बलिया: श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, परिवार की कुशलता की मांगी दुआ

बलिया। गुरुवार को गंगा दशहरा पर्व पर हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगायी। मंदिरों में पूजन-अर्चन कर दस प्रकार के फूल और फल चढ़ाकर अपने व परिवार के कुशलता की कामना की। सुबह से ही गंगा घाटों पर पूजन-अर्चन व कथा श्रवण के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। ब्रह्म मुहुर्त में …
बलिया। गुरुवार को गंगा दशहरा पर्व पर हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगायी। मंदिरों में पूजन-अर्चन कर दस प्रकार के फूल और फल चढ़ाकर अपने व परिवार के कुशलता की कामना की।
सुबह से ही गंगा घाटों पर पूजन-अर्चन व कथा श्रवण के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। ब्रह्म मुहुर्त में ही शहर के महावीरघाट, शिवरामपुर घाट, विजयीपुर घाट, कीनाराम घाट आदि पर बाइक, ई-रिक्शा और पैदल पहुंचे महिला व पुरुष श्रद्धालुओं ने हर-हर गंगे के उद्घोष के बीच पतित पावनी में श्रद्धा की डुबकी लगाई।
मान्यता है कि जेठ शुक्ल पक्ष दशमी को भगीरथ के कठोर तप के बाद मां गंगा इसी तिथि को धरती पर अवतरित हुई थीं और राजा सागर के साठ हजार पुत्रों का तरण करभगीरथ की मनोकाना पूर्ण की थी।
इस दिन मां गंगा अपने मूल रूप में विराजमान रहती हैं। इस दिन मां गंगा के स्नान मात्र से दस प्रकार के जाने-अंजाने में हुए पापों का शमन होता है।
गंगा दशहरा को तीन कायिक, चार वाचिक और तीन मानसिक अर्थात दस पापों से मुक्ति पाने के लिए दस प्रकार के पुष्पों, दशांग धूप, दस दीपक, दस प्रकार के नैवेद्य, दस ताम्बूल, दस तरह के फलों से गंगा पूजन किया।
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