दशहरा विशेष: हम राम नहीं तो कैसे करें रावण का दहन, बिहूनी गांव में स्थापित है सैकड़ों वर्ष पुरानी रावण की प्रतिमा

दशहरा विशेष: हम राम नहीं तो कैसे करें रावण का दहन, बिहूनी गांव में स्थापित है सैकड़ों वर्ष पुरानी रावण की प्रतिमा

हमीरपुर, अमृत विचार। महात्मा गांधी ने कहा था, “पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।“ बापू की इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं मुस्करा क्षेत्र में बिहुनी गांव के वाशिंदे। यहां दशहरा पर रावण नहीं जलाया जाता। मान्यता है कि जिस रावण से खुद भगवान लक्ष्मण ने ज्ञान लिया, उसे इंसान कैसे जला सकते …

हमीरपुर, अमृत विचार। महात्मा गांधी ने कहा था, “पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।“ बापू की इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं मुस्करा क्षेत्र में बिहुनी गांव के वाशिंदे। यहां दशहरा पर रावण नहीं जलाया जाता। मान्यता है कि जिस रावण से खुद भगवान लक्ष्मण ने ज्ञान लिया, उसे इंसान कैसे जला सकते हैं। गांव के बीच में रावण के नौ सिर वाली विशाल प्रतिमा भी स्थापित है।

बिहूनी में गांव के बीच रामलीला मैदान है। जिसके ठीक सामने रावण की दस फिट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। 9 सिर व 20 भुजाओं वाली प्रतिमा के सिर पर मुकुट है। जिसमें घोड़े की आकृति बनी है। रावण की यह प्रतिमा बैठने की मुद्रा को दर्शाती है। गांव के धीरेंद्र बताते हैं कि यह प्रतिमा सीमेंट अथवा चूने से बनाई गई है। कब और किसने इसका निर्माण कराया यह गांव के बड़े बुजुर्गों को भी पता नहीं है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्रतिमा करीब एक हजार वर्ष पुरानी होगी। ग्राम पंचायत द्वारा सैकड़ों वर्ष पुरानी इस प्रतिमा को सहेजने का काम किया जा रहा है। प्रतिवर्ष प्रतिमा की रंगाई पुताई कराई जाती है। धर्मेंद्र बताते हैं कि गांव में कभी रावण दहन नहीं किया जाता है। ग्रामीण तर्क देते हैं कि रावण महाविद्धान थे। अंतिम समय में भगवान राम के कहने पर लक्ष्मण ने उनके चरणों के पास खड़े होकर ज्ञान लिया था। जिस विद्धान से खुद भगवान ने ज्ञान लिया उसके पुतले को जलाने का इंसान को क्या अधिकार है। वेद वेदांत के ज्ञाता रावण का दहन कर अपने धर्म शास्त्रों का अपमान नहीं कर सकते।

दशहरे में होता है रावण का श्रंगार
ग्रामीण बताते हैं कि दशहरे पर रावण की प्रतिमा को रंग रोगन कर सजाया जाता है। साज श्रंगार के बाद ग्रामीण श्रद्धा से नारियल चढ़ाते हैं। विजयदशमी का पर्व असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाते हैं। पर रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता। रावण की प्रतिमा स्थापित होने से इस मोहल्ले को रावण पटी कहते हैं। विवाह के बाद नवदंपती रावण की प्रतिमा के सामने नतमस्तक होकर आशीर्वाद लेना नहीं भूलते।

जनवरी में लगता है विशाल मेला
रावण की प्रतिमा के सामने मंदिर व रामलीला मैदान है। प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में यहां पर विशाल मेले का आयोजन होता है। जिसमें दूरदराज से आने वाले व्यापारी अपनी दुकानें लगाते हैं। मेले के दौरान रामलीला का मंचन भी होता है। करीब एक सप्ताह तक चलने वाली रामलीला में रावण वध के बाद भी पुतले को नहीं जलाया जाता। रामलीला कलाकार प्रतीकात्मक रूप में रावण वध करते हैं। ग्रामीण रावण की प्रतिमा पर नारियल चढ़ा कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं।

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