शाहीनबाग की राह

शाहीन बाग मामले में आम आदमी के लिए सड़क बंद करने को लेकर दिल्ली पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच विरोधाभासी बातें सामने आ रही हैं, जिससे सड़क खुलने को लेकर फिलहाल संशय बना हुआ है। पूर्व आईएएम और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने सड़क बंद करने पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते …

शाहीन बाग मामले में आम आदमी के लिए सड़क बंद करने को लेकर दिल्ली पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच विरोधाभासी बातें सामने आ रही हैं, जिससे सड़क खुलने को लेकर फिलहाल संशय बना हुआ है। पूर्व आईएएम और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने सड़क बंद करने पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए कहा है कि विरोध शांतिपूर्ण है। पुलिस ने शाहीन बाग के आसपास के पांच स्थानों पर नाकेबंदी की है। अगर इन अवरोधों को हटा दिया जाता है तो यातायात सामान्य हो जाएगा। कहा कि पुलिस ने अनावश्यक रूप से सड़कों को अवरुद्ध किया है जिससे लोगों को समस्या हो रही है। वजाहत हबीबुल्लाह के इस हलफनामे के बाद मामला और उलझ गया है।

सवाल यह है कि पुलिस ने आखिर क्यों नाकेबंदी की है। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में वार्ताकार नियुक्त किए गए वार्ताकारों की प्रदर्शनकारियों से बातचीत के बाद भी विवाद का हल निकलता हुआ नहीं दिख रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने तक धरना समाप्त नहीं करेंगे। सवाल यह है कि आखिर रास्ता किसने बंद किया है जिससे कि दिल्ली के लोग परेशान हैं। प्रदर्शनकारियों का यह कहना कि रास्ता पुलिस ने बंद किया है, कहीं से भी समझ में आने वाली बात नहीं है। पुलिस आखिर क्यों रास्तों में नाकेबंदी करेगी? उसकी कोशिश तो रास्ता खुलवाने की होनी चाहिए। प्रदर्शनकारी सड़क के एक हिस्से पर पिछले तीन महीने से बैठे हैं, जाहिर है इसी कारण से रास्ता नहीं खोला जा रहा है।

गंभीर बात यह है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आने के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह धरने के विरोध की कोई बात नहीं कर रहा है, मगर धरना जिस स्थान पर हो रहा है उससे लोगों को परेशानी हो रही है। अब जब प्रदर्शनकारी कह रहे हैं कि वह सीएए की वापसी तक प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे, तो जाहिर है कि रास्ता बंद रहेगा। कोशिश यह हो कि प्रदर्शनकारी प्रदर्शन करें मगर इससे कम से कम आम आदमी तो परेशान न हो। लोकतंत्र में अपनी बात कहने का हर किसी को अधिकार है, मगर किसी बात के विरोध का तरीका ऐसा होना चाहिए कि उससे नागरिकों के अधिकारों का हनन न हो। शाहीनबाग में जिस तरह से रास्ते को लेकर जनता परेशान है उस जल्द से जल्द हल निकलना जरूरी है।