नेताजी और पीपल के पेड़ का कनेक्शन : अंतिम संस्कार से पहले पीपल ने भी छोड़ी धरती

अमृत विचार, इटावा। इसे अजीब संयोग ही कहा जाएगा कि जिस वक्त सैफई में नेताजी मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो रहा था ठीक उसी वक्त गांव के दूसरे छोर पर सैफई मठ के नाम से जाने जाने वाले मंदिर में स्थित पीपल का पेड़ भी अचानक ढह गया। उस वक्त …
अमृत विचार, इटावा। इसे अजीब संयोग ही कहा जाएगा कि जिस वक्त सैफई में नेताजी मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो रहा था ठीक उसी वक्त गांव के दूसरे छोर पर सैफई मठ के नाम से जाने जाने वाले मंदिर में स्थित पीपल का पेड़ भी अचानक ढह गया। उस वक्त न तो कोई आंधी आई और न ही बारिश हुई। अचानक पेड़ गिर पड़ा।
नेताजी अक्सर इस मंदिर में आकर पेड़ की छांव में ध्यान मग्न होकर बैठ जाया करते थे। मन की शांति के लिए वे अक्सर यहां अकेले ही चले आया करते थे। इस पेड़ से उनका लगाव बचपन से ही रहा। चाहे वह पढ़ाई का समय रहा हो अथवा पहलवानी, अध्यापक की नौकरी से लेकर मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री बनने तक का सफर। यह पेड़ उनके हर सुख दुख का साक्षी रहा। नेताजी के देहावसान के बाद अचानक इस पेड़ का इस तरह से ढह जाना कौतूहल का विषय बना हुआ है।
मंदिर के पुजारी सुरेंद्र बाबू का कहना है कि सैफई मठ मंदिर में शिवजी, हनुमान जी और शनिदेव की मूर्तियां विराजित हैं। गांव के लोगों में इस मठ की बहुत मान्यता है। ज्यादातर शुभ कार्यों की शुरूआत मठ में पूजा अर्चना के साथ ही होती है। वे करीब तीस साल से मंदिर पर पुजारी हैं। इस बीच नेताजी यहां कई बार आए।
नेताजी अपने घर से बिना किसी सुरक्षा के भी मंदिर पर आकर पूजा दर्शन करते थे। पीपल पर ब्रहमदेव का वास माना जाता है नेताजी इसी पेड़ की छांव में बैठते थे। यहां उनके मन को काफी शांति मिलती थी। मंगलवार को करीब 11 और 12 बजे के मध्य अचानक पेड़ गिर पड़ा। उस वक्त नेताजी के पार्थिव शरीर को सैफई महोत्सव पंडाल में अंतिम दर्शन के लिए ले जाया गया था।
इस घटना के बाद नेताजी के साथ इस पेड़ के लगाव की चर्चा गांव के हर व्यक्ति की जुबान परहै। गांव के ही कुलदीप का कहना है कि वे बचपन से आते हैं। सैफई मठ मंदिर की गांव के लोगों के बीच बहुत धार्मिक मान्यता है। यहां पीपल का पेड़ काफी पुराना है। एक ही समय पर पीपल का गिरना जरूर कहीं न कहीं नेताजी के प्रति लगाव होने की ओर इशारा करताहै। बाकी भगवान की लीला वे ही जानें।
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