बरेली: पपीता वैसे कैंसर का दुश्मन, केमिकल से पकाओ तो मददगार

दूसरे राज्यों से आता है कच्चा पपीता, कार्बाइड लगाकर कुछ ही घंटों में पका लेते हैं फल कारोबारी, सस्ता होता है कच्चा पपीता, कार्बाइड से पकाकर मिलता है ज्यादा मुनाफा पर सेहत के लिए खतरनाक

बरेली: पपीता वैसे कैंसर का दुश्मन, केमिकल से पकाओ तो मददगार

बरेली, अमृत विचार : पपीता पोषक तत्वों से भरपूर ही नहीं, कैंसर का भी दुश्मन माना जाता है लेकिन जब इसे डाल से कच्चा ही तोड़कर केमिकल की मदद से कुछ ही घंटों में पका दिया जाता है तो यही कई दूसरी बीमारियों के साथ कैंसर का रोगी बनाने की आशंका पैदा करने लगता है।

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केमिकल से पपीता इसलिए पकाया जाता है क्योंकि एक तो पेड़ पर पपीता पकने में डेढ़ से तीन हफ्ते तक का समय लग जाता है, दूसरे कच्चा पपीता लेकर केमिकल से पकाने से मुनाफा बढ़ जाता है। आसानी से पचने की वजह से डॉक्टर बीमार लोगों को पपीता खाने की सलाह देते हैं लेकिन बाजार में बिकने वाला ज्यादातर पपीता खुद बीमारियां फैलाने वाला होता है।

दरअसल बरेली की मंडी में बड़े पैमाने पर पपीता बंगाल, महाराष्ट्र जैसे कई दूसरे राज्यों से मंगाया जाता है। पका हुआ पपीता लंबी दूरी तक ले जाना संभव नहीं है, लिहाजा फल कारोबारी कच्चे पपीते की ही खेप मंगाते हैं जो पके पपीते से काफी सस्ता होता है, साथ ही खराब होने की आशंका भी नहीं रहती।

मंडी में भी काफी पपीता कच्चा ही बिकता है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. हरीश कुमार बताते हैं कि ग्राहक के हाथ में पहुंचने से पहले इसे गोदामों मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक रसायन कार्बाइड की मदद से पका लिया जाता है। कार्बाइड के साथ रखने से पपीता महज 12 से 16 घंटे में पक जाता है।

हरा-पीला, लाल-नारंगी सारे रंग दिखते हैं केमिकल से पकाए गए पपीते में: जिला अस्पताल के सीनियर फिजीशियन डॉ. राहुल वाजपेयी के मुताबिक केमिकल से पकाया गया पपीता खाने से पेट में दर्द, मरोड़ और फूड प्वाइजनिंग और कैंसर तक हो सकता है। पपीते का रंग हरा, लाल, पीला और नारंगी दिख रहा हो तो सीधा मतलब है कि उसे केमिकल से पकाया गया है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पपीते के अलग-अलग हिस्सों में कार्बाइड की अलग-अलग मात्रा पहुंचती है। फिर भी पपीता खाना चाहते हैं तो उसे छीलने से पहले अच्छी तरह धो लें। छीलने के बाद एक बार फिर गुनगुने पानी से धोएं ताकि अंदरूनी परत तक पहुंची कार्बाइड की मात्रा साफ हो जाए।

प्राकृतिक ढंग से पका हो तो स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन: पपीते में विटामिन बी, सी, के और कैरोटिन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कॉपर समेत कई पोषक तत्व होते है। यह आंखों की रोशनी और त्वचा की चमक को भी बढ़ाता है। पपीते में मौजूद बीटा कैरोटिन अस्थमा में राहत पहुंचाता है, साथ ही कैंसर से भी बचाता है। पपीते का सेवन पेट के लिए काफी लाभदायक माना जाता है।

पपीता खरीदें तो ख्याल रखें...

-पके हुए पपीते पर पीले रंग की धारियां बन जाती हैं। अगर पपीते पर पीले या नारंगी रंग की धारियां नहीं दिख रही हैं तो उसे न खरीदें, वह मीठा नहीं होगा।

-पपीते के पिछले हिस्से यानी कि उसके पैंदे को दबा कर देखें। अगर वह दब रहा है तो भी उसे न खरीदें क्योंकि वह अंदर से सड़ा हो सकता है।

-पपीते के पैंदे पर अगर फंगस (फफूंद) लगा है तो उसे बिल्कुल न खरीदें। यह शरीर को सेहतमंद बनाने के बजाय बीमारी की बड़ी वजह बन सकता है।

-पपीता खरीदने से पहले उसकी महक लें। पपीते से अगर मीठी खुशबू आ रही है तो वह अंदर पका होगा और मीठा भी होगा।

-पपीते के छिलके को भी दबा कर देखें। छिलका यदि सख्त लगे तो समझ लें कि पपीता पीला जरूर दिख रहा है पर पका हुआ नहीं है।

आपकी सेहत से खिलवाड़ के लिए एफएसडीए जिम्मेदार: फलों को जल्द पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कार्बाइड जब शरीर के अंदर पहुंचता है तो पेट के गंभीर रोगों के साथ कैंसर तक का कारण बन जाता है। इसी कारण सरकार कार्बाइड के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा चुकी है।

इसके बाद कार्बाइड से पकाए गए फलों को बाजार में आने से रोकने की जिम्मेदारी एफएसडीए की है लेकिन उसके अधिकारी कभी यह जिम्मेदारी निभाने में दिलचस्पी नहीं लेते। सहायक आयुक्त खाद्य धर्मराज मिश्र का कहना है कि पपीते के नमूने पहले लिए गए हैं। ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। अगर शिकायत मिलेगी तो कार्बाइड से पकाए जाने वाले फलों का नमूना भरवाया जाएगा।

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