बरेली: एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में छात्रों ने की तोड़फोड़, पुलिस से धक्कामुक्की

बरेली, अमृत विचार। एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में परिणाम व अन्य मांगों को लेकर एबीवीपी के नेतृत्व में नौ जिलों के अलग-अलग महाविद्यालयों के छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्रों ने तोड़फोड़ की और प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया। इस दौरान छात्रों की पुलिस, प्रॉक्टर व सुरक्षाकर्मियों से धक्कामुक्की भी …

बरेली, अमृत विचार। एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में परिणाम व अन्य मांगों को लेकर एबीवीपी के नेतृत्व में नौ जिलों के अलग-अलग महाविद्यालयों के छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्रों ने तोड़फोड़ की और प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया।

इस दौरान छात्रों की पुलिस, प्रॉक्टर व सुरक्षाकर्मियों से धक्कामुक्की भी हुई। कुलपति प्रो. केपी सिंह से छात्रों ने नोकझोंक भी की। हंगामे की सूचना पर एसीएम व सीओ भी मौके पर पहुंचे।अंत में कुलपति के सभी समस्याओं का 10 दिन में समाधान के आश्वासन के बाद छात्रों ने प्रदर्शन समाप्त किया।

एबीवीपी ने 8 सितंबर को बीए के परिणाम में गड़बड़ी को लेकर प्रदर्शन किया था। इस पर परीक्षा नियंत्रक ने जल्द समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था। समस्याओं के समाधान न होने पर एबीवीपी ने विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी नौ जिलों के छात्रों से फोन व सोशल मीडिया पर संपर्क कर गुरुवार को विश्वविद्यालय में प्रदर्शन के लिए बुलाया। बदायूं, पीलीभीत, रामपुर, बिजनौर व अन्य जिलों से छात्र बसों से विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन करने पहुंचे। यहां जोरदार प्रदर्शन किया।

इस दौरान बारिश होने पर सभी प्रशासनिक भवन के बाहर पहुंचे और जमकर नारेबाजी की। करीब 4 घंटे के प्रदर्शन के बाद कुलपति छात्रों से मिलने आते हैं लेकिन यहां पर छात्रों को उग्र देखकर कुलपति अंदर चले जाते हैं। कई छात्र कुलपति के सामने रुपये निकाल कर गंभीर आरोप लगाकर एजेंसी को ब्लैकलिस्ट करने की मांग करते हैं। कुलपति के वापस जाने पर छात्र और उग्र हो जाते हैं और प्रशासनिक भवन के गेट को तोड़ने का प्रयास करते हैं। इस दौरान सुरक्षा प्रभारी, प्रॉक्टर व पुलिसकर्मियों से धक्का-मुक्की भी होती है।

उसके बाद छात्र बाहर से द्वार पर ताला लगा देते हैं। कुछ छात्रों ने गमले भी तोड़ दिए। एक युवक प्रशासनिक भवन पर चढ़कर ईंट से शीशा तोड़ने का प्रयास करता है लेकिन नाकाम हो जाता है। इसके बाद उसे नीचे उतारकर लाया जाता है। काफी मशक्कत के बाद छात्र वार्ता के लिए तैयार होते हैं। उसके बाद कुलपति प्रो. केपी सिंह, कुलसचिव डा. राजीव कुमार, परीक्षा नियंत्रक संजीव कुमार व अन्य शिक्षकों की मौजूदगी में बाहर आकर आश्वासन दिया।

प्रदर्शन करने वालों में मेरठ प्रांत के प्रांत मंत्री हंस चौधरी ने बताया कि विश्वविद्यालय में फैली तमाम अनियमितताओं को लेकर कुलपति को 14 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा है। अक्सर देखने में आता है कि न तो विश्वविद्यालय शैक्षिक कैलेंडर के हिसाब से सत्र लागू करता और न ही परीक्षाएं समय पर कराई जाती हैं। जिससे सत्र पीछे चल रहा है।

प्रांत सह मंत्री अंकित पटेल ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा ऐसी एजेंसी को ठेका दिया है जो कोई भी कार्य ठीक से नहीं कर पा रही है। महानगर संगठन मंत्री अबनी यादव, महानगर मंत्री अमन सिंह तोमर, विभाग संगठन मंत्री अमित भारद्वाज, सिद्धार्थ, मनोज यादव, आकाश राठौड़, आदि दिवाकर, सचिन सिंह, शुभांकुर मिश्रा, रचित शर्मा, गौरव राठौर, रवि प्रताप सिंह, अनुष्का, प्रेरणा, बानी, श्रेयांश, हर्ष, प्रशांत, अनिकेत, आनंद, निखिल, हर्षित समेत सैकड़ों कार्यकर्ता एवं छात्र उपस्थित रहे।

विश्वविद्यालय ने सभी समस्याओं पर दिया स्पष्टीकरण
विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने सभी छात्रों का हित एवं उनके अच्छे कैरियर के लिए प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि कुछ महाविद्यालयों ने मुख्य परीक्षा में छात्रों को अनुपस्थित दिखाया है, उन विषयों में कॉलेज से अभिलेख मंगाए जा रहे हैं और जल्द ही डाटा पूरा कर छात्रों का परिणाम जारी किया जाएगा।

मिड टर्म परीक्षा में अनुत्तीर्ण करने की छात्रों की शिकायत का भी दस्तावेज मंगाकर अवलोकन किया जाएगा। विश्वविद्यालय ने यह स्पष्ट किया है कि अनुत्तीर्ण या अनुपस्थित छात्रों को पास नहीं किया जा सकता है। इंग्लिश लैंग्वेज के प्रश्न पत्र में सिलेबस के बाहर के प्रश्न पूछने के मामले में विश्वविद्यालय पूर्व से ही परिणाम में संशोधन कर चुका है और संशोधित परिणाम जल्द ही वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इससे छात्रों के बैक पेपर का भी समाधान हो जाएगा। एक छात्र नेता ने पुरानी एजेंसी को कार्य देने की मांग की।

इस पर विश्वविद्यालय का कहना है कि छात्रों का कार्य एजेंसी का समर्थन या विरोध करना नहीं है, एजेंसी का चयन शासन के अधीन टेंडर के माध्यम से विहित प्रक्रिया द्वारा किया जाता है जिस पर न तो विश्वविद्यालय का कोई नियंत्रण है और न ही विश्वविद्यालय इसमें हस्तक्षेप करता है। फिर भी यदि किसी एजेंसी द्वारा ऐसा कार्य किया जाए जो छात्र हित में नहीं है तो उसे विश्वविद्यालय अनुमति प्रदान नहीं करता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों में पूर्व से ही वस्तुनिष्ठ प्रश्नों से परीक्षा ली जा रही है। वस्तुनिष्ठ परीक्षा प्रणाली से परिणाम जल्दी मिलते हैं। साथ ही छात्रों को चुनौती मूल्यांकन या आरटीआई आदि की भी कोई आवश्यकता नहीं रहती है। कुलपति ने कहा कि जल्द ही प्रथम और द्वितीय वर्ष के भी सभी परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।

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