स्वच्छता में तो 11वीं रैंक पर अनुदान में फिसड्डी

अमृत विचार, अयोध्या। नगर निगम अयोध्या को स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 में पिछले रिकार्ड तोड़कर देश में 120वीं और प्रदेश में 11वीं रैंक तो मिल गई। लेकिन पंचम राज्य वित्त आयोग से नगर निगमों को आवंटित अनुदान राशि में सितम्बर माह में भी मायूसी हाथ लगी है। उत्तर प्रदेश की 17 नगर निगमों को अनुदान आवंटन में …
अमृत विचार, अयोध्या। नगर निगम अयोध्या को स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 में पिछले रिकार्ड तोड़कर देश में 120वीं और प्रदेश में 11वीं रैंक तो मिल गई। लेकिन पंचम राज्य वित्त आयोग से नगर निगमों को आवंटित अनुदान राशि में सितम्बर माह में भी मायूसी हाथ लगी है। उत्तर प्रदेश की 17 नगर निगमों को अनुदान आवंटन में नगर निगम अयोध्या 16वें पायदान पर पहुंच गया है। नगर निगम अयोध्या को सितम्बर माह के लिए मात्र 5 करोड़ 16, 23, 637 रुपये अनुदान मिला है। वहीं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी नगर निगम को 17 करोड़, 24 लाख 88 हजार 862 रुपये तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर नगर निगम को 11 करोड़ 44 लाख16 हजार 301 रुपये का आवंटन किया गया है।
जिस अयोध्या को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार तमाम प्रयास कर रही है। स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अयोध्या के विकास पर ही फोकस कर रहे हैं। लेकिन नगर विकास विभाग रामनगरी को कितनी गंभीरता से ले रहा है, इसकी नजीर पंचम राज्य वित्त आयोग के मद से 17 नगर निगमों को आवंटित अनुदान है। राज्य वित्त आयोग के मद से धनराशि आवंटन में प्रदेश की 15 नगर निगमों पर जमकर धनवर्षा की गयी है। लेकिन रामनगरी अयोध्या को 16वें स्थान पर रखा गया है। राज्य वित्त आयोग से नगर निगम अयोध्या को सितम्बर माह के लिए जहां मात्र 5 करोड़ 16, 23, 637 रुपये ही जारी किये हैं। ऐसे में अयोध्या महानगर के विकास कार्यों को कराना तो दूर, कर्मचारियों व अधिकारियों के वेतन भर की भी धनराशि नगर निगम के पास मयस्सर नहीं है। राम मंदिर के निर्माण के बाद से रामनगरी में पर्यटकों व श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है और वीवीआई दौरे भी बढ़े हैं। ऐसी स्थिति में नगर निगम पर वित्तीय बोझ और भी बढ़ गया है।
कार्यदायी संस्थाओं का बकाया तक नहीं दे पा रहा निगम
ांचम राज्य वित्त से नगर निगम अयोध्या को मिलने वाले अनुदान में निरंतर कमी होती जा रही है। इसके चलते नगर में विकास का पहिया थम गया है। कार्यदायी संस्थाओं को भुगतान नहीं मिल पा रहा है। हाल यह है कि नगर निगम के मोटर पम्प की रिबाइडिंग करने वाली कम्पनी को वर्ष 2020-21 से बकाया लम्बित है। ठेकेदार अपने भुगतान के लिए नगर निगम की गणेश परिक्रमा कर रहे हैं।
आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा नगर निगम
नगर निगम अयोध्या इस समय आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। कोविड काल से पहले निगम को करीब 6.5 करोड़ मासिक अनुदान मिलता था जो घट कर 5 करोड़ के आसपास पहुंच गया है।नगर निगम अयोध्या की वर्ष 2021-22 में कर-करेत्तर से प्राप्त आय करीब 17 करोड़ से 2022-23 में लगभग 150 प्रतिशत बढ़ी फिर भी निगम का बेड़ा पार नहीं हो पा रहा। इसका मुख्य कारण है कि नगर निगम में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भरमार है। करीब हजार कर्मचारी आउटसोर्सिंग पर कार्यरत हैं। इसके अलावा 495 स्थायी कर्मचारी व अधिकारी हैं। वहीं संविदा पर 45 कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा जल निगम से नगर निगम में 43 कर्मचारी आये हैं। कुल मिलाकर 3123 कर्मचारियों के वेतन, भत्ते तथा 546 पेंशनर्स की पेंशन इसी राज्य वित्त आयोग से प्राप्त अनुदान से दी जाती है। आय के स्रोत कम होने और वेतन के साथ अधिकारियों की सुख सुविधा पर होने वाले खर्चे अधिक बढ़ने से नगर निगम की हालत बदतर हो गयी है।
अपर नगर आयुक्त शशि भूषण राय ने बताया कि परम्परा आय के स्रोत को बढ़ाने का प्रयास चल रहा है। सभी स्रोतों से अभी करीब 22 करोड़ रुपये वार्षिक आय है, जिसे बढ़ाकर इसी वर्ष 30 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य है। अयोध्या में बाहर से आने वाली जनसंख्या निरंतर बढ़ रही है। उसी लिहाज से सफाई सहित अन्य व्यवस्थाओं पर व्यय हो रहा है। इसलिए शासन स्तर पर हमारा पत्राचार चल रहा है कि राज्य वित्त से जो अनुदान हमे कोविड से पहले दिया जाता रहा है, वही दिया जाये।
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