कानपुर: यूरेनियम प्रभावित क्षेत्रों से लिए पानी के नमूने, आईआईटी और जीएसआई नार्थ रीजन की लैब से होगी जांच

कानपुर, अमृत विचार। कानपुर और कानपुर देहात के भूमिगत जल में मिले यूरेनियम के मामले में जांच शुरू हो गई है। मंगलवार को जलकल की टीम ने शहर के 13 प्रभावित क्षेत्रों से पानी की सैंपलिंग कराई। इन्हें जांच के लिए आईआईटी कानपुर और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) नार्थ रीजन, लखनऊ भेजा जाएगा। यहां की …

कानपुर, अमृत विचार। कानपुर और कानपुर देहात के भूमिगत जल में मिले यूरेनियम के मामले में जांच शुरू हो गई है। मंगलवार को जलकल की टीम ने शहर के 13 प्रभावित क्षेत्रों से पानी की सैंपलिंग कराई। इन्हें जांच के लिए आईआईटी कानपुर और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) नार्थ रीजन, लखनऊ भेजा जाएगा। यहां की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। नमूने बुधवार को भेजे जाएंगे।

आईआईटी के विशेषज्ञों ने कानपुर और कानपुर देहात के 192 सरकारी हैंडपंप से नमूने लिए, जिनकी जांच कराई गई तो रिपोर्ट चौंकाने वाले आई। पानी में यूरेनियम की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से काफी ज्यादा मिली। मानक 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर है। संस्थान के अर्थ साइंस विभाग के प्रो. इंद्रशेखर सेन और शोधार्थी सरवर निजाम ने भूमिगत जल की जांच की और उसकी रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित की।

रिपोर्ट के आधार पर आईआईटी के विशेषज्ञों से बातचीत कर अमृत विचार समाचार पत्र ने आमजन की सेहत को ध्यान में रखते हुए खबर छापी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल निगम, भूगर्भ जल विभाग के अधिकारियों और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से बातचीत कर लगातार कई खबरें प्रकाशित की। मंडलायुक्त और जिलाधिकारी को जानकारी दी, जिस पर दोनों अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लिया। खबरों का असर हुआ। जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर ने सात विभागों की टीम तैयार कर जांच की जिम्मेदारी सौंपी। मंगलवार को जल कल विभाग की टीम ने कानपुर के 13 प्रभावित क्षेत्रों से भूजल के नमूने लिए। इस कार्य में भूगर्भ जल विभाग ने सहयोग किया।

जलकल विभाग के सचिव केपी आनंद ने बताया कि सैंपल को बुधवार को आईआईटी कानपुर और जीएसआई नार्थ रीजन की लखनऊ स्थित लैब में भेजा जाएगा। वहां की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। कानपुर देहात के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आशुतोष पांडेय ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे किया जा रहा है। पहले चरण में सर्वे होगा, उसके बाद सैंपलिंग की जाएगी। बोर्ड मुख्यालय के अधिकारियों को मामले की जानकारी दी गई है।

एसओपी के आधार पर होगी सैंपलिंग
कानपुर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी के मुताबिक सैंपलिंग में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर (एसओपी) अपनाई जाएगी। यूरेनियम काफी संवेदनशील मैटल है, उसकी वजह से सैंपलिंग, पैकिंग और उसको दूसरी जगह तक पहुंचाने के लिए एसओपी का पालन करना होता है। बोर्ड मुख्यालय में जांच होती है, लेकिन एसओपी के लिए मान्य नहीं है। आईसीएआर और सीआईएसआर से बातचीत की गई है, लेकिन उनके यहां सुविधा नहीं है। केंद्रीय भूगर्भ जल विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया है।

क्षेत्र                  यूरेनियम का स्तर
चकेरी                       253.29
सकरावां                    116.36
सिहारी, घाटमपुर         114.14
रहिमपुर, विषधन         112.83
चकेरी वार्ड                   93.63
धूल                             68.62
नानकारी                      64.30
चौबेपुर                         63.93
झींझक                         60.15
मैथा                             51.53
खानचंदपुर                    44.90
नवीन नगर                    44.54
भौंती                            43.35
फतेहपुर रोशनाई            41.29
गड़ही                            40.19
पुर                                39.08
जरैला                            37.53
कुंवरपुर                         35.76

नोट- मात्रा माइक्रोग्राम प्रति लीटर में है।

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