Prayagraj News : पोस्ट को लाइक करना उसे प्रसारित करने के बराबर नहीं

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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सोशल मीडिया आईटी अधिनियम की धारा 67 भड़काऊ सामग्री के संबंध में भी नहीं होती लागू

Allahabad High Court's decision : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत होने वाले अपराधों को स्पष्ट करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक करना प्रकाशित या प्रसारित करने के बराबर नहीं है। कोर्ट ने यह भी बताया कि भड़काऊ सामग्री के संबंध में आईटी अधिनियम की धारा 67 लागू नहीं होती है। यह धारा अश्लील या कामुक सामग्री से जुड़ी है। उक्त धारा अन्य उत्तेजक सामग्री के लिए कोई सजा निर्धारित नहीं करती है।

उपरोक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की एकल पीठ ने इमरान खान की याचिका को स्वीकार कर उसके विरुद्ध मामले को रद्द करते हुए पारित किया। कोर्ट ने माना कि याची के फेसबुक और व्हाट्सएप अकाउंट पर कोई आपत्तिजनक पोस्ट उपलब्ध नहीं है। रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से केवल यह स्पष्ट होता है कि याची ने किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा प्रकाशित संदेश को केवल लाइक किया था। किसी दूसरे की पोस्ट को लाइक करना आईटी एक्ट की धारा 67 या किसी अन्य आपराधिक मामले को आकर्षित नहीं करता है। मामले के अनुसार याची ने फरहान उस्मान की एक पोस्ट को लाइक किया था। जिसमें एक विरोध सभा का जिक्र था, जो भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के लिए कलेक्ट्रेट के पास एकत्रित होने वाली थी।

याची पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश डालने के लिए मामला दर्ज किया गया था। जिसके परिणामस्वरूप बिना अनुमति के जुलूस का आयोजन करने वाले मुस्लिम समुदाय के लगभग 600-700 लोग एकत्रित हुए थे। पुलिस ने शांति भंग करने के आरोप में आईपीसी की विभिन्न धाराओं और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत पुलिस स्टेशन मानटोला, आगरा में याची के विरुद्ध मामला दर्ज किया। हालांकि याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची के फेसबुक अकाउंट पर ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली,जिसके आधार पर उसे शांति भंग करने का आरोपी माना जाए। अंत में कोर्ट ने भी यह निष्कर्ष निकाला कि केस डायरी में उपलब्ध सामग्री यह दर्शाती है कि याची ने गैर कानूनी सभा के लिए फरहान उस्मान की पोस्ट को लाइक किया था। लेकिन किसी पोस्ट को लाइक करना उस पोस्ट को प्रसारित करने के बराबर नहीं माना जाएगा। अतः वर्तमान मामले में आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मामला नहीं बनता है।

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