जलवायु परिवर्तन चुनौतियों के बावजूद कृषि उत्पादन रिकार्ड स्तर पर
नई दिल्ली। देश में जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियों के बावजूद वर्ष 2021-22 में कुल अनाज उत्पादन रिकॉर्ड 31 करोड़ 57 लाख टन तक पहुंच गया। दालों का उत्पादन भी पिछले पांच वर्षों के औसत दो करोड़ 38 लाख टन से बहुत अधिक रहा है।
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वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2022-23’ पेश करते हुए बागवानी को एक उच्च पैदावार वाला क्षेत्र एवं आय के उच्च स्रोत तथा किसानों के लिए बेहतर साधन के रूप में वर्णन किया है। तीसरे अग्रिम अनुमान (2021-22) के अनुसार दो करोड़ 80 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में 34 करोड़ 23 लाख टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।
सरकार ने 55 बागवानी समूहों की पहचान की है, जिनमें से 12 को क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) के प्रारंभिक चरण के लिए चुना गया है। यह कार्यक्रम बागवानी समूहों की भौगोलिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने और संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला सहित पूर्व-उत्पादन, उत्पादन और कटाई के बाद की गतिविधियों के एकीकृत और बाजार-आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है।
भारतीय कृषि के सबंद्ध क्षेत्र-पशुधन, वानिकी और लॉगिंग और मछली पकड़ने और जलीय कृषि धीरे-धीरे तेजी से विकास के क्षेत्र बन रहे हैं और ये बेहतर कृषि आय के संभावित स्रोत हैं। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पशुधन क्षेत्र वर्ष 2014-15 से 2020-21 (स्थिर कीमतों पर) के दौरान 7.9 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ा और 2014-15 में कुल कृषि जीवीए (स्थिर कीमतों पर) में इसका योगदान 24.3 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 30.1 प्रतिशत हो गया है।
इसी तरह वर्ष 2016-17 से मत्स्य पालन क्षेत्र की वार्षिक औसत वृद्धि दर लगभग सात प्रतिशत रही है और कुल कृषि जीवीए में इसकी हिस्सेदारी लगभग 6.7 प्रतिशत है। डेयरी क्षेत्र पशुधन क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण घटक है, जो सीधे तौर पर आठ करोड़ से अधिक किसानों को रोजगार देता है और सबसे प्रमुख कृषि उत्पाद है।
अन्य पशुधन उत्पाद, जैसे अंडे मांस का महत्व भी बढ़ रहा है। दुनिया में दूध उत्पादन में भारत पहले स्थान पर है, अंडे के उत्पादन में तीसरे और मांस उत्पादन में आठवें स्थान पर है। सरकार ने बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और पशुधन उत्पादकता और रोग नियंत्रण में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किए हैं।
वर्ष 2020 में आत्मनिर्भर भारत (एएनबी) प्रोत्साहन पैकेज के एक भाग के रूप में वर्ष 2020 में 15,000 करोड़ रुपये का पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) प्रारंभ किया था। कुल 3,731.4 करोड़ की लागत वाली 116 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। जबकि राष्ट्रीय पशुधन मिशन को नस्ल सुधार और उद्यमिता विकास पर जोर देता है।
पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना को आर्थिक और जूनोटिक महत्व को पशु रोगों को रोकने और नियंत्रित करने के लिए लागू किया जा रहा है। सरकार ने 20,050 करोड़ के कुल परिव्यय वाली प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की शुरूआत की।
मत्स्य पालन क्षेत्र में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना अब तक का सर्वाधिक निवेश है जिसे वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2025 तक पांच वर्षों में लागू किया जा रहा है ताकि मछुवारों, मत्स्य किसानों और मत्स्य श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और उत्तरदायी विकास किया जा सके।
मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष के तहत 17 अक्टूबर, 2022 तक 4,923.9 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है और मछली पकड़ने और संबद्ध गतिविधियों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के माध्यम से 9.4 लाख से अधिक लोगों को लाभान्वित किया गया है।
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