाकर गुजारा कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन के अधिकारी औपचारिकता निभाकर चले जाते हैं।
गंगा का जलस्तर मंगलवार को और बढ़ गया। मंगलवार को नरौरा बैराज से 2 लाख 13 हजार क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया। पानी बढ़ने से गंगा में और ऊंची लहरें उठने लगीं हैं। कछला में गंगा खतरे के निशान से 87 सेंटीमीटर ऊपर निकल गईं। इससे स्थिति और भयाभय हो गयी है। बाढ़ खंड के अधिकारियों के अनुसार बाढ़ग्रस्त इलाकों पर लगातार निगरानी जारी है। गंगा के तटवर्ती 18 गांवों में बाढ़ का पानी कभी घुस सकता है।
वहीं उसहैत इलाके के ग्राम प्रेमी नगला, जटा, कमलू नगला, बेहटी, असमियां रफतपुर, अहमदनगर बछौरा और भुंडी समेत 11 गांवों पूरी तरह बाढ़ की चपेट में हैं। इन गांवों को जाने वाले सम्पर्क मार्गों पर पानी भर जाने से रास्ते बंद हो गये हैं, जिससे ग्रामीण बेहद दहशत में हैं। ग्रामीणों के मुताबिक खेतों में गन्ने की फसल तो दिख रही है, लेकिन धान की फसल पूरी तरह पानी में डूब गयी है। इन गांवों के लोगों को प्रशासन ने बाहर ले जाकर ऊंचे स्थानों पर रूकने को जगह दी है।
बाढ़खंड के अधिशासी अभियंता उमेश चन्द्र ने मंगलवार को उसहैत इलाके में जाकर बाढ़ का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में पुलिस पेट्रोलिंग कर रही है। प्रशासनिक अधिकारी भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। बाढ़खंड के अवर अभियंता नेशपाल ने बताया कि उसावां क्षेत्र के गांव तटबंध के बाहर हैं, इसलिए उन गांवों को अभी खतरा नहीं है। तटबंधों के अंदर वाले गांवों पानी घुस गया है।
सहसवान इलाके में पिछले चार-पांच दिनों से गंगा-महावा नदी में लगातार जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांव भमरोलिया, वीर सहाय नगला, खागी नगला, परशुराम नगला में पानी भरा हुआ है। अधिकांश ग्रामीण जीएम बांध पर शरण ले चुके हैं। हालांकि बाढ़ पीड़ितों की दुश्वारियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। बाढ़ आने से धान, उड़द की फसलें पूरी तरह गंगा में समा चुकी हैं। बाढ़ के चलते पशुओं को चारे की दिक्कत हो रही है। मंगलवार को सहसवान एसडीएम प्रेमपाल सिंह ने राजस्व टीम के साथ बाढ़ पीड़ित क्षेत्र का दौरा किया। उधर, मंगलवार को रामगंगा का जलस्तर 160,030 गेज मापा गया। रामगंगा में बाढ़ का अभी तक कोई खतरा नहीं है।
घरों में घुसा बाढ़ का पानी, गिरने लगे मकान, घर छोड़ रहे ग्रामीण
गंगापार बसे ग्राम रैपुरा, जटा, प्रेमी नगला, जसबंत नगला, कदम नगला, दलनगला, कमलइयापूर, ठकुरी नगला के चारों तरफ गंगा के कटान ने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। रैपुरा के प्रधान राकेश का कहना है एक वर्ष पहले ब्लॉक निधि से मुख्य मार्ग की सड़क एवं पुलिया का निर्माण होना था। जिसका टेंडर भी हुआ था। इसके बाद केवल सड़क का निर्माण किया गया। मगर रकम सड़क और पुलिया के नाम ठेकेदार ने सांठगांठ करके हड़प ली।
पुलिस न होने से बाढ़ का पानी सड़क के ऊपर से उतर रहा है। गंगा में कटान के चलते चारों ओर गांवों में मुख्य मार्गों और घरों में पानी पहुंच गया है। गंगा में जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। पशुओं का चारा बाढ़ में बह गया। मगर प्रशासनिक अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। वहीं, जटा गांव के प्रधान निसार का कहना है उनके यहां पांच सौ की आबादी है। पूरा गांव गंगा कटान से दहशत में है। चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। घरों के अंदर बाढ़ का पानी घुस रहा है। इससे मकान गिरने लगे हैं। लेखपाल खानापूर्ति करके चले जाते हैं। भकरी, कमलू नगला, बेहटी के ग्रामीण अपने घरों को खाली करने में लगे हैं। असमया रफतपुर, अहमद नगर बछौरा में कटान कुछ कम हुआ है।
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