सुप्रीम कोर्ट बहुविवाह, निकाह हलाला प्रथा पर सुनवाई के लिए पांच-सदस्यीय नई पीठ गठित करेगा
6.jpg)
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह मुसलमानों में बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की नयी संविधान पीठ का गठन करेगा। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जे बी पर्दीवाला की पीठ ने इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय के प्रतिवेदन पर गौर किया, जिसमें पीठ से अनुरोध किया गया था कि मामले में संविधान पीठ को नए सिरे से गठित करने की आवश्यकता है, क्योंकि पिछली संविधान पीठ के दो न्यायाधीश-न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष यह बहुत महत्वपूर्ण मामला लंबित है। हम एक पीठ का गठन करेंगे और इस मामले पर गौर करेंगे। इस मामले पर पिछले साल दो नवंबर को सुनवाई की गई थी। पिछली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गत 30 अगस्त 2022 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) को जनहित याचिकाओं में पक्षकार बनाया था और उनसे जवाब मांगा था।
तत्कालीन संविधान पीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति बनर्जी कर रही थीं और न्यायमूर्ति गुप्ता, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया इसमें शामिल थे। हालांकि, न्यायमूर्ति बनर्जी और न्यायमूर्ति गुप्ता पिछले साल क्रमशः 23 सितंबर और 16 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो गए, जिससे बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथाओं के खिलाफ आठ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के पुनर्गठन की आवश्यकता पड़ी।
उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में बहुविवाह और निकाह हलाला को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का निर्देश देने का आग्रह किया है। शीर्ष अदालत ने जुलाई 2018 में उनकी याचिका पर विचार किया था और इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया था, जो पहले से ही ऐसी ही याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी।
ये भी पढ़ें : Joshimath Crisis: नृसिंह मंदिर का एक हिस्सा धंसने से चिंता बढ़ी, आदिगुरू शंकराचार्य के गद्दीस्थल की दरारें बरकरार