आईपीएस मणिलाल पाटीदार : 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया जेल

अमृत विचार, लखनऊ। ढ़ाई साल से फरार चल रहे आईपीएस मणिलाल पाटीइदार ने शुक्रवार को एडीजे लोकेश वरुण की एंटी करप्शन कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। शासन ने आईपीएस को गिरफ्तार करने के लिए एक लाख रुपये का इनाम रखा था। महोबा जनपद में एसपी रहते हुए क्रशर कारोबारी की मौत के मसले पर में आईपीएस …
अमृत विचार, लखनऊ। ढ़ाई साल से फरार चल रहे आईपीएस मणिलाल पाटीइदार ने शुक्रवार को एडीजे लोकेश वरुण की एंटी करप्शन कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। शासन ने आईपीएस को गिरफ्तार करने के लिए एक लाख रुपये का इनाम रखा था। महोबा जनपद में एसपी रहते हुए क्रशर कारोबारी की मौत के मसले पर में आईपीएस के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। हालांकि, आईपीएस के आत्मसमर्पण के बाद अदालत ने 14 दिन के लिए उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
गौरतलब है कि 08 सितम्बर 2020 को महोबा जनपद के क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की रहस्यमयी परिस्थतियों में गोली लग गई थी। वह अपनी कार में मरणासन्न हालत में मिले थे। आनन-फानन कारोबारी को निजी अस्पताल में पहुंचाया गया, मगर हालत नाजुक होता देख डॉक्टरों ने उसे कानपुर रेफर कर दिया था। 5 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद 13 सितम्बर को कारोबारी की इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
हालांकि अपनी मौत से पहले यानि 07 सितम्बर को कारोबारी इंद्रकांत ने एक वीडियो जारी कर आईपीएस मणिलाल पाटीदार पर संगीन आरोप लगाते हुए खुद की हत्या किए जाने की आशंका जताई थी। जारी वीडियो में कारोबारी का आरोप था कि आईपीएस मणिलाल पाटीदार ने उससे छह लाख रुपयों की मांग की थी। रुपये न देने पर हत्या कराने या फिर झूठे मुकदमें में जेल भेजने की धमकी दी थी।
कारोबारी की मौत के बाद उसके भाई रविकांत ने तत्कालीन महोबा एसपी मणिलाल पाटीदार समेत कबरई कोतवाली के प्रभारी देवेंद्र, कांस्टेबल अरुण और दो अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था। कारोबारी के परिजनों का आरोप था कि आईपीएस मणिलाल ने इंद्रकांत त्रिपाठी से छह लाख रूपयों की मांग की थी। जब कारोबारी ने रुपये देने से इंकार कर दिया, तो उसे प्रताड़ित किया जाने लगा। यही नहीं कारोाबार बंद कराने की कोशिश की जाने लगी। उसके ठिकानों पर छापेमारी की गई।
जांच के लिए गठित की गई थी एसआईटी
बता दें कि 11 सितम्बर 2020 को शासन के निर्देश पर यूपी पुलिस ने फरार आईपीएस मणिलाल पाटीदार, कबरई कोतवाली के प्रभारी देवेंद्र शुक्ला, कॉन्स्टेबल अरुण यादव समेत दो व्यापारियों पर हत्या का केस दर्ज किया था। जब यह मामला तुल पकड़ने लगा तो प्रदेश ने एसआई का गठन पर इसमें आत्महत्या की पुष्टि की थी। हालांकि, आईपीएस की गिरफ्तारी न होने पर इलाहाबद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था।
इसके बाद महोबा जनपद से तीन और प्रयागराज जनपद से दो टीमों को भगोड़े आईपीएस की तलाश में लगाया गया। इसके बावजूद इन टीमों के साथ खाली रहे। सूत्रों की मानें तो आईपीएस ने राजस्थान में अपने पिता रामजी पाटीदार के नाम से फ्लैट खरीदा था। उसकी कुल 5 संपत्तियों को चिह्नित किया जा चुका है, जो राजस्थान में हैं। इनकी बाजार के मुताबिक कीमत तकरीबन 50-60 करोड़ के आसपास है।
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