Shraddha Murder Case: Expert से समझिए श्रद्धा के हत्यारोपी आफताब के शातिराना दिमाग की हैवानियत

Shraddha Murder Case: Expert से समझिए श्रद्धा के हत्यारोपी आफताब के शातिराना दिमाग की हैवानियत

पुरोहित ने 35 टुकड़ों में काटने की व्याख्या करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि उसने श्रद्धा के शरीर के कई टुकड़े इसलिए किए, ताकि वह गिरफ्तारी से बच सके

कोझिकोड। केरल के कोझिकोड शहर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (आईएमएचएनएस) द्वारा आयोजित रोल ऑफ पर्सनैलिटी ट्रेट्स इन सीरियल किलिंग पर एक वेबिनार में विशेषज्ञों श्रद्धा हत्याकांड के आरोपी की मनोवैज्ञानिक स्थिति का विश्लेषण किया है। आपदा मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार नरेश पुरोहित ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि यह अपराध यह दर्शाता है कि अभियुक्त ने अपनी प्रेमिका की बिना किसी परिणाम के बारे में सोचे गुस्से में हत्या कर दी। 

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पुरोहित ने 35 टुकड़ों में काटने की व्याख्या करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि उसने श्रद्धा के शरीर के कई टुकड़े इसलिए किए, ताकि वह गिरफ्तारी से बच सके। उन्होंने कहा कि सीरियल किलिंग में व्यक्ति गुस्से में अपने मन पर नियंत्रण नहीं रख पाता है और जो करना होता है वह करता है। 

जिन लोगों में मनोरोग के लक्षण दिखाई देते हैं, वे ज्यादातर ऐसा कुछ करने के बाद खुशी महसूस करते हैं। इस हत्याकांड में आरोपी को ऐसा करते हुए शायद कोई पछतावा नहीं था। लेकिन यह कांड करने के बाद उसे कोई खुशी भी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट है कि आफताब 'डेक्सटर' नाम के अमेरिकी अपराध शो से प्रेरित था। 

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शो में ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो दोहरी जिंदगी जीता है। इस तरह के वृत्तचित्र या फिल्में किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को परेशान करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि क्रोध, गंभीर आक्रामकता के मुद्दों, सहानुभूति की कमी और अहंकार जैसे व्यक्तित्व लक्षण ऐसे रिपोर्ट किए गए अपराधों में बड़ी भूमिका निभाते हैं। 

उन्होंने कहा, इन लक्षणों वाले व्यक्ति में पहले से ही अपराध करने की प्रवृत्ति होती है और जब वह ऐसी फिल्म देखते हैं तो उनमें अपराध करने की प्रवृत्ति और प्रबल हो जाती है। एक मनोरोगी व्यक्ति में क्रोध और आक्रामक स्वभाव देखा जाता है। उन्होंने बताया कि साइकोपैथी डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति किसी की परवाह नहीं करता है। 

उन्होंने कहा, जब मनोरोगी कोई फिल्म या वेब सीरीज देखते हैं, तो उनकी पहली पसंद उनमें कुछ हिंसा देखना और अपराध के नए तरीके सीखना होता है। ताकि वे किसी भी अपराध को अच्छे से अंजाम दे सकें।उन्होंने कहा कि साइकोपैथी डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को पैरानॉयड और स्किजॉयड डिसऑर्डर भी हो सकता है। लोग इन बीमारियों से पालग जैसे होने लगते हैं। व्यक्ति कुछ खतरनाक करने से पहले सोचता भी नहीं है। 

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