वर्तमान में अपने वास्तविक रूप को खो चुका है मनुष्य: पुरुषोत्तम वर्मा
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा खेल एवं योग विज्ञान संस्थान में “मैं कौन हूं, मानव जीवन में विचार एवं व्यवहार का विकास” विषय पर एक संगोष्ठी हुई। मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के कुमार विद्यालय के संचालक पुरुषोत्तम वर्मा ने कहा कि वर्तमान में मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप खो चुका है। यदि …
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा खेल एवं योग विज्ञान संस्थान में “मैं कौन हूं, मानव जीवन में विचार एवं व्यवहार का विकास” विषय पर एक संगोष्ठी हुई। मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के कुमार विद्यालय के संचालक पुरुषोत्तम वर्मा ने कहा कि वर्तमान में मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप खो चुका है। यदि हम सभी यह जान ले कि वास्तव में हम कौन हैं और कहां से आए हैं? हमारे जीवन व जन्म का उद्देश्य एवं लक्ष्य क्या है, तो निश्चित रूप से चिंतन, व्यवहार, आचरण एवं जीवन श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम बनते हुए चले जाएंगे।
कहा कि जब तक मनुष्य अपने वास्तविक आत्मस्वरूप से परिचित नहीं होगा तब तक वह कष्ट उठाता रहेगा। उन्होंने कहा जो व्यक्ति वेदों, ग्रंथों, उपनिषदों, सत्साहित्यों का मनसा वाचा कर्मणा स्वाध्याय मनन चिंतन करेगा तो निश्चित ही उसके विचार, उसका व्यवहार, कर्म-चिंतन, आचरण और जीवन श्रेष्ठता के शिखर को प्राप्त कर सकेगा। अध्यक्षता करते हुए शारीरिक शिक्षा खेल एवं योगिक विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो संत शरण मिश्र ने कहा निरंतर मनन से मन का त्राण (रक्षा) हो सके वह मंत्र है। जो तन की रक्षा करें वह तंत्र है।
उन्होंने तंत्र पर चर्चा करते हुए कहा कि तंत्र का कभी भी प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। कहा कि शरीर आत्मा के बिना अधूरा है और आत्मा शरीर के बिना। विशिष्ट अतिथि मध्य प्रदेश तंत्र साधक महेश बिन्झाडे ने कहा कि वर्तमान जनमानस तंत्र नाम सुनकर ही भय एवं नकारात्मकता से भर जाता है। इसका एकमात्र कारण तंत्र के ज्ञान विज्ञान एवं प्रयोगों का दुरुपयोग किया जाना रहा है। संचालन गायत्री वर्मा ने किया। डॉ. अनिल मिश्रा, डॉ. अर्जुन सिंह, डॉयकपिल राणा, डॉ. अनुराग पांडेय, डॉ. त्रिलोकी यादव आदि मौजूद रहे।