स्मृति शेष: काशीपुर के कुंडेश्वरी से ‘नेताजी’ का पारिवारिक नाता, भीषण तूफान में अखिलेश संग पहुंचे थे यहां

स्मृति शेष: काशीपुर के कुंडेश्वरी से ‘नेताजी’ का पारिवारिक नाता, भीषण तूफान में अखिलेश संग पहुंचे थे यहां

अरुण कुमार, काशीपुर। समाजवादी पार्टी संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की उत्तराखंड जुड़ी कई स्मृतियों के साथ कुंडेश्वरी से पारिवारिक नाता रहा है। उनका राजनीतिक इतिहास बहुत बड़ा है। दरअसल कुंडेश्वरी निवासी एडवोकेट मनोज जोशी बताते हैं कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से उनके पारिवारिक संबंध हैं। उत्तराखंड बनने …

अरुण कुमार, काशीपुर। समाजवादी पार्टी संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की उत्तराखंड जुड़ी कई स्मृतियों के साथ कुंडेश्वरी से पारिवारिक नाता रहा है। उनका राजनीतिक इतिहास बहुत बड़ा है।
दरअसल कुंडेश्वरी निवासी एडवोकेट मनोज जोशी बताते हैं कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से उनके पारिवारिक संबंध हैं। उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2002 में उन्हें सपा से जसपुर के लिए विधानसभा टिकट दिया गया था। चुनाव प्रचार करने के लिए मुलायम सिंह यादव अपने पुत्र अखिलेश यादव के साथ भीषण तूफान के बीच हेलीकॉप्टर से जसपुर पहुंचे। करीब तीन घंटे तक पिता-पुत्र ने उनके पक्ष में चुनाव प्रचार कर लोगों से मत की अपील की। इसके बाद वह वापस चले गए, लेकिन उन्हें सफलता हासिल नहीं हो सकी।

मनोज जोशी ने बताया कि वर्ष 2000 में मुलायम सिंह यादव के बड़े पुत्र अखिलेश यादव का विवाह कुंडेश्वरी निवासी रमेश रावत की पुत्री डिंपल के साथ विवाह हुआ। वैवाहिक कार्यक्रम सैफई में हुआ था। इस बीच अखिलेश का कुंडेश्वरी आना रहता है। करीब एक वर्ष से उनके समधी रमेश रावत अपने परिवार के साथ लखनऊ में रहते हैं। उनका घर अभी भी कुंडेश्वरी में है। उन्होंने बताया कि मुलायम सिंह एक बार बिना किसी को बताए कुंडेश्वरी आए थे। उस समय उनकी पहचान नहीं थी।

उन्होंने बताया कि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड और गैरसैंण राजधानी का पहला ड्राफ्ट तैयार करना मुलायम सिंह की देन है। उत्तराखंड राज्य और पहाड़ की मूल भावना के अनुरूप राजधानी गैरसैंण के रूप में पहला प्रस्ताव व उसका ड्राफ्ट तैयार कर केंद्र को भेजने वाले पहले नेता मुलायम सिंह यादव ही थे। मुलायम सिंह यादव जब पहली बार साल 1989 में जनता दल से मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने उत्तराखंड के लोगों से वादा किया था कि वह अलग राज्य उत्तराखंड बनाएंगे।

दूसरी बार जब मुलायम सिंह यादव साल 1993 में समाजवादी पार्टी से मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में तत्कालीन काबीना मंत्री रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में एक कौशिक कमेटी बनाई और अलग राज्य उत्तराखंड को लेकर रिपोर्ट तैयार करने को कहा। कमेटी ने पहली बैठक लखनऊ, दूसरी अल्मोड़ा, तीसरी पौड़ी, चौथी काशीपुर और पांचवी बैठक लखनऊ में की गई। इस तरह से मुलायम सरकार की कौशिक समिति ने 10 महीने के भीतर अलग राज्य उत्तराखंड का 13 बिंदुओं का ड्राफ्ट तैयार किया। ड्राफ्ट रिपोर्ट में पर्वतीय राज्य उत्तराखंड और गैरसैंण राजधानी का जिक्र था।

वहीं, इसके अलावा उत्तराखंड के विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए चकबंदी भू बंदोबस्त और हिमाचल मॉडल के तर्ज पर उत्तराखंड राज्य के निर्माण की कल्पना की गई थी। बताया जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए अगस्त 1994 में इस रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश के दोनों सदनों से पास करवा कर केंद्र को भेज दिया था। उत्तराखंड राज्य आंदोलन की आग साल 1994 में तब ज्यादा भड़की जब 2 सितंबर को मसूरी और खटीमा गोलीकांड हुआ। उसके बाद 2 अक्तूबर को रामपुर तिराहा कांड हुआ। उन्होंने बताया कि मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार मंगलवार को तीन बजे सैफई में किया जाएगा। वह भी उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होंगे।

उदयराज प्रेक्षागृह सभागार निर्माण को दिए 50 हजार
उदयराज हिन्दू इंटर कॉलेज प्रबंधक शिवनंदन प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 1989-90 में पूर्व सांसद एवं विद्यालय अध्यक्ष पद पर रहे स्व. सत्येंद्र चंद्र गुड़िया के कार्यकाल में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने विद्यालय प्रेक्षागृह सभागार के निर्माण के लिए पचास हजार रुपये की अनुदान राशि की थी।

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