Year 2022 : लोक शिकायतों का समाधान, भविष्य के लिहाज से लोक सेवक तैयार करना...कार्मिक मंत्रालय की रही प्राथमिकताएं
नई दिल्ली। लोक शिकायतों का समय पर समाधान सुनिश्चित करने के लिए प्रयासों में तेजी, भविष्य के लिहाज से सिविल सेवकों को तैयार करने के लिए एक कार्यक्रम और उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करने वाले सरकारी कर्मचारियों की पड़ताल इस वर्ष कार्मिक मंत्रालय की प्राथमिकता रहीं।
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साथ ही मंत्रालय भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति तय करते समय राज्य सरकारों के मुकाबले उसे अधिक शक्ति प्रदान करके सशक्त बनाने के लिए मौजूदा सेवा नियमों में संशोधन करने के अपने निर्णय के लिए भी सुर्खियों में रहा। इसने सरकारी कार्यालयों में पुरानी फाइल, इस्तेमाल से हटायी गई वस्तुओं और निर्माण सामग्री आदि को हटाने के लिए स्वच्छता अभियान भी चलाया।
दो से 31 अक्टूबर तक चलाए गए इस सफाई अभियान के दौरान विभाग को कबाड़ के निपटारे से 365.59 करोड़ रुपये का राजस्व मिला और 89.47 वर्ग फुट स्थान साफ हो गया। इसके अलावा सीपीजीआरएएमएस पर की गई जन शिकायतों के समाधान के लिए समयसीमा को 45 दिनों से घटाकर अधिकतम 30 दिन किया।
केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) एक ऑनलाइन पोर्टल है जो लोगों को केंद्रीय और राज्य सरकार के विभागों के खिलाफ शिकायत करने की अनुमति देता है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 30 नवंबर 2022 तक सभी मंत्रालयों और विभागों को 18,19,104 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 15,68,097 का निवारण किया गया।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 2022 में कार्मिक मंत्रालय की उपलब्धियों पर बात करते हुए पीटीआई-भाषा से कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने क्षमता निर्माण और शिकायत निवारण के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित उद्देश्य और वैज्ञानिक तरीकों की शुरुआत की है, जैसे मिशन कर्मयोगी और सीपीजीआरएएमएस पोर्टल। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पेश किए गए शासन सुधार वास्तव में सामाजिक और आर्थिक सुधार भी हैं क्योंकि वे अंततः आम नागरिकों के लिए जीवन को आसान बनाते हैं।
कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि शासन में सुधारों ने अतीत की कई वर्जनाओं को तोड़ दिया है और लगभग 2,000 नियमों को खत्म कर दिया है जो समय बीतने के साथ साथ अपनी उपयोगिता खो चुके थे। कार्मिक मंत्रालय आईएएस सेवा नियमों में प्रस्तावित बदलावों पर विभिन्न हितधारकों से प्राप्त राय की भी पड़ताल कर रहा है और इस संबंध में निर्णय लिया जाना बाकी है।
नियमों में बदलाव का प्रस्ताव सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को 20 दिसंबर 2021 को भेजा गया था और उनसे 5 जनवरी 2022 तक अपनी राय देने को कहा गया था। इस कदम की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी आलोचना की थी। बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर प्रस्ताव वापस लेने का आग्रह किया था, और दावा किया था कि यह राज्यों के प्रशासन को प्रभावित करेगा।
अधिकारियों ने कहा कि कम से कम नौ राज्यों- ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान ने कार्मिक मंत्रालय द्वारा पेश किए गए संशोधनों का विरोध किया है।
यह संदेश देने के उद्देश्य से कि सरकार अक्षमता और गैर-प्रदर्शन को बर्दाश्त नहीं करेगी और सिविल सेवकों को नागरिक केंद्रित, उत्तरदायी और ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा के प्रति प्रतिबद्ध बनाने के लिए, मंत्रालय अधिकारियों के प्रदर्शन की, मौलिक नियम 56 (जे), एआईएस या अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 16(3) के तहत समीक्षा कर रहा है।
मंत्रालय के नवीनतम आंकड़े के अनुसार, जुलाई 2014 और जून 2022 के बीच उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करने वाले और भ्रष्ट 395 केंद्रीय अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत्त कर दिया गया।
स्वीकृत कार्यकाल के बाद विदेशी जिम्मेदारी लगातार निभा रहे अधिकारियों अथवा पूर्व में अध्ययन के लिए छुट्टी ले चुके अधिकारियों को वापस लौट कर अपना कार्यभार पुन: संभालने या कठोर कार्रवाई का सामना करने का निर्देश दिया गया। मई 2013 से अपना कार्यभार पुन: न संभालने वाले चौदह आईएएस अधिकारियों को (अवकाश) नियमावली 1955 के नियम 7(2) के तहत इस्तीफा दे चुके मान लिया गया।
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