रामकोट की परिक्रमा के साथ राम जन्मोत्सव का भी हुआ श्री गणेश सैकड़ों की संख्या में अयोध्या के संत महंतों ने की परिक्रमा
अयोध्या, अमृत विचार। नवसंवत्सर 2080 की पूर्व संध्या पर विक्रमादित्य महोत्सव और श्री राम जन्मोत्सव के तत्वावधान में अयोध्या के सैकड़ों की संख्या में साधु संतों ने रामकोट की परिक्रमा कर राम जन्मोत्सव की शुरुआत की। परिक्रमा प्रारंभ करने से पहले रामकोट परिसर की सुरक्षा में तैनात भगवान मत गजेंद्र का पूजन अर्चन किया गया।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ अनिल मिश्रा बताते हैं कि अयोध्या ने आज आतंकवाद के विरुद्ध प्रेम, एकता और सौहार्द का संदेश बिखेरा है। साधु-संत और राम भक्त जुलाई 2005 में श्री राम जन्मभूमि परिसर पर हुए आतंकी हमले के बाद से प्रतिवर्ष रामकोट की चतुर्दिक परिक्रमा करके सनातन धर्म के मानवता का संदेश देते हैं।
इस वर्ष विराजमान रामलला स्थल पर निर्माणाधीन दिव्य और भव्य राम मंदिर के आकार ने कार्यक्रम में अतिशय उत्साह भर दिया है। शक्ति रानी मिश्रा ने बताया कि आज से प्रारंभ हुए इस दस दिवसीय श्री राम जन्मोत्सव के आयोजन में प्रतिदिन अलग-अलग प्रकार के खेल उत्सव और राम कथा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में युवा वर्ग इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे।
विक्रमादित्य महोत्सव और श्री राम जन्मोत्सव समिति के संयुक्त तत्वावधान में मतगजेंद्र मंदिर में विग्रहों का पूजन करने के बाद गाजे-बाजे और ढोल-नगाड़ों के साथ रामकोट की परिक्रमा प्रारंभ हुई तो संपूर्ण अयोध्या राममय हो गई और और परिक्रमा को देखने के लिए आम जनमानस सड़कों पर उमड़ पड़ा। इस अवसर पर संतों ने कहा मानव कल्याण पर आधारित मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के संदेशों से संपूर्ण विश्व तक पहुंचाना है। क्योंकि राम के आदर्शों में ही विश्व का कल्याण निहित है।
रामकोट की परिक्रमा में मुख्य रूप से मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महन्त कमल नयन दास, उडुपी पेजावरमठ के महंत और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य विश्व तीर्थ प्रसन्नार्य, श्री राम वल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमार दास, ट्रस्ट सदस्य अनिल मिश्र, विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा, अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह, विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, अयोध्या नगर निगम के प्रथम मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, राजकुमार दास, आचार्य सत्येंद्र दास वेदांती, महंत रामशरण दास रामायणी, महंत कृषणाचार्य, सुतीक्षण दास, उमेश दास, रमेश दास, मैथलीशरण दास, महंत गिरीश पति त्रिपाठी, करुनानिधान शरण, शशिकांत दास सहित सैकड़ों की संख्या में संत-धर्माचार्य और राम भक्त शामिल हुए।
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