बरेली: गाय में ढूंढा कुपोषण का भी उपाय... पर गरीबों के गले नहीं उतरा 

जिले में हैं 5584 अति कुपोषित और 41500 कुपोषित बच्चे, और बढ़ती जा रही है तादाद

बरेली: गाय में ढूंढा कुपोषण का भी उपाय... पर गरीबों के गले नहीं उतरा 

बरेली, अमृत विचार। गायों में प्रदेश सरकार ने जीरो बजट खेती ही नहीं, बच्चों में कुपोषण का भी समाधान ढूंढा था लेकिन कामयाबी इसमें भी नहीं मिली। कुपोषण दूर करने के लिए गोशालाओं से गरीब परिवारों को मुफ्त गाय देने की योजना भी किसी के गले नहीं उतरी। शासन के निर्देश पर बाल विकास विभाग की टीमों ने जिले में 47 हजार से ज्यादा कुपोषित बच्चों के परिवारों से संपर्क किया लेकिन फिर भी इनमें से छह सौ परिवारों ने बमुश्किलगाय लेने का आवेदन किया। बाद में इनमें से भी आधे गाय लेने से मुकर गए।

बाल विकास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक शासन के निर्देश पर कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों के घर-घर टीमें पहुंचीं और उनके परिवारों को गाय गोद लेने के लिए प्रेरित किया गया। उन्हें बताया गया कि गाय पालने के लिए सरकार से हर महीने 900 रुपये भी मिलेंगे, लेकिन इसके बावजूद ज्यादातर परिवारों ने गाय लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले में इस समय 47,172 कुपोषित और अति कुपोषित बच्चे हैं। इनमें 0 से 5 साल की उम्र के 5584 बच्चे अतिकुपोषित यानी लाल श्रेणी और 41,500 के कुपोषित यानी पीली श्रेणी में हैं। अफसरों का कहना है कि उन्होंने इन परिवारों को मनाने की काफी कोशिश की लेकिन इसके बावजूद वे तैयार नहीं हुए।

योजना बेहतर... पर जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हुए
विशेषज्ञ कहते हैं कि पांच वर्ष से कम उम्र के आधे से ज्यादा बच्चों की मौत का प्रमुख कारण मां और बच्चे का कुपोषित होना है। कुपोषण से प्रभावित जीवित बच्चों की भी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इस वजह से वह अक्सर बीमार रहते हैं और उनका विकास नहीं हो पाता। इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री ने बच्चों का कुपोषण दूर कर उन्हें सेहतमंद बनाने के उद्देश्य से उनके परिवारों को गाय देने की योजना लागू की है। हालांकि संपर्क अभियान के दौरान ज्यादातर परिवारों ने नौ सौ रुपये में गायों को पालना मुश्किल होने, उनकी देखरेख में कमी होने पर कानूनी कार्रवाई का शिकार होने और उन्हें पालने के लिए जगह न होने जैसी समस्याएं गिनाईं।

अभी बच्चों को दिया जाता है पोषाहार
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की तरफ से छह महीने से छह वर्ष तक के बच्चों को पोषाहार दिया जाता है। छह महीने से तीन साल तक के बच्चों को महीने की 5, 15 और 25 तारीख को पंजीरी और दूसरे खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं। तीन साल से छह साल तक के बच्चों को 50 ग्राम प्रति बच्चा मॉर्निंग स्नैक्स भी देने का प्रावधान है। अति कुपोषित बच्चों को जिला अस्पताल स्थित एनआरसी में भर्ती कराकर इलाज कराने की व्यवस्था है।

कुपोषित बच्चों के परिवार वालों को मुफ्त में गाय लेने के लिए घर-घर जाकर प्रेरित किया गया लेकिन लोग इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। जो आवेदन मिले थे, उनकी सूची सीडीओ के साथ सीवीओ को भी भेज दी गई है। आगे की प्रकिया वहीं से होगी- अरुण सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी।

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