बदहाली : अस्पताल के बेड पर तड़पती रही गर्भवती, नहीं पसीजे स्वास्थ्य कर्मी

बदहाली : अस्पताल के बेड पर तड़पती रही गर्भवती, नहीं पसीजे स्वास्थ्य कर्मी

अमृत विचार, बहराइच। जिले के उर्रा बाजार की एक गर्भवती को रविवार रात सीएचसी से जिला महिला अस्पताल रेफर किया गया। कुछ घंटों के लिए वह अस्पताल में जिंदगी और मौत दरमियां खड़ी रही। जब उसकी हालत बिगड़ने लगी तब परिजन उसे सिविल लाइन्स के निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे। जहां उसने एक बेटी को …

अमृत विचार, बहराइच। जिले के उर्रा बाजार की एक गर्भवती को रविवार रात सीएचसी से जिला महिला अस्पताल रेफर किया गया। कुछ घंटों के लिए वह अस्पताल में जिंदगी और मौत दरमियां खड़ी रही। जब उसकी हालत बिगड़ने लगी तब परिजन उसे सिविल लाइन्स के निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे। जहां उसने एक बेटी को जन्म दिया। इसके बाद परिजनों ने जिला अस्पताल के सीएमएस से शिकायत की है।

बताते चलें कि, मेडिकल कॉलेज से संबद्ध महिला अस्पताल और पुरुष अस्पताल की व्यवस्थाएं दुरुस्त होने का नाम नहीं ले रही हैं। इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण रविवार को दिखाई पड़ा। मोतीपुर के उर्रा बाजार निवासी जितेंद्र कुमार अपनी पत्नी सीतम देवी को प्रसव पीड़ा के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लेकर पहुंचे। यहां सुधार न होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोतीपुर में भर्ती कराया गया। सीएचसी में तैनात डॉक्टर मंतदेव ने महिला की हालत गंभीर होने पर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। एंबुलेंस संख्या यूपी 32 बीजी 9486 से गर्भवती को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पति जितेंद्र कुमार और चाचा सतेंद्र कुमार ने बताया कि रात में दो बजे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां पर गर्भवती को भर्ती कर लिया गया। लेकिन दर्द से कराह रही महिला का इलाज नहीं शुरू किया गया। पति ने बताया कि स्टॉफ नर्स रेशमा, प्रीति और डॉक्टर राबिया से भी कई बार गुहार लगाई गई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। सोमवार सुबह छह बजे तक भी कोई सुधार न हुआ। जिस पर सभी प्राइवेट अस्पताल लेकर गए। जहां महिला ने आपरेशन के द्वारा बेटी को जन्म दिया। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा किस कदर लापरवाही बरती जा रही है।

मैं भी स्टॉफ की हूं… तो क्या हुआ

गर्भवती महिला को लेकर आशा संगिनी भाभी पूनम भी पहुंची। उसने बताया कि भर्ती करने पर घूस मांगा गया। जब उसने आशा संगिनी होने की बात बताई, तब जवाब मिला कि क्या हुआ। वहीं गर्भवती के इलाज के लिए सीएचसी के कर्मियों ने भी फोन किया। इसके बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।

इस सम्बन्ध में जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. ओपी चौधरी ने बताया कि महिला अस्पताल में मरीजों के इलाज और गर्भवती के प्रसव के लिए ही सुविधाएं हैं। अगर किसी महिला का इलाज नहीं हुआ है और उसे दूसरी जगह ले जाया गया है तो इसकी शिकायत पत्र मिले। जांच कराकर संबंधित के विरुद्ध कार्यवाई की जायेगी।

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