भारतीय इतिहास पर दोबारा गौर करने की जरूरत, विकृतियां दूर करने के प्रयास हों: महेंद्र नाथ पांडेय

भारतीय इतिहास पर दोबारा गौर करने की जरूरत, विकृतियां दूर करने के प्रयास हों: महेंद्र नाथ पांडेय

सासाराम। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा है कि इतिहासकारों के एक विशेष समूह द्वारा भारत में इतिहास के विकृत संस्करण को पढ़ाया जाता है और इन विकृतियों को ठीक करने के प्रयास किए जाने चाहिए। रोहतास जिला के जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में सोमवार से शुरू तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले दिन केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ज्यादातर इतिहासकारों ने भारत या भारत की संस्कृति और सभ्यता के साथ न्याय नहीं किया। इतिहासकारों के एक विशेष समूह द्वारा इतिहास का एक विकृत संस्करण प्रस्तुत किया गया है।

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उन्होंने कहा कि भारत के प्राचीन इतिहास को सही रूप से प्रकाशित-प्रसारित नहीं किया गया है एवं सही तथ्यों को नयी पीढ़ी के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। पांडेय ने आगे कहा, भारतीय सभ्यता बहुत पुरानी है। इस सभ्यता के लोग ज्ञान और प्रशासन के मामले में दुनिया के अधिकांश देशों से आगे थे। राष्ट्र के लिए रिकॉर्ड को सही करना महत्वपूर्ण है। इतिहास को एक वस्तुनिष्ठ तरीके से दर्ज किया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य से भारतीय इतिहास संकलन योजना देशभर के इतिहास के विद्वानों के सहयोग से शोध कर रहा है तथा इससे संबंधित विभिन्न पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है और यह प्रक्रिया निरंतर जारी है।

उन्होंने कहा कि हमें अपने प्राचीन इतिहास की किताबों में समुद्रगुप्त और स्कंदगुप्त जैसे महान सम्राटों का शायद ही कोई उल्लेख मिलता है। पांडेय ने कहा कि भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिली थी लेकिन हमने अब तक सांस्कृतिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की है।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश सोनी ने कहा, भारत के समृद्ध अतीत को सही रूप में महिमामंडित करने का यह सही समय है। प्रक्रिया अब शुरू हो गई है और भारतीय इतिहास में सभी आवश्यक सुधार किए जा रहे हैं। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के तहत आयोजित इस राष्ट्रीय अधिवेशन को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा आज संबोधित किए जाने की उम्मीद है। 

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