लखनऊ : रैन बसेरे फुल, कतार में जरूरतमंद
सर्दी का सितम नगर निगम के रैन बसेरों में जगह पड़ गयी कम

एक बेड पर दो लोग, नहीं मिल रही जगह, भीषण ठंड में फुटपाथ पर सोने को मजबूर
अमृत विचार, लखनऊ। सर्दी का सितम ऐसा है कि नगर निगम के रैन बसेरों में जगह कम पड़ गयी है। रैन बसेरे फुल हैं और जरूरतमंद इंट्री पाने के लिए कतार में लगे हैं। स्थायी हो या अस्थायी सभी जगह एक बेड पर दो लोग किसी तरह काम चला रहे हैं। जरूरतमंदों को जगह नहीं मिल पा रही है। भीषण ठंड में जरूरतमंद फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं।
गरीब, बेघर, असहाय और जरूरतमंदों के ठहरने के लिए नगर निगम के शहर में कुल 53 रैन बसेरे संचालित हैं। इनमें से 24 स्थायी और 29 अस्थायी रैन बसेरे हैं। कड़ाके की ठंड से बचाव के लिए नगर निगम हर साल शहर के विभिन्न इलाकों में अस्थायी रैन बसेरे भी बनाता है। जहां गरीब, मजदूर, बेघर और असहाय लोगों के ठहरने की मुफ्त सुविधा रहती है। इस बीच कड़ाके की ठंड के चलते नगर निगम के रैन बसेरों में जगह कम पड़ गयी है।
स्थायी हों या अस्थायी सभी रैन बसेरे फुल हैं। इन रैन बसेरों में जगह पाने के लिए लोग इंतजार कर रहे हैं। नगर निगम के शहर में स्थायी 24 रैन बसेरों में भी जगह फुल है। मंगलवार तक शहर के कुल 53 रैन बसेरों में 1319 लोग रुके थे। इस तरह देखा जाए तो औसतन एक रैन बसेरे में 24 से ज्यादा लोग रह रहे हैं।
कम पड़ रहे रैन बसेरे बढ़ाने की जरूरत
नगर निगम के स्थायी और अस्थायी रैन बसेरों में जरूरतमंदों के रहने के लिए जगह कम पड़ रही है। कड़ाके की ठंड के बीच आबादी के आगे रैन बसेरे बढ़ाने की जरूरत है। नगर निगम के साथ ही जिला प्रशासन फुटपाथ पर सो रहे लोगों को रैन बसेरों में तो पहुंचा रहा है लेकिन वहां जगह न होने के कारण जरूरतमंद वापस लौट रहे हैं।
अस्थायी रैन बसेरों की क्षमता कम
नगर निगम ने शहर के विभिन्न इलाकों में जो रैन बसेरे बनाए हैं उनकी क्षमता कम है। 15 से 20 लोगों के रुकने की व्यवस्था है। लेकिन जगह की कमी के चलते एक बेड पर दो लोग सो रहे हैं। नगर निगम स्थायी रैन बसेरों में 15 से लेकर 50 लोगों के रुकने की व्यवस्था है। इसके बावजूद स्थायी रैन बसेरे भी फुल हो चुके हैं।
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