सतर्कता की जरूरत

सतर्कता की जरूरत

धारा 370 हटने के बाद से कश्मीर में हालात पहले की अपेक्षा बेहतर हुए हैं लेकिन अभी भी घाटी में संवेदनशीलता बरकरार है। वहां पर सुरक्षा ऐजेंसियों की मुस्तेदी दिखाती है कि शांति की स्थापना में अभी और समय लगेगा। इसका कारण है कि पाकिस्तान से घुसपैठ लगातार जारी है और वह आए दिन घाटी में अस्थिरता फैलाने की कोशिश करता है।

बीते सप्ताह कश्मीर में आतंकी हमले के बाद से सेना तो सक्रिय है ही साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी आतंकी ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। यह छापेमारी पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी साजिश मामले व टेरर फंडिग को लेकर की जा रही है। यह तथ्य किसी से छुपा नहीं है कि कश्मीर में आतंकवाद को पोषित करने के लिए सीमा पार से फंडिग की जाती रही है।

हालांकि भारत ने हमेशा आतंकियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया है, इसके बाद भी वहां आतंकवादी बाज नहीं आ रहे हैं। मंगलवार को एनआईए ने जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के अनंतनाग, शोपियां, बडगाम, श्रीनगर, पुंछ, बारामूला और राजौरी के 15 स्थानों पर छापेमारी की जिसमें संदिग्धों के घरों की तलाशी ली। एनआईए ने इन छापों के दौरान पिता-पुत्र और एक नर्सिंग की छात्रा समेत चार लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।

गौरतलब है कि राज्य में स्थानीय युवकों और जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। आतंकवादी गतिविधियों में संगठन के कार्यकर्ता और कैडर चिपचिपे बम या चुंबकीय बम, आईईडी, नकदी, नशीले पदार्थों और छोटे हथियारों का प्रयोग बड़े स्तर पर करते आ रहे हैं। यही नहीं आतंकियों द्वारा तकनीक का भी इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए किया जा रहा है।

पाकिस्तान स्थित आकाओं और आतंकवादी संगठनों के कमांडरों द्वारा कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को ड्रोन का उपयोग कर हथियारों, बमों और नशीले पदार्थों को घाटी में भेजा जा रहा है। यह ठीक है कि भारत इन सबसे निपटने के लिए हमेशा तैयार रहता है और अपनी सुरक्षा ऐजेंसियों व सेना को वहां के हालातों पर सक्रियता बनाए रखने को समय-समय

पर निर्देशित करता रहता है, इसके बाद भी घाटी में होने वाली आतंकी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि सुरक्षा में कहीं न कहीं चूक हो रही है। आतंकी घटनाओं को लेकर और सतर्कता बरतने की जरूरत है। आतंकवादियों के मददगार लोगों तक पहुंचना जरूरी है ताकि ऐसी वारदातों पर रोक लगाई जा सके और घाटी में शांति का माहौल स्थापित हो सके। 

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