बरेली: किसानों को साथ लेकर डूबा आलू का भाव, लागत निकलनी भी मुश्किल

बरेली: किसानों को साथ लेकर डूबा आलू का भाव, लागत निकलनी भी मुश्किल

बरेली, अमृत विचार। पिछले साल अच्छा भाव मिलने की वजह से इस बार आलू का रकबा बढ़ाने का किसानों का फैसला उल्टा पड़ गया। अगैती फसल खेतों से खुदकर मंडी में पहुंचते ही आलू का भाव एकाएक धड़ाम हो गया है। ठेले वाले फेरी लगाकर 8 से 10 रुपये किलो आलू बेच रहे हैं। पिछले साल इन्हीं दिनों में आलू का फुटकर रेट 15 से 20 रुपये तक रहा था। कोल्ड स्टोर में आलू भंडारण महंगा होने से पहले से परेशान किसानों का अब मानना है कि इस बार आलू की फसल की लागत भी निकलती नहीं दिख रही है।

मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष शुजाउर्रहमान का कहना है कि मंडी में आलू का थोक भाव 400 से 600 रुपये क्विंटल है। एक महीने पहले तक नया आलू 1000 से 1200 रुपये क्विंटल तक बिक चुका है। दरअसल, इस बार दूसरे राज्यों से भी मंडी में आलू की भारी आवक हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जिले में आलू का रकबा सात हजार हेक्टेयर था। 

पिछले साल आलू की खेती करने वालों को अच्छा मुनाफा हुआ था, इसी कारण किसानों का रुझान आलू की खेती की ओर और बढ़ा। इस बार किसानों ने आलू का रकबा बढ़ाकर करीब 7200 हेक्टेयर कर लिया। लेकिन अब खेतों से अगैती आलू की निकासी शुरू होते ही भाव नीचे आ गए। सबसे ज्यादा वे किसान परेशान हैं, जिन्होंने अच्छा भाव मिलने की उम्मीद में इस बार बड़े पैमाने पर आलू की फसल की तैयार की है।

भाव गिरने की एक वजह यह भी
प्राकृतिक खेती करने वाले रजपुरा माफी के किसान ओमप्रकाश के मुताबिक एक एकड़ आलू तैयार करने में 25 हजार रुपये की लागत आती है। इस बार रेट बहुत कम होने से नुकसान की आशंका है। बड़ी संख्या में किसान आलू को कोल्ड स्टोर में भंडारित कराते हैं लेकिन दिक्कत यह है कि जिले के 28 शीतगृहों में से एक भी नहीं खुला है। शीतगृह मालिक क्लीनिंग के बहाने आलू भंडारण करने से बच रहे हैं। इस कारण किसानों को मजबूरी में अपनी उपज मंडियों की आढ़तों और खुले बाजार में औने-पौने बेचनी पड़ रही है।

ऑपरेशन ग्रीन योजना भी लागू नहीं
औद्यानिक श्रेणी में शामिल आलू, प्याज समेत कई फसलों के उत्पादकों को नुकसान से बचाने और उन्हें लागत मूल्य दिलाने के लिए पिछले साल सरकार ने कई जनपदों में ऑपरेशन ग्रीन योजना लागू की थी। इसके तहत उन किसानों को प्रति क्विंटल निर्धारित अनुदान दिया, जिन्हें अपनी उपज भंडारित करने के लिए शीतगृहों में जगह नहीं मिली। इस बार ऐसी कोई पहल नहीं किए जाने से किसान ज्यादा परेशान हैं।

ऑपरेशन ग्रीन योजना लागू नहीं हुई है। शीतगृह संचालकों के साथ बैठक कर सभी शीतगृह शीघ्र चालू कराए जाएंगे ताकि उनमें क्षमता के अनुरूप किसान आलू भंडारित करा सकें। इस बार रकबा बढ़ने से आलू की पैदावार बढ़ने की उम्मीद है। दूसरे राज्यों में भी आलू का उत्पादन भरपूर हुआ है। इसलिए दाम गिरे हैं।- पुनीत पाठक, जिला उद्यान अधिकारी

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