संभल: वर्षों पुराने मकान को प्रशासन ने कराया ध्वस्त, बेघर हुआ परिवार...रोने लगीं महिलाएं और बच्चियां

संभल: वर्षों पुराने मकान को प्रशासन ने कराया ध्वस्त, बेघर हुआ परिवार...रोने लगीं महिलाएं और बच्चियां

मकान गिराने का विरोध करती महिला और उसके बच्चे को ले जाती महिला पुलिसकर्मी।(फोटो)

संभल/चन्दौसी, अमृत विचार। नगर क्षेत्र के फड़याई बाजार में शुक्रवार को प्रशासन ने कोर्ट के नोटिस का हवाला देते हुए ट्रांसपोर्टर के मकान व दुकानों को जेसीबी से ध्वस्त करा दिया। जिससे एक परिवार बेघर हो गया। मकान ध्वस्त होता देख परिवार की महिलाएं व बच्चियां रोने लगीं।

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कार्रवाई का विरोध करने पर पुलिस महिलाओं समेत सभी सस्दयों को कोतवाली ले गई और नगरपालिका प्रशासन ने घर का सामान जलकल विभाग में भेज दिया। ब्राहमण संगठन के पदाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर विरोध किया तो प्रशासन बैकपुट पर आ गया। सारा सामान वापस मंगाकर परिजनों को दिया और मकान के पास खाली भूमि पर रहने की अनुमति मिली।

 फड़याई बाजार में करीब 600 गज भूमि है। इस भूमि पर 100 गज में पुराने मकान में बुजुर्ग सरला देवी का परिवार 100 वर्ष से रह रहा था। आरोप है कि भूमि और मकान पर शहर के भू-मफिया की नजर पड़ गई। शहर के रहने वाले पर्यावरणविद अंशु गौड़ ने जर्जर मकान का हवाला देते हुए उपजिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में वाद दायर कराया था।

मकान के संबंध में नगरपालिका प्रशासन से जानकारी ली गई। 28 नवंबर 2022 को उपजिला मजिस्ट्रेट न्यायालय ने अंशु गौड़ के पक्ष में आदेश दे दिया। मकान खाली करने का नोटिस भी दिया, लेकिन जर्जर मकान पर काबिज परिवार ने कब्जा नहीं छोड़ा। हालांकि मकान पर काबिज सरला देवी का कहना था कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है।

शुक्रवार सुबह प्रभारी निरीक्षक कोतवाली सतेंद्र सिंह पंवार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। इस बीच नायब तहसीलदार अनुज कुमार, जेई केके अग्रवाल व अन्य स्टाफ जेसीबी लेकर पहुंचा। प्रशासन ने जर्जर मकान को ध्वस्त करना शुरू किया तो परिवार के अमित शर्मा व महिलाओं समेत अन्य परिजनों ने कार्रवाई का विरोध किया। इसके बाद पुलिस सभी लोगों को कोतवाली ले गई। मौके पर सिर्फ वृद्ध सरला देवी रहीं।

इस दौरान पुलिस ने घर का सारा सामान निकलवाकर नगरपालिका के जलकल विभाग में भिजवा दिया और जर्जर मकान व दुकानों को ध्वस्त कराया दिया। इससे सरला देवी के परिवार के बुर्जुग, महिलाएं व बच्चे बेघर हो गए। सरला देवी के पुत्र अमित ट्रांसपोर्टर ने बताया कि उनकी पुत्री सिद्धि तो शाम को जब अपने गिरे मकान के पास पहुंची तो वह रोने लगी। बच्ची ने रोते हुए  बताया कि उसकी सारी कॉपी-किताबें बेकार हो गई अब वह परीक्षाएं कैसे देगी। फिलहाल मकान तोड़ने के विरोध में ब्राहमण संगठन के सदस्यों ने आवाज उठाने की बात कही है। 

मोहल्ले के लोगों ने भी किया विरोध
चन्दौसी। मकान तोड़ने के दौरान धमक दूसरे मकानों तक पहुंच रही थी। इससे पड़ोसियों के मकानों को नुकसान होने की संभावना है। पड़ोसी अमित अग्रवाल, अनिल अग्रवाल समेत कई लोग वहां पहुंचे और विरोध किया। उनका कहना था कि हम मकान गिराने का विरोध नहीं कर रहे हैं। लेकिन उनके मकानों को नुकसान न पहुंचे। इसके बाद प्रशासन ने इन लोगों के

नगरपालिका प्रशासन की संस्तुति व जांच कराने के बाद 28 नवंबर को मकान गिराने के आदेश दिए थे। लेकिन किसी को वहां से बेदखल करने व सामान दूसरी जगह पहुंचाने के आदेश नहीं दिए गए हैं। अगर परिवार का सामान कहीं दूसरी जगह भेजा गया है तो वह उसी स्थान पर पहुंचाया जाएगा। परिवार मकान बनाकर व टिन डालकर रह सकता है। प्रशासन का उदेद्श्य यही था कि जर्जर मकान अगर कभी गिरता है तो काफी जनहानि होगी। इससे बचने के लिए ऐसा क्या किया गया है--- रामकेश धामा, उपजिलाधिकारी।

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