बरेली : महाशिवरात्रि पर बोल बम के जयकारों से गुंजायमान हुई नाथनगरी, उमड़ा आस्था का सैलाब
अमृत विचार, बरेली। महाशिवरात्रि पर्व शहर के मंदिरों में धूमधाम से मनाया गया। महाशिवरात्रि पर्व को लेकर शहर के सभी मंदिरों को विशेष रूप से सजाया गया। सुबह से ही मंदिरों में पूजा अर्चना करने आने वालों की लंबी कतार देखी गई। शहर के प्रमुख मंदिरों में ही नहीं गली मोहल्ले के छोटे बड़े मंदिरों में भी उत्साह व श्रद्धा भाव के साथ लोग भगवान शिव को जल अर्पित करने आए।
सुबह से सड़कों पर दिखा कांवड़ियों का रेला
सुबह से शहर में कांवड़ आने का सिलसिला जारी रहा। कछला घाट, गढ़मुक्तेश्वर, हरिद्वार से कांवड़ आने का सिलसिला जारी रहा। हजारों की संख्या में कांवड़िए डाक कांवड़ लेकर आ रहे थे।ॐ नमः शिवाय की धुन में कावड़िये अपने गतव्य की तरफ जा रहे थे।
बरेली : महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों पर उमड़ा आस्था का सैलाब, हर-हर महादेव की गूंज
— Amrit Vichar (@AmritVichar) February 18, 2023
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चप्पे-चप्पे पर मौजूद रही पुलिस
महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष में शहर के सभी प्रमुख मंदिरों में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा इस द्वारा आने वाली जाने वाले संदिग्ध लोगों पर भी नजर रखी गई सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में लोग मंदिर में दर्शन करने आ रहे थे इसके साथ ही शहर के संवेदनशील इलाकों पर
पुलिस बल तैनात रहा
शहर के चारों और अलग-अलग दिशाओं में स्थित सात नाथ मंदिरों का इतिहास पुरातन काल से जुड़ा है। यह मंदिर चारों दिशाओं में महत्व के अनुरूप कई कोण पर स्थित हैं। महाशिवरात्रि के दिन इन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है।
नाथ मंदिरों से घिरा शहर
प्रेमनगर स्थित श्री त्रिवटी नाथ मंदिर में प्रगट हुए शिवलिंग के बारे में मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी संजीव अवतार का मानना है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही कष्टों का नाश हो जाता है। यहां विराजमान नव दुर्गा मंदिर के दर्शन के लिए भी श्रद्धालु आते हैं।
अलखिया बाबा के तप से स्थापित हुआ अलखनाथ मंदिर
किला क्षेत्र स्थित अलखनाथ मंदिर शहर के उत्तर-पश्चिम दिशा में वायव्य कोण में विराजमान है। मंदिर के पुजारी कालू गिरी बताते हैं कि मंदिर में विराजमान भोलेनाथ की महिमा से क्षेत्र की आंधी-तूफान और दैवीय आपदाओं से रक्षा होती है। यहां प्राचीन समय में शिवभक्त अलखिया बाबा ने तप कर महादेव को प्रसन्न किया था।
द्वापर युग में धुम्रेश्वर से श्रीधोपेश्वर नाथ मंदिर
पूर्व दक्षिण मध्य में अग्निकोण में स्थापित श्रीधोपेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी घनश्याम जोशी ने बताया कि अत्रि ऋ षि के शिष्य रहे धूम्र ऋ षि के नाम पर द्वापर युग में धुम्रेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता था, जो अब श्रीधोपेश्वर नाथ के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर में शिवलिंग के साथ रामजानकी दरबार भी मनमोहक है, जो लोगों के बीच आस्था का प्रमुख केंद्र है।
मढ़ीनाथ मंदिर आस्था का केंद्र
सुभाष नगर स्थित मढ़ीनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र है। पुजारी धर्मेंद्र गिरी का कहना है कि पश्चिम दिशा में स्थापित इस मंदिर की महिमा से क्षेत्र में जल की कमी कभी नहीं होती। माना जाता है कि आदि काल में एक मणीधारी सर्प रहता था, जो मंदिर की रक्षा करता था। उसी के नाम पर मंदिर का नाम आगे चल कर मढ़ीनाथ पड़ गया।
तपस्थली बनी तपेश्वर नाथ
शहर के दक्षिण दिशा में भूतनाथ के रूप में विराजमान श्री तपेश्वर नाथ मंदिर द्वापर युग का माना जाता है। पुजारी विशन शर्मा बताते हैं कि प्राचीन काल में यहां जंगल हुआ करता था। यहां मुनीश्वर दास ने घोर तपस्या कर भोले नाथ से आशीर्वाद प्राप्त किया था। यहां आने वाले भक्तों का विश्वास है कि शिवलिंग दर्शन से लोगों को रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
वनखंडी नाथ मंदिर
जोगीनावादा क्षेत्र स्थित वनखंडी नाथ मंदिर के महंत सच्चिदानंद सरस्वती ने बताया कि प्राचीन काल से स्थापित मंदिर में इंद्रदेव बराह के साथ क्षेत्र की रक्षा करते हैं। पुरातन काल में यहां जंगल था। मान्यता है कि यहां पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
नगर के बीच में स्थापित है पशुपति नाथ मंदिर
पीलीभीत बाईपास स्थित पशुपति नाथ मंदिर के पुजारी पं. मुकेश मिश्र बताते हैं कि मंदिर नगर के बीच में स्थित है। देखा जाए तो सभी नाथ मंदिरों के केंद्र में स्थापित है। यहां पूजा अर्चना करने पर भक्तों को भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
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