बरेली: गारंटरों की जिम्मेदारी से फंसा बैंकों का 370 करोड़ हुआ एनपीए

बरेली: गारंटरों की जिम्मेदारी से फंसा बैंकों का 370 करोड़ हुआ एनपीए

बरेली, अमृत विचार। गारंटरों के भरोसे बरेली की बैंकों की ओर से ऋण में करीब 370 करोड़ रुपया एनपीए (डूबता धन) हो चुका है। इन रुपयों को वसूलने में बैंकों काे पसीना निकल आया, लेकिन कर्जदार हाथ आ रहे हैं और न ही गारंटर। बैंक अपने ऋण की सुरक्षा के लिए कर्ज लेने वाले से …

बरेली, अमृत विचार। गारंटरों के भरोसे बरेली की बैंकों की ओर से ऋण में करीब 370 करोड़ रुपया एनपीए (डूबता धन) हो चुका है। इन रुपयों को वसूलने में बैंकों काे पसीना निकल आया, लेकिन कर्जदार हाथ आ रहे हैं और न ही गारंटर।

बैंक अपने ऋण की सुरक्षा के लिए कर्ज लेने वाले से गारंटर की मांग करते हैं। कई मामलों में देखने में आया है कि ऋण वापस देने में गारंटर बैंक के सामने नहीं आते हैं। कर्जधारक बैंक को मिलता है न गारंटी देने वाला गारंटर सामने आता है। ऐसे में बैंकों पर एनपीए (नान परफारमेंस एसेट) का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।

सिर्फ बरेली में ही बैंकों का कुल एनपीए 370 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है। इनमें एसबीआई, पीएनबी, सेंट्रल बैंक, इलाहाबाद बैंक जैसे राष्ट्रीयकृत बैंकों के एनपीए भी शामिल हैं। बैंक अधिकारियों के अनुसार अभी तक भारी- भरकम गारंटी देने वाले के बारे में स्पष्ट निर्देश नहीं थे। उसमें सिर्फ ऋण लेने वाले के बारे में ही कार्रवाई का प्रावधान था, लेकिन गारंटर के मामले में कुछ नहीं होता था।अब नियम में संशोधन के बाद गारंटर को भी कर्जधारक के साथ- साथ नोटिस देने का प्रावधान कर दिया है।

मृत्यु के बाद भी नहीं खत्म होती गारंटर की जवाबदेही
आमतौर पर गारंटर दस्तावेजों पर बिना पढ़े और समझे ही हस्ताक्षर कर देते हैं, लेकिन अब इसमें खतरे बढ़ गए हैं। गारंटर बनने के दायित्व जोखिम भरे हो गए हैं। गारंटर बनने के बाद व्यक्ति को बैंक के उन सभी नियमों का पालन करना होगा, जिसमें उसने हस्ताक्षर किए हैं। यदि कोई बैंक का कर्ज नहीं लौटा रहा है तो इसकी वसूली गारंटर से की जाएगी।

यह गारंटर की सबसे अहम जवाबदेही होगी। कर्जधारक की मौत होने पर भी गारंटर की जवाबदेही समाप्त नहीं होगी, बल्कि इन हालातों में कर्जधारक का खाता फ्रीज कर दिया जाएगा। बैंक ऋणी और गारंटर के खिलाफ एक साथ वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई कर सकता है। बैंकों के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह पहले ऋणी के खिलाफ कार्रवाई करे।

3 माह में 6 करोड़ 81 लाख रुपये एनपीए हुआ कम
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के काफी रुपये एनपीए में फंसे हैं, जिस वजह से बैंकों पर अनावश्यक वित्तीय दबाव बना रहता है। हाल ही में जारी हुए आंकड़ों के अनुसार बैंकों की बढ़ती इस समस्या के विपरित एक अच्छी खबर आई है कि तीन माह में करीब छह करोड़ 81 लाख रुपये का एनपीए क्लियर हुआ है आंकड़ों के अनुसार जिले में सबसे अधिक एनपीए पंजाब नेशनल बैंक का 98.50 करोड़ रुपये है। वहीं, अप्रैल से जून तिमाही के दौरान करीब 25,533 आरसी जारी की गई है। जनवरी-मार्च 2022 में एनपीए 376.87 करोड़ रुपये था।

टॉप-5 बैंकों की एनपीए की जानकारी

बैंक                               जारी की गई आरसी             राशि (करोड़ रुपये में)

पंजाब नेशनल बैंक                  6,010                         98.50

बैंक ऑफ बड़ौदा                      5,322                     57.68

बड़ौदा यूपी ग्रामीण बैंक            5,395                     33.41

भारतीय स्टेट बैंक                        4,137                  32.23

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया             1,871              23.84

आरबीआई की ओर से काफी पहले से इस प्रावधान के मुताबिक काम किया जा रहा है। एनपीए होने पर बैंक की ओर से ऋणी के साथ- साथ गारंटर को भी नोटिस दिया जाता है। हालांकि ऋण लेने की श्रेणी के आधार पर गांरटर की मांग की जाती हैएमएम प्रसाद, लीड बैंक मैनेजर

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