अयोध्या: खुद का रिकार्ड तोड़ने को दीपोत्सव में बड़ी तैयारी

अयोध्या: खुद का रिकार्ड तोड़ने को दीपोत्सव में बड़ी तैयारी

अमृत विचार, अयोध्या। दीपोत्सव 2022 की घड़ियां नजदीक आ गई हैं। अब महज आठ दिन बाद राम की पैड़ी पर 15 लाख दीपों को जगमग कर अयोध्या खुद का रिकार्ड तोड़ने जा रहा है। दावा है कि पिछले पांच दीपोत्सव के मुकाबले इस बार बड़ी तैयारियां की गई हैं। अयोध्या में आकर्षण लाइटें लगाई जा …

अमृत विचार, अयोध्या। दीपोत्सव 2022 की घड़ियां नजदीक आ गई हैं। अब महज आठ दिन बाद राम की पैड़ी पर 15 लाख दीपों को जगमग कर अयोध्या खुद का रिकार्ड तोड़ने जा रहा है। दावा है कि पिछले पांच दीपोत्सव के मुकाबले इस बार बड़ी तैयारियां की गई हैं। अयोध्या में आकर्षण लाइटें लगाई जा रही हैं।

पुराने मठ व मंदिर रंगरोगन हो रहे हैं। 23 अक्टूबर को राम की पैड़ी पर मां सरयू के श्रृंगार में दीप ही नहीं जलेंगे बल्कि आसमान में ग्रीन म्यूजिकल आतिशबाजी से प्रभु राम के आगमन की खुशियां मनाई जाएगी। इस भव्य समारोह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कई देशों के राजनयिक समेत अन्य वीवीआईपी साक्षी बनेंगे।

दीपोत्सव-2022 को ऐतिहासिक बनाने के लिए राम की पैड़ी पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन-अर्चन हो चुका है। अयोध्या में 18 लाख दीपों का प्रज्जवलन होगा, जिसमें अयोध्या के प्रमुख स्थल भी सम्मिलित है। 15 लाख दीपों के राम की पैड़ी पर प्रज्ज्वलन कराकर विश्व रिकार्ड बनाया जायेगा। 5 लाख दीपक 40 स्थलों पर प्रज्ज्वलित होंगे। राम चरित्र मानस के सभी कांड पर आधारित डिजिटल झांकी निकाली जायेगी। दीपोत्सव का थ्रीडी होलोग्राफी प्रजेन्टेशन मैपिंग व भव्य म्यूजिकल शो होगा। 7 देशों के अंतरराष्ट्रीय, 9 भारतीय राज्यों की रामलीलाओं व विभिन्न सांस्कृतिक दलों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जायेगा। दीपोत्सव पर साकेत महाविद्यालय से तरह-तरह की झांकियां भी निकाली जाएगी।

अभी क्या: 37 घाटों पर 13 लाख दीपों की हो चुकी है आपूर्ति

पर्यटन विभाग व विश्वविद्यालय के सहयोग से दीपोत्सव को भव्य बनाने की कवायद है। विश्वविद्यालय आवासीय परिसर संबद्ध महाविद्यालयों व स्वयंसेवी संस्थाओं के 18 हजार से अधिक वॉलंटियर्स लगाए गए हैं। दीए बिछाए जाने की मार्किंग का कार्य लगभग पूर्ण हो गया है। राम की पैड़ी के 37 घाटों पर दीए बिछाने के लिए घाट पर लगभग 13 लाख दीपों की आपूर्ति हो चुकी है। घाटों के चिह्नीकरण का कार्य सम्पन्न हो चुका है।

आगे क्या: 21 से लगाएंगे दीये, 22-23 में डाला जाएगा तेल

घाट पर 18 लाख दीये पहुंचने हैं। 13 लाख की आपूर्ति हो चुकी है। बाकी दीये भी अगले एक दो दिन में घाटों पर पहुंच जाएंगे। 21 अक्टूबर से आवासीय परिसर के वालंटियर्स सभी घाटों पर दीए बिछाने का कार्य शुरू कर देंगे। वहीं 22 व 23 अक्टूबर को विश्वविद्यालय, सम्बद्ध महाविद्यालयों व अन्य संस्थानों के वालंटियर्स दीए में तेल व बाती लगाने का कार्य करेंगे। इसके के लिए समिति के सदस्यों का यथा-आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान कर दिया गया है। वालंटियर्स के लिए घाटों पर भोजन की भी व्यवस्था की गई है।

लगेगा 55 हजार लीटर सरसों का तेल

घाटों पर 15 लाख दीये जगमग करने के लिए 55 हजार लीटर सरसो के तेल की व्यवस्था की गई है। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कौटिल्य प्रशासनिक सभागार में शनिवार को दीपोत्सव समन्वयकों व समिति के सदस्यों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता दीपोत्सव नोडल अधिकारी प्रो. अजय प्रताप सिंह ने की। उन्होंने बताया कि आयोजन स्थल पर दीपों की आपूर्ति, यातायात, भोजन प्रबंधन, चिकित्सकीय व्यवस्था जैसे प्रमुख विन्दुओं को अंतिम रूप दिए जाने का निर्देश प्रदान किया। आवासीय परिसर के छात्रों को ले जाने के लिए प्रात: आठ बजे वाहनों का इंतजाम किया गया है। वहीं महाविद्यालयों एवं अन्य संस्थाओं के वालंटियर्स अपने गतव्य स्थान से दीपोत्सव स्थल पर पहुंचेंगे।

23 को साकेत महाविद्यालय से निकलेंगी ये 15 झांकियां
1-पुत्रेष्ठि यज्ञ
2-गुरुकुल शिक्षा
3-बेसिक शिक्षा
4-राम सीता विवाह
5-अहिल्या उद्धार
6-नारी सुरक्षा, सम्मान व स्वालंबन
7-1090 व 1076 की सुविधा
8-पंचवटी/वन व पर्यावरण
9-रामेश्वरम सेतु
10-पुष्पक विमान
11-बेहतर वायु कनेक्टिीविटी
12-केवट प्रसंग
13-राम दरबार
14-शबरी-राम मिलाप
15-लंका दहन व अपराधियों एवं भूमाफियों के विरूद्व अभियान

दीपोत्सव पर कब-कब कितने दीप जले
वर्ष दीप (लाख में )
2017 1,87,213
2018 3,01,152
2019 4, 04,026
2020 6,06,569
2021 9,41,551

कहीं बाढ़ न फेर दे अरमानों पर पानी
बेशक दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर चली रही हैं, लेकिन सरयू में आई बाढ़ खासी मुसीबतें पैदा कर सकती हैं। बाढ़ का पानी राम की पैड़ी के घाटों तक पहुंचने लगा है, जिस कारण दीपोत्सव के लिए राम की पैड़ी के 37 घाटों पर दीपक बिछाने के लिए की जा रही मार्किंग का काम प्रभावित हुआ है। अधिकांश घाटों पर पानी आने की वजह से मार्किंग के निशान मिट रहे हैं।

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