बरेली: 5वां उर्स-ए-ताजुश्शरिया कल से, तैयारियां लगभग पूरी

बरेली: 5वां उर्स-ए-ताजुश्शरिया कल से, तैयारियां लगभग पूरी

बरेली, अमृत विचार। सुन्नी बरेलवी मसलक के मजहबी रहनुमा ताजुश्शरिया मुफ्ती मुहम्मद अख्तर रजा खां कादरी अजहरी (अजहरी मियां) का दो रोजा उर्स-ए-ताजुश्शरिया का आगाज कल से होने जा रहा है। उर्स की सभी रस्में काजी-ए-हिंदुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रजा खां कादरी की सरपरस्ती में और जमात रजा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उर्स प्रभारी सलमान मियां की सदारत में 26 व 27 मई को दरगाह ताजुश्शरिया और मथुरापुर स्थित मदरसा जामियातुर रजा में मनाया जायेगा।

सलमान मियां ने बताया कि बाद नमाज-ए-फजर कुरानख्वानी व नात-व-मनकबत की महफिल सजाई जाएगी। शाम को बाद नमाज-ए-असर परचम कुशाई की रस्म अदा की जाएगी। जो पहला परचम सय्यद कैफी के निवास शाहबाद स्थित मिलन शादी हाल से निकलेगा। दूसरा परचम मोहम्मद साजिद आजमनगर स्थित हरी मस्जिद से निकलेगा। तीसरा समरान खान के निवास सैलानी स्थित रजा चौक से निकलेगा। चादर का जुलुस जोगी नवादा से आएगा। तीनों परचम काजी-ए-हिंदुस्तान के हाथों दरगाह ताजुश्शरिया पर पेश किए जाएंगे।

सलमान मियां ने बताया कि हुजूर ताजुश्शरिया के दुनिभर में करोड़ों मुरीद हैं। आप की पैदाइश 26 मोहर्रम 1362 हिजरी बामुताबिक 2 फरवरी 1943 ई. को हुई। आप के परदादा आला हजरत, दादा हुज्जतुल इस्लाम व वालिद इब्राहीम रजा जोकि मुजस्सिरे आजम के नाम से मशहूर हुए। आप को हुजूर मुफ्ती-ए-आजम हिन्द ने अपना काइम मकाम व जानशीन बनाया। हुजूर ताजुश्शरिया की इब्तेदाई तालीम अपने घर पर वालिदे माजिदा व वालिदे मोहतरम से हुई। हिंदी व अंग्रेजी आदि की तालीमन इस्लामिया इंटर कॉलेज से की उसके बाद दारुल उलूम मन्जरे इस्लाम में दाखिला लिया और दरसे निजामी (आलिम का कोर्स ) मुकम्मल किया। 

आपके उस्ताद शेख अब्दुल तव्वाव के मश्वरे से आपके वालिद ने आपको मिस्र की मशहूर यूनिवर्सिटी जामिआ अल अजहर 1963 में भेज वहां से आपने 1966 में डिग्री हासिल की। हुजूर ताजुश्शरिया ने अरबी, उर्दू, अंग्रेजी आदि भाषाओं में किताबे लिखीं और आपने आला हजरत की कई किताबों को अरबी में अनुवाद करके अरब समेत दूसरे देशो दशों तक पहुंचाया। आपने अरबी, उर्दू भाषाओं में नातों मनकबत लिखीं जिनका मजमुआ सफीना ए बख्शीश और नज्माते अख्तर के नाम से मशहूर है। आपने मसलके आला हजरत का नाम अरब, यूरोप, एशिया, अमेरिका, अफ्रीका, कनाडा आदि आदि देशो में पहुंचाया। आपने दीन की खिदमत के लिए बहुत से देशों के सफर किए। आपको जामिआ अल अजहर से फखरे अजहर का अवार्ड मिला। आपको काबे के गुस्ल के लिए 2009 में दावत पर बुलाया था। आपने कई हज किए।

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