बरेली: कलेक्ट्रेट में लॉकडाउन पास बनवाने में हुआ भ्रष्टाचार, तीन साल से जांच अधूरी
क्राइम ब्रांच ने अब कलेक्ट्रेट के बाबुओं के बयान दर्ज करना शुरू किया
बरेली, अमृत विचार। कोरोना काल में लॉकडाउन में पास बनवाने के नाम पर रिश्वत लेने के मामले की जांच अब तेज हो गई है। अब क्राइम ब्रांच ने कलेक्ट्रेट में पास बनवाने की व्यवस्था से जुड़े बाबुओं के बयान दर्ज करने शुरू कर दिए हैं। एडीएम प्रशासन के तत्कालीन पेशकार के हाल ही में क्राइम ब्रांच टीम ने बयान दर्ज किए हैं। क्राइम ब्रांच कई सवाल पूछ रही है। अपर जिलाधिकारी प्रशासन के कार्यालय में तैनात कई बाबुओं के जल्द बयान दर्ज होंगे।
लॉकडाउन में परिजनों और परिचितों से मिलने के साथ अपनों के अंतिम संस्कार में जाने के लिए भी लोग तरस गए थे। लोगों की पीड़ा को समझते हुए शासन ने बाहर जाने के लिए पास बनवाने के आदेश जारी किए थे। कलेक्ट्रेट में अपर जिलाधिकारी प्रशासन कार्यालय से पास बनवाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन पास को लेकर लोगों में ऐसी मारामारी थी कि कलेक्ट्रेट के कुछ कर्मचारियों ने इसमें भी वसूली शुरू कर दी थी।
अपर जिलाधिकारी प्रशासन कार्यालय में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नन्हे का पास बनवाने के नाम पर 2500 रुपये मांगने का ऑडियो भी वायरल हुआ था, तब यह मामला लखनऊ तक गूंजा था। गंभीर मामले में प्रशासन की छवि धूमिल होने पर काेतवाली में नन्हे के विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम में एफआईआर कराने के साथ उसे निलंबित कर दिया गया था, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में महीनों तक कोतवाली पुलिस लापरवाही बरतती रही। केस क्राइम ब्रांच को मिला तो क्राइम ब्रांच भी इसे महीनों तक दबाए रही। अब जांच में तेजी आई है।
अंतिम संस्कार में जाने के लिए बनवाया था पास
लॉकडाउन में गोंडा जिले के शिवकुमार बरेली में परिवार के साथ रिश्तेदारी में फंसे थे। उस दौरान उनके परिचित की मृत्यु हो गई। उन्होंने अंतिम संस्कार में जाने के लिए लॉकडाउन में पास बनवाने के लिए कलेक्ट्रेट में संपर्क किया। करीब 15 दिन टहलने के बाद कर्मचारी नन्हे से मुलाकात हुई और 2500 रुपये में पास बनवाने की बात तय हुई थी। उसी बातचीत का 20 मई 2020 को ऑडियो वायरल हुआ था।
2021 में हो गई बहाली, अब एडीएम जे का अर्दली
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नन्हे निलंबित के बाद फरीदपुर तहसील से संबद्ध कर दिया था लेकिन 2021 में उसे बहाल कर दिया था। नन्हे वर्तमान में एडीएम जे का अर्दली है। तहसीलदार शेर बहादुर सिंह, अर्दली अबरार के विरुद्ध भी क्राइम ब्रांच कर रही जांच
बरेली। 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगने और 1.80 लाख रुपये की रिश्वत लेकर पांच-पांच सौ के नोट गिनने का अर्दली का वीडियो वायरल होने के बाद कोतवाली में भ्रष्टाचार अधिनियम में एफआईआर कराई गई थी। तहसील सदर के तत्कालीन तहसीलदार शेर बहादुर सिंह और अर्दली अबरार को नामजद किया गया था। डेढ़ साल के बाद भी यह जांच अधूरी है। महीनों तक सीओ श्वेता यादव जांच करती रहीं। बाद में केस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया। अब क्राइम ब्रांच ही जांच कर रही है।
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