दुनिया यूक्रेन युद्ध में एक नए चरण की गवाह…
लंदन। दुनिया अब यूक्रेन युद्ध में एक नए चरण की गवाह है। केर्च पुल पर हमला और बाद में कीव और अन्य यूक्रेनी शहरों पर रूसी मिसाइलों की जवाबी कार्रवाई से संकेत मिलता है कि युद्ध बढ़ रहा है। लेकिन यह वृद्धि कितनी दूर तक जाएगी और एक पूर्ण पैमाने पर परमाणु विनिमय की आशंका …
लंदन। दुनिया अब यूक्रेन युद्ध में एक नए चरण की गवाह है। केर्च पुल पर हमला और बाद में कीव और अन्य यूक्रेनी शहरों पर रूसी मिसाइलों की जवाबी कार्रवाई से संकेत मिलता है कि युद्ध बढ़ रहा है। लेकिन यह वृद्धि कितनी दूर तक जाएगी और एक पूर्ण पैमाने पर परमाणु विनिमय की आशंका – हालांकि अकल्पनीय – भविष्य के किसी बिंदु पर हकीकत में बदल सकती है? अब यह समझ में आने लगा है कि यूक्रेन में चल रहे इस युद्ध को खतरनाक अनुपात तक पहुंचने से रोकना न सिर्फ यूक्रेन के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए जरूरी है।
जो बाइडेन का तर्क
पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा दिया गया एक तर्क यह है कि पश्चिम को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ‘‘ऑफ रैंप’’ की पेशकश करनी चाहिए – यानी, उनके लिए एक रास्ता है जिससे वह युद्धविराम का आह्वान कर सकते हैं, जो ऐसा लगेगा जैसे रूस ने यूक्रेन में सैन्य सफलता हासिल कर ली, जिसे पुतिन अपने लोगों तक ले जा सकते हैं और ‘‘जीत’’ का दावा कर सकते हैं। अब यह तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है, पुतिन को ‘‘ऑफ रैंप’’ होना ही होगा केवल एक पेशकश की तरह नहीं बल्कि युद्ध के हालात को देखते हुए मजबूरी में। केर्च पुल पुतिन का पुल है।
उन्होंने क्रीमिया के लोगों से वादा किया था कि 2014 में रूस द्वारा इस क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद वह जल्द ही इसका निर्माण करेंगे। इसे बनाने में 3.7 अरब अमेरिकी डॉलर लगे और जब यह 2018 में खोला गया तो उन्होंने पुल के ऊपर पहला वाहन चलाया । तब से यह एक महत्वपूर्ण सेतु रहा है – न केवल क्रीमिया की अर्थव्यवस्था के लिए, बल्कि वर्तमान युद्ध की शुरुआत से, युद्ध के प्रयासों का समर्थन करने वाली एक महत्वपूर्ण सैन्य कड़ी। इस पुल को जिस तरह से क्षतिग्रस्त किया गया है वह सार्वजनिक रूप से रूसी राष्ट्रपति के लिए एक व्यक्तिगत झटका था, जो पहले से ही महत्वपूर्ण घरेलू दबाव में प्रतीत होते हैं क्योंकि युद्ध मास्को की मर्जी के मुताबिक नहीं जा रहा है।
देश के भीतर कट्टरपंथी तत्व पुतिन के नेतृत्व और यूक्रेन से निपटने में उनकी कथित कमजोरी पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि सत्ता में बने रहने और कट्टरपंथियों को समायोजित करने के लिए पुतिन केवल एक ही रास्ता अपना सकते हैं: उन्हें आगे बढ़ना होगा। यह हाल ही में लामबंदी अभियान में देखा गया था और कई यूक्रेनी शहरों पर मौजूदा मिसाइल हमलों में निश्चित रूप से स्पष्ट है। ऐसा लगता है कि वह नागरिक बुनियादी ढांचे को लक्षित कर रहे हैं। यह स्पष्ट दिख रहा है कि पुतिन को इस बात की परवाह नहीं है कि कितने नागरिक मारे गए। यहां खतरनाक संकेत हैं। क्या वह केवल पारंपरिक आयुधों के साथ मिसाइलों का उपयोग करना जारी रखेंगे? ऐसा हो सकता है कि वह परमाणु विकल्प का उपयोग करने की आवश्यकता महसूस करें।
विशेष रूप से उस समय जब आने वाले समय में उन्हें युद्ध का रूख अपने पक्ष में मुड़ता नहीं दिखे। इस तरह के किसी भी कदम को रोकने के लिए पश्चिम – और विशेष रूप से अमेरिका – क्या कर सकता है? एक विचार यह है कि पुतिन को ऑफ रैंप की पेशकश की जाए। पर कैसे? पिछले हफ्ते एक भाषण में, बाइडेन ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह पुतिन की दुर्दशा को समझते हैं: वह कहां कहां से हटेंगे? उन्हें हटने का रास्ता कहां से मिलेगा? वह खुद को ऐसी स्थिति में ले आए हैं कि उनके लिए अपना चेहरा और यहां तक कि अपनी ताकत को बचाना मुश्किल हो गया है।
कठिन विकल्प
बाइडेन ने अपने ही सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन एक तरीका यह हो सकता है कि पश्चिमी राजनयिक समुदाय कीव पर युद्ध के मैदान में आगे बढ़ने पर लगाम लगाने और पुतिन को कुछ क्षेत्रीय नुकसान स्वीकार करने के लिए दबाव डाले। यह दबाव पश्चिमी आपूर्ति वाले हथियारों को रोकने या प्रमुख विदेशी फंडिंग में कटौती के माध्यम से आ सकता है जो वर्तमान में पूरी यूक्रेनी अर्थव्यवस्था को बचाए हुए है।
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